REAL ESTATE

REAL ESTATE -हाऊस ट्रांसफर करते समय लगने वाली दर कम हुई

REAL ESTATE -हाऊस ट्रांसफर करते समय लगने वाली दर कम हुई

रेरा ने रियल एस्टेट सेक्टर को दी बड़ी राहत

रेरा ने एक प्रतिशत घटाई प्रतिकर दर

भोपाल। भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) ने कोविड-19 के कारण तबाह होने के स्तर पर पहुंचे रियल एस्टेट (real estate)  सेक्टर को राहत देने के लिये बड़ी पहल की है।

 

रेरा प्राधिकरण ने रियल एस्टेट सेक्टर (real estate) को राहत देने के लिये संप्रवर्तक (compensation) पर नियत समय के बाद आवास अंतरण (house transfer) करने कि स्थिति में आरोपित किये जाने वाले प्रतिकर की दर (compensation rate) में एक प्रतिशत की कमी की है।

 

पूर्व में यह दर 10 प्रतिशत थी जो अब घटाकर 9 प्रतिशत कर दी गयी है। कोरोना महामारी के कारण हुये लॉकडाउन के कारण प्रोजेक्ट्स के प्रभावित हुए कार्य की भरपाई के लिये प्रदेश में पंजीकृत सभी प्रोजेक्ट्स को रेरा प्राधिकरण द्वारा 6 माह की अवधि पहले ही प्रदान की जा चुकी है।

 

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कोरोना की वजह से हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिये हाल ही में रिजर्व बेंक ऑफ़ इंडिया द्वारा अनेक राहतों की घोषणा की गयी है। रेपो रेट में 0.40 फीसदी की कटौती की गयी है। रेपो रेट अब 4.4 से घटाकर 4 फीसदी कर दी गई है। वही टर्म लोन मोरटोरियम आगामी 31 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि प्राधिकरण द्वारा शिकायत और प्रोजेक्ट पंजीयन का कार्य पूर्व से ही ऑनलाईन किया जा रहा है। साथ ही प्रकरणों की सुनवाई भी आगामी एक जून से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से प्रारंभ की जा रही है।

रेरा के बारे में संपूर्ण जानकारी-

भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण
रियल एस्टेट real estate (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 भारत की संसद का एक अधिनियम है जो घर खरीदारों के हितों की रक्षा करने के लिए और अचल संपत्ति उद्योग में अच्छे निवेश को बढ़ावा देने के लिए बना है। बिल राज्यसभा द्वारा 10 मार्च 2016 को और लोकसभा में 15 मार्च 2016 को पारित कर दिया गया था। 92 में से 69 अधिसूचित वर्गों के साथ 1 मई 2016 से ये अधिनियम अस्तित्व में आया।

 

केंद्र और राज्य सरकारें छह महीने की वैधानिक अवधि के भीतर अधिनियम के अन्तर्गत नियम सूचित करने के लिए उत्तरदायी हैं। इस अधिनियम को बिल्डरों, प्रमोटरों और रियल एस्टेट एजेंटों के खिलाफ शिकायतों में वृद्धि के अनुसार बनाया गया है। इन शिकायतों में मुख्य रूप से खरीदार के लिए घर कब्जे में देरी, समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भी प्रमोटरों का गैरजिम्मेदाराना व्यवहार और कई तरह की समस्याएं हैं। RERA एक सरकारी निकाय है जिसका एकमात्र उद्देश्य खरीदारों के हितों की रक्षा के साथ ही प्रमोटरों और रियल एस्टेट (real estate) एजेंटों के लिए एक पथ रखना है ताकि उन्हें बेहतर सेवाओं के साथ आगे आने का मौका मिले।
रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 भारत की संसद का एक अधिनियम है जो घर खरीदारों के हितों की रक्षा करने के लिए और अचल संपत्ति उद्योग में अच्छे निवेश को बढ़ावा देने के लिए बना है। बिल राज्यसभा द्वारा 10 मार्च 2016 को और लोकसभा में 15 मार्च 2016 को पारित कर दिया गया था। 92 में से 69 अधिसूचित वर्गों के साथ 1 मई 2016 से ये अधिनियम अस्तित्व में आया। केंद्र और राज्य सरकारें छह महीने की वैधानिक अवधि के भीतर अधिनियम के अन्तर्गत नियम सूचित करने के लिए उत्तरदायी हैं। इस अधिनियम को बिल्डरों, प्रमोटरों और रियल एस्टेट एजेंटों के खिलाफ शिकायतों में वृद्धि के अनुसार बनाया गया है। इन शिकायतों में मुख्य रूप से खरीदार के लिए घर कब्जे में देरी, समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भी प्रमोटरों का गैरजिम्मेदाराना व्यवहार और कई तरह की समस्याएं हैं। RERA एक सरकारी निकाय है जिसका एकमात्र उद्देश्य खरीदारों के हितों की रक्षा के साथ ही प्रमोटरों और रियल एस्टेट एजेंटों के लिए एक पथ रखना है ताकि उन्हें बेहतर सेवाओं के साथ आगे आने का मौका मिले।

स्थिति:

1. अधिनियम की स्थिति क्या है?

रियल एस्टेट (real estate)  विधेयक राज्यसभा द्वारा 10 मार्च, 2016 को पारित किया गया था और 15 मार्च, 2016 को लोकसभा, 25 मार्च, 2016 को राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित और 26 मार्च, 2016 को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित किया गया था।

2. अधिनियम कब लागू किया गया?

1 मई, 2016 से धारा 2, धारा 20 से 39, अनुभाग 41 से 58, खंड 71 से 78 और धारा 81 से 92 अनुभागों को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया है।

3. इस अधिनियम के कुछ अनुभागों को अभी तक क्यों सूचित नहीं किया गया है?

अधिनियम के कुछ खंडों को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है, जैसा कि संस्थागत ढांचे, अर्थात् विनियामक प्राधिकरण आदि की स्थापना, जो उनके प्रवर्तन से पहले जरूरी है, अभी तक सभी राज्यों में लागू नहीं हुआ है। उदाहरण के लिए परियोजनाओं को केवल प्राधिकरण के साथ पंजीकृत होने के बाद ही बेचा जा सकता है। मध्य प्रदेश में नियम 22 अक्टूबर 2016 को अधिसूचित किए गए थे और 15 दिसंबर 2016 को स्थापित प्राधिकरण।

4. अधिनियम के शेष वर्ग कब लागू होंगे?

धारा 20 और खंड 43 में यह प्रावधान है कि प्राधिकरण और अपीलीय ट्रिब्यूनल को अधिनियम के प्रारंभ के 1 वर्ष के भीतर स्थापित करने की आवश्यकता है। 1 मई 2016 को शुरू किए गए खंडों को अधिसूचित किया गया था। अभी तक अधिसूचित नहीं किए गए अधिनियम के अनुभागों को 30 अप्रैल 2017 तक नवीनतम सूचित किया जाएगा।

उद्देश्यों और कारण:

5. अचल संपत्ति क्षेत्र के लिए एक नियामक कानून की क्या आवश्यकता थी?

अचल संपत्ति क्षेत्र हाल के वर्षों में उगा हुआ है लेकिन उपभोक्ता संरक्षण के परिप्रेक्ष्य से बड़े पैमाने पर अनियमित किया गया है। हालांकि उपभोक्ता संरक्षण कानून उपलब्ध हैं, इसमें उपलब्ध आसरा केवल प्रतिरक्षित नहीं है, निवारक नहीं है। व्यावसायिकता और मानकीकरण की अनुपस्थिति के कारण इसने क्षेत्र के समग्र विकास को प्रभावित किया है।

6. कौन से वस्तुएं और कारण हैं जिसके लिए अधिनियम तैयार किया गया है?

रियल एस्टेट (real estate)  अधिनियम का उद्देश्य निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त करना है:

क) आवंटियों के प्रति उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना और उनके हितों की रक्षा करना;

ख) पारदर्शिता को लागू करना, निष्पक्ष खेल सुनिश्चित करना और धोखाधड़ी और देरी को कम करना;

सी) व्यावसायिकता और पैन इंडिया मानकीकरण पेश करें;

डी) प्रमोटर और आबंटन के बीच सूचना की सममितता स्थापित करना;

ई) प्रमोटर और आबंटियों दोनों पर कुछ ज़िम्मेदारियां लगाई गईं;

च) अनुबंधों को लागू करने के लिए नियामक निरीक्षण तंत्र की स्थापना;

छ) फास्ट-ट्रैक विवाद समाधान तंत्र स्थापित करना;

ज) इस क्षेत्र में अच्छे प्रशासन को बढ़ावा देना जो बदले में निवेशकों का आत्मविश्वास पैदा करेगा।
अ- अ अ+ English
मध्य प्रदेश भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण के प्रतीक चिह्र में ‘रेरा’ शब्द देवनागरी एवं रोमन लिपियों में दर्शाया गया है।
जब प्रतीक चिह्र संपूर्ण रूप से देखा जाता है तो नगरीय अधोसंरचना एवं इमारतों की झलक दिखती है।
प्रतीक चिह्र में तीन छत-नुमा आकार भी हैं जो की रेरा अधिनियम के तीन उद्देश्यों अर्थात पारदर्शिता, समानता, और आश्वासन को संरक्षित करता है।
भू-संपदा
विनियामक प्राधिकरण
मध्यप्रदेश

पूछे जाने वाले प्रश्न
मुख्य पृष्ठ पूछे जाने वाले प्रश्न
अध्याय 1 – प्राथमिक

1. अधिनियम के अनुसार ‘समुचित सरकार कौन-सी है?

समुचित सरकार राज्य सरकार है।

2. राज्य सरकार के प्रमुख उत्तरदायित्व क्या हैं?

अ. धारा 84 के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा, अधिनियम के क्रियान्वयन हेतु नियम, अधिनियम के लागू होने के छह माह की अवधि के भीतर, अर्थात 31 अक्टूबर, 2016 तक अधिसूचित किए जाना है। (मध्यप्रदेश ने इसका अनुपालन 22 अक्टूबर, 2016 को कर दिया है)।

ब. धारा 20 के अनुसार, अधिनियम के लागू होने के एक वर्ष की अवधि के भीतर अर्थात अधिकतम 30 अप्रैल 2017 तक, विनियामक प्राधिकरण की स्थापना करनी है। (मध्यप्रदेश ने इसका अनुपालन 15 दिसंबर, 2016 को कर दिया है)।

स. धारा 43 के अनुसार, राज्य सरकार, अधिनियम के प्रवृत्त होने की तारीख से एक वर्ष के भीतर अर्थात अधिकतम 30 अप्रैल, 2017 तक, या तो एक पृथक अपील अधिकरण की स्थापना करेगी या तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन कार्यरत अपील प्राधिकरण को इस अधिनियम के अधीन अपील की सुनवाई के लिए अधिकृत करेगी।

द. धारा 28 और 51 के अनुसार, राज्य सरकार को विनियामक प्राधिकरण और अपील अधिकरण के लिए अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति करना है। इसके अतिरिक्त, उसे इन संस्थाओं के कार्यालय हेतु स्थान व अन्य अधोसंरचनात्मक व्यवस्थाएं भी करनी हैं।

य. धारा 75 के अनुसार, राज्य सरकार को भू-संपदा विनियामक कोष की स्थापना करनी है।

र. धारा 41 के अनुसार, केन्द्र सरकार (अर्थात आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय) को केन्द्रीय सलाहकार परिषद की स्थापना करनी है।

3. क्या ‘संप्रर्वतक‘ की परिभाषा में विकास प्राधिकरण व गृहनिर्माण मंडल जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाएं भी आती हैं ?

अधिनियम उन सभी संस्थाओें (सार्वजनिक एवं निजी) पर लागू होता है, जो आमजनों को विक्रय के लिए भू-संपदा परियोजनाएं विकसित करती हैं। ‘संप्रवर्तक‘ शब्द की परिभाषा धारा 2(यट) में दी गई है और इसमें सार्वजनिक व निजी दोनों भू-संपदा प्रवर्तक शामिल हैं। इस प्रकार, भू-संपदा के विक्रय में संलग्न विकास प्राधिकरण व गृहनिर्माण मंडल, दोनों अधिनियम के अंतर्गत आते हैं।

4. क्या संयुक्त रूप से किसी भू-संपदा का विकास करने की स्थिति में सभी संप्रर्वतक ‘संप्रर्वतक‘ की परिभाषा में आएंगे?

धारा 2(यट) का स्पष्टीकरण कहता है, ‘‘जहां ऐसा व्यक्ति, जो विक्रय के लिए किसी भवन का निर्माण करता है या उसको अपार्टमेंटों ( real estate) में संपरिवर्तित करता है या किसी भू-खंड का विकास करता है और वह व्यक्ति, जो अपार्टमेंट या भूखंडों का विक्रय करते हैं, भिन्न-भिन्न व्यक्ति हैं तो उन दोनों को संप्रवर्तक समझा जाएगा और वे अधिनियम व उसके अधीन बनाए गए नियमों या विनियमों के अधीन निर्धारित कृत्यों और उत्तरदायित्वों के लिए संयुक्त रूप से दायी होंगें‘‘।

5. ‘संप्रवर्तक‘ अथवा आबंटिती द्वारा व्यतिक्रम की दशा में देय ब्याज की दर क्या होगी? क्या दोनों पक्षों (संप्रवर्तक व आबंटिती) द्वारा देय ब्याज की दर समान होगी?

अधिनियम की धारा 2(यक) के स्पष्टीकरण के अनुसार, संप्रवर्तक या आबंटिती द्वारा देय ब्याज की दर समान होगी। ब्याज की दर का निर्धारण समुचित सरकार द्वारा नियमों में किया जाएगा।

6. क्या विज्ञापन में एसएमएस अथवा ईमेल के जरिए किए गए प्रस्ताव शामिल हैं? क्या विवरण पुस्तिका (प्रोस्पेक्टस) को भी विज्ञापन माना जाएगा ?

धारा 2(ख), जो विज्ञापन को परिभाषित करती है, के अनुसार, किसी भी माध्यम से व्यक्तियों को भू-संपदा क्रय करने के लिए आमंत्रित करना विज्ञापन की श्रेणी में शामिल है। अतः एसएमएस, ईमेल व विवरण पुस्तिका को भी विज्ञापन माना जाएगा।

7. क्या आबंटिती की परिभाषा में द्वितीयक विक्रय भी शामिल हैं?

धारा 2(घ) के अनुसार, आबंटिती में वह व्यक्ति शामिल है जिसने कोई भूखंड या अपार्टमेंट बिक्री या अंतरण के माध्यम से अर्जित किया हो परंतु उसमें ऐसा व्यक्ति शामिल नहीं है जिसे भूखंड (real estate) या अपार्टमेंट किराए पर दिया गया हो।

8. क्या ‘खुला पार्किग क्षेत्र‘, सामान्य क्षेत्र में शामिल है?

धारा 2(ढ) सामान्य क्षेत्र को परिभाषित करती है और इसके अनुसार, ‘सामान्य क्षेत्र‘ में ‘खुला पार्किग क्षेत्र‘ शामिल है। अतः इसे आबंटितियों को विक्रय नहीं किया जा सकता।

9. क्या किसी भू-संपदा परियोजना के अंतर्गत उपलब्ध कराई गईं ‘सामुदायिक और वाणिज्यिक सुविधाएं‘ ‘सामान्य क्षेत्र‘ का भाग हैं?

धारा 2(ढ), जो सामान्य क्षेत्र को परिभाषित करती है, के अनुसार ‘सामुदायिक और वाणिज्यिक सुविधाएं‘ परियोजना का अभिन्न अंग हैं और इन्हें आबंटितियों की एसोसिएशन को सौंपा जाना है।

10. ‘कार्य पूरा होने संबंधी प्रमाणपत्र‘ और ‘अधिभोग प्रमाणपत्र‘ में क्या अंतर हैं?

धारा 2(थ) और 2(यच) क्रमशः कार्य पूरा होने संबंधी प्रमाणपत्र और अधिभोग प्रमाणपत्र को परिभाषित करती हैं। अधिभोग प्रमाणपत्र से आशय यह है कि संबंधित भवन में जल, स्वच्छता और बिजली की सुविधाएं उपलब्ध हैं और उसमें निवास किया जा सकता है। कार्य पूरा होने संबंधी प्रमाणपत्र से आशय यह है कि परियोजना का सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित रेखांक, अभिन्यास रेखंाक और विर्निदेशों के अनुसार विकास किया गया है और यह विकास पूर्ण हो चुका है।

11. ‘उन क्षेत्राधिकारों (राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश) में क्या होगा जहां ‘कार्य पूर्ण होने संबंधी प्रमाणपत्र‘ और ‘अधिभोग प्रमाणपत्र‘ दोनों जारी करने की व्यवस्था नहीं है?

अधिनियम की धाराएं 2(थ) और 2(यच) क्रमशः कार्य पूरा होने संबंधी प्रमाणपत्र और अधिभोग प्रमाणपत्र को परिभाषित करती हैं। ये दोनों परिभाषाएं अत्यंत विस्तृत हैं और ‘चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो‘ पद का प्रयोग करती हैं। अतः, यदि किसी नगरीय क्षेत्र मंे ऐसा एक ही प्रमाणपत्र जारी किया जाता हो जिससे उपरोक्त दोनों परिभाषाओं की आवश्यकताओं की पूर्ति होती हो, तो वह अधिनियम के प्रावधानों के पालनार्थ पर्याप्त होगा।

12. अधिनियम ‘भू-संपदा परियोजना की प्राक्कलित लागत‘ को परिभाषित करता है। इस परिभाषा का क्या महत्व है?

धारा 2(फ) ‘भू-संपदा परियोजना की प्राक्कलित लागत‘ को परिभाषित करते हुए कहती है कि इससे अभिप्रेत हैः ‘भू-संपदा परियोजना का विकास करने की कुल लागत जिसके अंतर्गत भूमि की लागत, कर, उपकर, विकास और अन्य प्रभार भी हैं।‘‘ परियोजना की लागत का प्राक्कलन, अधिनियम के खण्ड 8 के प्रकाश में आवश्यक है, जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघनों की स्थिति मंे संप्रवर्तक पर आरोपित किया जाने वाला अर्थदंड, भू-संपदा परियोजना की प्राक्कलित लागत पर निर्भर करेगा।

13. ‘गैरिज‘ की परिभाषा क्या है? क्या उसे संप्रवर्तक द्वारा आबंटिती को अपार्टमेंट से अलग बेचा जा सकता हैै?

‘‘गैरिज‘‘ की परिभाषा धारा 2(म) में दी गई है और इसे आबंटिती को अपार्टमेंट से अलग बेचा जा सकता है।

14. ‘भू-संपदा परियोजना‘ की परिभाषा क्या है? क्या ‘परियोजना‘ शब्द से आशय भू-संपदा परियोजना से है?

‘भू-संपदा परियोजना‘ व ‘परियोजना‘ की परिभाषा क्रमशः धारा 2(यढ) व 2(य´) में दी गई है और अधिनियम में इन दोनों शब्दों का एक ही अर्थ है।

15. क्या भू-संपदा अभिकर्ता, अधिनियम के अंतर्गत आते हैं? क्या ‘भू-संपदा अभिकर्ता‘ की परिभाषा में अपार्टमेंट या भूखंडों के विक्रय में संलग्न वेब पोर्टल शामिल हैं?

भू-संपदा अभिकर्ता की परिभाषा, अधिनियम की धारा 2(यड) में दी गई है और यह बहुत व्यापक है। इसमें अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत परियोजनाओं के क्रय-विक्रय में संलग्न सभी प्रकार की एजेंसियां शामिल हैं। अतः भूखंड (real estate) या अपार्टमेंट बेचने में संलग्न वेबपोर्टल इत्यादि भी अधिनियम के अंतर्गत आते हैं और उन्हें उनके लिए अधिनियम में विहित जिम्मेदारियों और कर्तव्यों व अधिनियम के अंतर्गत बनाए गए नियमों का पालन करना आवश्यक है।

16. तब क्या होगा यदि अधिनियम में किसी शब्द का प्रयोग किया गया हो और वह अधिनियम में परिभाषित न हो?

धारा 2(यद) सार्वत्रिक परिभाषा है जिसमें यह कहा गया है कि जो शब्द और पद अधिनियम में परिभाषित नहीं हैं, उनका अर्थ वही होगा जो तत्समय प्रवृत्त किसी विधि या नगरपालिका विधियों में है।

अध्याय 2 – परियोजना व अभिकर्ताओं का पंजीकरण

17. क्या अधिनियम, आवासीय और वाणिज्यिक दोनों प्रकार की भू-संपदा परियोजनाओं (real estate) पर लागू होता है?

अधिनियम आवासीय और वाणिज्यिक दोनों प्रकार की परियोजनाओं पर लागू होता है। भवन की परिभाषा धारा 2(´) और अपार्टमेंट की परिभाषा धारा 2(द) में दी गईं हैं और इनमें आवासीय और व्यावसायिक, दोनों प्रकार की भू-संपदा शामिल है। व्यावसायिक भू-संपदा (real estate) की परिभाषा अत्यंत व्यापक है और इसमें औद्योगिक को छोड़कर, अन्य किसी भी प्रयोजन के लिए उपयोग की जाने वाली स्थावर संपत्ति शामिल है।

18. क्या वर्तमान में चल रहीं/अधूरी परियोजनाएं भी अधिनियम के अंतर्गत आती हैं?

जहां तक अधिनियम का प्रश्न है, वह किसी चल रही परियोजना व भविष्य में क्रियान्वित की जाने वाली परियोजना के बीच कोई भेद नहीं करता। अर्थात, वर्तमान में चल रहीं और अधूरी परियोजनाओं पर भी अधिनियम लागू होगा। धारा 3(1) का प्रथम परंतुक कहता है कि ‘‘परंतु उन परियोजनाओं के लिए, जो इस अधिनियम के प्रारंभ की तारीख को चल रही हैं और जिनके लिए कार्य पूरा होने संबंधी प्रमाणपत्र जारी नहीं किया गया है, संप्रवर्तक, उक्त परियोजना का रजिस्ट्रीकरण कराने के लिए इस अधिनियम के प्रारंभ की तारीख से तीन मास की अवधि के भीतर प्राधिकारी को आवेदन करेगा‘‘।

19. क्या अधिनियम, शहरी क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों की सभी परियोजनाओं पर लागू होता है?

धारा 3(1) के अनुसार, किसी भी ‘योजना क्षेत्र‘ में स्थित सभी परियोजनाओं का पंजीकरण प्राधिकरण में करवाना आवश्यक है। योजना क्षेत्र की परिभाषा धारा 2(यज) में दी गई है। मध्यप्रदेश में इस समय 157 योजना क्षेत्र हैं, जिन्हें मध्यप्रदेश नगर एवं ग्राम नियोजन अधिनियम 1973 की धारा 13(1) के अंतर्गत अधिसूचित किया गया है।

परंतु धारा 3(1) का दूसरा परंतुक, प्राधिकरण को यह अधिकार देता है कि वह योजना क्षेत्र से बाहर की किसी परियोजना के संप्रवर्तक को भी परियोजना का पंजीकरण करवाने का आदेश दे सकता है।

20. कौनसी परियोजनाएं अधिनियम के अंतर्गत नहीं आतीं?

धारा 3(2) के अंतर्गत निम्न परियोजनाओं का पंजीकरण करवाना आवश्यक नहीं हैः

(क) जब विकसित किए जाने वाला प्रस्तावित भू-क्षेत्र पांच सौ वर्ग मीटर से अधिक नहीं है या विकसित किए जाने के लिए प्रस्तावित अपार्टमेंटों (real estate) की संख्या आठ से अधिक नहीं है, इसमें ऐसे सभी अवस्थान-क्रम की संख्या भी है;

(ख) जहां संप्रवर्तक को इस अधिनियम के प्रारंभ के पूर्व भू-संपदा परियोजना का कार्य पूरा होने संबंधी प्रमाणपत्र प्राप्त हो गया हो;

(ग) जहां परियोजना किसी अपार्टमेंट, भूखंड या भवन के नवीकरण या उसकी मरम्मत या पुनर्विकास की है, जिसमें विपणन, विज्ञापन, विक्रय और नया आबंटन शामिल नहीं है।

21. संप्रर्वतक विक्रय हेतु अपनी परियोजना का विज्ञापन देना कब शुरू कर सकता हैै?

संप्रवर्तक परियोजना के विक्रय का विज्ञापन परियोजना के नियामक प्राधिकरण में पंजीकरण के बाद शुरू कर सकता है, जैसा कि धारा 3(1) में प्रावधान है।

22. विनियामक प्राधिकरण में भू-संपदा परियोजना के पंजीकरण के लिए आवेदन देते समय कौन-से विवरण उपलब्ध करवाए जाना है?

अधिनियम की धारा 4, पंजीकरण हेतु संप्रर्वतक द्वारा उपलब्ध करवाए जाने वाले ब्यौरे, घोषणा इत्यादि का विवरण देती है। पंजीकरण की विधि अर्थात इसके लिए कौन-से प्रपत्र भरे जाना है व कितना शुल्क दिया जाना है इत्यादि का निर्धारण राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों में होगा। (देखें प्रपत्र ए और बी)।

23. किसी भू-संपदा परियोजना (real estate) के विनियामक प्राधिकरण में पंजीकरण हेतु कौनसी औपचारिकताएं पूर्ण करनी होंगी?

परियोजना के प्राधिकरण में पंजीकरण हेतु संप्रवर्तक को प्रपत्र ए में आवेदन करना होगा और नियमों में निर्दिष्ट शुल्क का भुगतान कर धारा 4 में वर्णित दस्तावेज/ब्यौरे व घोषणा उपलब्ध करवानी होगी। इसके अतिरिक्त, संप्रवर्तक को नियमों में विनिर्दिष्ट प्रपत्र बी/अन्य अतिरिक्त दस्तावेज/ ब्यौरे भी उपलब्ध करवाने होंगे।

24. विनियामक प्राधिकरण को कितने दिनों मंे किसी भू-संपदा परियोजना (real estate) का पंजीकरण करना होगा?

अगर कोई परियोजना अधिनियम और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों और परिनियमों के अनुरूप है, तो नियामक प्राधिकरण को आवेदन प्राप्त होने की तिथि से 30 दिवस के भीतर पंजीकरण करना होगा।

25. अगर पंजीकरण का आवेदनपत्र अधूरा हो तो क्या होगा?

यदि परियोजना (real estate) के पंजीकरण का आवेदनपत्र, अधिनियम और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों और विनियमों के प्रावधानों के अंतर्गत अधूरा होगा तो प्राधिकरण, संप्रवर्तक को आवेदनपत्र को पूरा करने हेतु अवसर दे सकेगा। परंतु यदि इसके बाद भी आवेदनपत्र हर तरह से पूर्ण नहीं किया जाता है तो संप्रवर्तक को सुनवाई का अवसर देने के बाद, प्राधिकरण को यह अधिकार होगा कि वह आवेदन को निरस्त कर दे।

26. क्या अधिनियम में ऐसी व्यवस्था है कि अगर प्राधिकरण किसी आवेदनपत्र का कोई उत्तर ही न दे तो परियोजना को पंजीकृत समझा जाएगा?

अधिनियम की धारा 5 में यह प्रावधान है कि प्राधिकरण को किसी भी आवेदनपत्र पर 30 दिवस की अवधि में निर्णय लेना है। इसमें यह भी प्रावधान है कि अगर प्राधिकरण 30 दिनों के भीतर निर्णय नहीं लेता तो परियोजना को पंजीकृत समझा जाएगा।

27. विनियामक प्राधिकरण द्वारा किसी परियोजना के पंजीकरण की वैधता की अवधि क्या होगी?

धारा 4 के अनुसार, किसी परियोजना के पंजीकरण की वैधता की अवधि वही होगी जिसे संप्रवर्तक आवेदन प्रस्तुत करते समय अधिनियम की धारा (4)(2)(ठ)(इ) के अंतर्गत घोषित करेगा और इस अवधि के भीतर उसे परियोजना को पूर्ण करना होगा।

28. क्या संप्रवर्तक के लिए यह आवश्यक है कि वह ‘एस्क्रो खाता’ या ‘पृथक खाता’ रखे? क्या हर परियोजना के लिए ‘पृथक खाता’ रखा जाना आवश्यक है या एक से अधिक परियोजनाओं के लिए एक ही खाता हो सकता है? पृथक खाते से संप्रवर्तक किन प्रयोजनों के लिए रकम निकाल सकता है?

अधिनियम की धारा 4(2)(ठ)(ई) में यह प्रावधान है कि संप्रवर्तक प्रत्येक भू-संपदा परियोजना के लिए पृथक खाता रखेगा और आबंटितियों से समय-समय पर भूमि की लागत और निर्माण के खर्च हेतु वसूल की गई रकमों का 70 प्रतिशत इस खाते में रखेगा। यह खाता संप्रवर्तक द्वारा स्वयं संचालित किया जाएगा और यह ऐसा एस्क्रो खाता नहीं होगा, जिससे रकम निकालने के लिए प्राधिकरण की स्वीकृति आवश्यक हो।

धारा 4(2)(ठ)(ई) में यह स्पष्ट प्रावधान है कि खाते से निकाली गई राशि का उपयोग केवल भूमि के क्रय व निर्माण के लिए किया जाएगा।

29. संप्रवर्तक पृथक खाते से किस आधार पर रकम निकाल सकेगा?

धारा 4(2)(ठ)(ई) व उसके प्रथम व द्वितीय परंतुक के अनुसार, संप्रवर्तक, भू-संपदा परियोजना की परियोजना लागत को पूरा करने के लिए परियोजना (real estate) के पूरा होने की प्रतिशतता के अनुपात में, पृथक् खाते से रकमें निकाल सकेगा और यह कि संप्रवर्तक द्वारा पृथक खाते से रकमें, किसी इंजीनियर, वास्तुविद् और व्यवसायरत चार्टर्ड अकाउन्टेंट द्वारा यह प्रमाणित कर दिए जाने के पश्चात् निकाली जाएंगी कि रकम को परियोजना के पूरा होने की प्रतिशतता के अनुपात में निकाला गया है।

30. क्या संप्रवर्तक के लिए अपने खातों की लेखा परीक्षा करवाना आवश्यक है?

धारा 4(2)(ठ)(ई) के तृतीय परंतुक के अनुसार, संप्रवर्तक अपने खातों की, प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के पश्चात् छह मास के भीतर, व्यवसायरत चार्टर्ड अकाउन्टेंट से लेखापरीक्षा कराएगा तथा लेखापरीक्षा के दौरान यह सत्यापन किया जाएगा कि किसी विशिष्ट परियोजना के लिए संगृहीत रकमों का उस परियोजना के लिए उपयोग किया जा चुका है और निकाली गई रकमें, परियोजना के पूरा होने की प्रतिशतता के अनुपात के अनुपालन में हैं।

31. किसी भू-संपदा परियोजना( real estate) के पंजीकरण के लिए आवेदन आॅनलाईन प्रस्तुत किए जाना है या स्वयं?

धारा 4 के अनुसार, आवेदन की प्रक्रिया एक वर्ष की अवधि तक व्यक्तिगत रूप से और आनलाईन दोनों होगी। एक वर्ष के पश्चात आवेदन केवल आॅनलाईन प्रस्तुत किए जा सकेंगे।

मध्यप्रदेश में शुरूआत से ही ऑनलाईन प्रक्रिया लागू करने का निर्णय लिया गया है।

32. क्या नियामक प्राधिकरण द्वारा किसी भू-संपदा परियोजना (real estate) के पंजीकरण की वैधता की अवधि को बढ़ाया जा सकता है? अनिवार्य बाध्यता से क्या अर्थ है?

धारा 6 के अनुसार, दो परिस्थितियों में किसी परियोजना के पंजीकरण की वैधता की अवधि को बढ़ाया जा सकता हैः (क) अनिवार्य बाध्यता के मामले में व (ब) ऐसी युक्तियुक्त परिस्थितियों में जिनके लिए संप्रवर्तक ज़िम्मेदार नहीं हैं और जो अधिकतम एक वर्ष की होगी।

धारा 6 के स्पष्टीकरण के अनुसार अनिवार्य बाध्यता’’ से अर्थ है कोई युद्ध, कार्य, बाढ़, सूखा, अग्नि, तूफान, भूंकप या प्रकृति द्वारा कारित कोई अन्य आपदा जो किसी भू-संपदा परियोजना (real estate)  के नियमित विकास को प्रभावित करती हो।

33. पंजीकरण की अवधि बढ़ाने की क्या शर्तें व निबंधन हैं?

पंजीकरण की अवधि को बढ़ाने के निबंधन व शर्तें, आवेदन प्रपत्र और देय शुल्क, वही होगा जो नियमों में विनिर्दिष्ट हो (देखें प्रपत्र ई)

34. क्या किसी परियोजना का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है?

धारा 7 के अनुसार, प्राधिकरण को किसी परियोजना का पंजीकरण रद्द करने का अधिकार है परंतु ऐसी कार्यवाही केवल कोई अन्य रास्ता न बचने पर ही की जाएगी और इसके पहले संप्रवर्तक को सुनवाई का उचित अवसर दिया जाएगा।

35. अगर किसी परियोजना का पंजीकरण रद्द कर दिया जाता है तो उसे पूरा करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

परियोजना के पंजीकरण को रद्द किए जाने की स्थिति में, धारा 8 उस तरीके का वर्णन करती है जिसके ज़रिए परियोजना को पूरा किया जा सकता है। परंतु ऐसी स्थिति में आबंटितियों के संघ को यह अधिकार होगा वह शेष विकास कार्य करवाने से इंकार कर दे।

36. क्या यह अधिनियम भू-संपदा अभिकर्ताओं पर भी लागू होता है? भू-संपदा अभिकर्ताओं के क्या कर्तव्य व उत्तरदायित्व हैं?

अधिनियम की धारा 6 में यह प्रावधान है कि अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत परियोजनाओं के विक्रय में संलग्न अभिकर्ता, प्राधिकरण में अपना पंजीकरण करवाने के पश्चात ही ऐसा कर सकते हैं। पंजीकरण की प्रक्रिया, उसकी अवधि, उसका नवीनीकरण व उसके लिए देय शुल्क आदि का निर्धारण नियमों में किया जाएगा।

अधिनियम की धारा 10 भू-संपदा अभिकर्ताओं के कार्यों और कर्तव्यों का विस्तृत विवरण देती है।

अध्याय 3 – संप्रवर्तक के कृत्य और कर्तव्य

37. प्राधिकरण मंे परियोजना के पंजीकरण के पश्चात, संप्रवर्तक के मुख्य कृत्य और कर्तव्य क्या हैं?

अधिनियम की धारा 11 के अंतर्गत, संप्रवर्तक के लिए यह अनिवार्य है कि वह प्राधिकरण की वेबसाईट पर अपना वेब पेज बनाए और आवेदन में दिए गए परियोजना के सभी ब्यौरे उस पर उपलब्ध करवाए। इसके अतिरिक्त, धारा 11 में यह प्रावधान भी है कि संप्रवर्तक कुछ ब्यौरों को हर तिमाही में अद्यतन करे।

इसके अतिरिक्त, संप्रवर्तक की यह ज़िम्मेदारी है कि वह परियोजना के विकास के विभिन्न चरणों और विकास पूर्ण हो जाने पर धारा 11 में निर्दिष्ट सभी उत्तरदायित्वों का पालन करे।

38. संप्रवर्तक द्वारा विनियामक प्राधिकरण की वेबसाईट पर कौनसी जानकारियां उपलब्ध करवाई जानी हैं?

धारा 4 और धारा 11 में उन जानकारियों की विस्तृत सूची है, जिन्हें संप्रवर्तक द्वारा सार्वजनिक अवलोकन के लिए प्राधिकरण की वेबसाईट पर उपलब्ध करवाना है।

39. विज्ञापन या विवरण पुस्तिका में दी गई जानकारी की सत्यता के संबंध में संप्रवर्तक की क्या ज़िम्मेदारियां हैं?

धारा 12 के अनुसार, संप्रवर्तक विज्ञापन और विवरण पुस्तिका में दी गई सभी जानकारियांे व सूचनाओं की सत्यता के लिए ज़िम्मेदार है। अगर किसी व्यक्ति को विज्ञापन या विवरण पुस्तिका में दी गई किसी गलत जानकारी के कारण कोई हानि होती है तो उसकी पूर्ति संप्रवर्तक को करनी होगी।

40. क्या संप्रवर्तक प्लाट/अपार्टमेंट (real estate) की बुकिंग के लिए कोई राशि ले सकता है?

धारा 13 के अनुसार, संप्रवर्तक किसी अपार्टमेंट/प्लाट की कीमत की राशि से 10 प्रतिशत से अधिक अग्रिम या आवेदन फीस के रूप में नहीं ले सकता। अपार्टमेंट/प्लाट की कीमत के रूप में इससे अधिक धनराशि लेने के पूर्व, संप्रवर्तक को आबंटिती के साथ विक्रय करार करना आवश्यक है।

41. विक्रय करार क्या है और क्या यह संप्रवर्तक एवं आबंटिती पर बंधनकारी है?

धारा 13(2) के अनुसार, समुचित सरकार द्वारा नियमों के जरिए संप्रवर्तक व आबंटिती के बीच विक्रय करार का प्रारूप निर्दिष्ट किया जाना है। यह करार दोनों पक्षों पर बंधनकारी होगा परंतु विक्रय करार में आंतरिक लचीलापन हो सकता है अर्थात दोनों पक्षों की सहमति से इसमें नए प्रावधान शामिल/निर्धारित किए जा सकते हैं, बशर्ते ये अधिनियम या नियमों के किसी प्रावधान के व न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों के प्रतिकूल न हों।

42. क्या संप्रवर्तक, परियोजना की सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वीकृति के पश्चात व उसकी जानकारी आबंटितियों को दे दिए जाने के बाद उसमें कोई फेरफार/परिवर्धन कर सकता है?

अधिनियम की धारा 14 के अनुसार संप्रवर्तक, परियोजना की सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वीकृति के पश्चात व उसकी जानकारी आबंटितियों को दे दिए जाने के बाद, उसमें कोई केवल गौण़ परिवर्धन या फेरफार कर सकता है।

परंतु यदि स्वीकृत परियोजना में कोई बड़ा परिवर्धन या फेरफार किया जाना है तो उसके लिए कम से कम दो-तिहाई आबंटितियों की स्वीकृति आवश्यक होगी। दो-तिहाई आबंटितियों की संख्या का निर्धारण करते समय, संप्रवर्तक के स्वामित्व वाले अपार्टमेंटों (real estate) को नहीं गिना जाएगा। इसके अतिरिक्त, किसी आबंटिती या उसके कुटुम्ब (धारा 2(भ) में परिभाषित) के स्वामित्व के अपार्टमेंटों की संख्या भले ही कितनी भी हो, उसे केवल एक मत देने का अधिकार होगा।

43. किसी परियोजना/अपार्टमेंट (real estate)  में किसी संरचनात्मक दोष के लिए संप्रवर्तक कितनी अवधि तक ज़िम्मेदार होगा?

धारा 14(2) के अनुसार, किसी संरचनात्मक त्रुटि या इस धारा में वर्णित अन्य दोषों के लिए संप्रवर्तक कब्ज़ा सौंपे जाने की तारीख से पांच वर्ष की अवधि के लिए जिम्मेदार होगा।

44. किसी तीसरे पक्षकार को परियोजना अंतरित करने के संबंध में संप्रवर्तक के क्या कर्तव्य हैं?

धारा 15 के अनुसार, संप्रवर्तक दो-तिहाई आबंटितियों की पूर्व लिखित सहमति के बगैर, किसी तीसरे पक्षकार को किसी परियोजना के संबंध में अपने बहुमत अधिकार और दायित्व अंतरित या समनूदेशित नहीं करेगा।

छो-तिहाई आबंटितियों की संख्या का निर्धारण करते समय, संप्रवर्तक के स्वामित्व वाले अपार्टमेंटों (real estate) को नहीं गिना जाएगा। इसके अतिरिक्त, किसी आबंटिती या उसके कुटुम्ब (धारा 2(भ) में परिभाषित) के स्वामित्व के अपार्टमेंटों की संख्या भले ही कितनी भी हो, उसे केवल एक मत देने का अधिकार होगा।

45. भू-संपदा परियोजना का बीमा करने के संबंध में संप्रवर्तक के क्या कर्तव्य हैं?

धारा 16 के अनुसार, संप्रवर्तक को भू-संपदा परियोजना (real estate) के भूखंड और भवन का हक और सन्निर्माण का बीमा उस तरीके से करवाएगा जैसा कि समुचित सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया हो।

46. अपार्टमेंट/भूखंड (real estate) के हक के अंतरण के संबंध में संप्रवर्तक के क्या कर्तव्य हैं?

अधिनियम की धारा 17 में अपार्टमेंट और परियोजना के हक के क्रमशः आबंटिती और आबंटितियों के संघ के पक्ष में अंतरण के संबंध में विस्तृत प्रावधान किए गए हैं।

47. आबंटितियों का धन लौटाने और उनकी क्षतिपूर्ति करने के संबंध मंे संप्रवर्तक के क्या कर्तव्य हैं?

अधिनियम की धारा 18 में उन विभिन्न परिस्थितियों का वर्णन किया गया है, जिनमें परियोजना को पूर्ण करने में विलंब आदि के कारण संप्रवर्तक को आबंटितियों की क्षतिपूर्ति करनी होगी।

अध्याय 4 – आबंटितियों के अधिकार और कर्तव्य

48. अधिनियम के अंतर्गत आबंटितियों के क्या अधिकार और कर्तव्य हैं?

धारा 19 में आबंटितियों के अधिकारों का वर्णन है। इसमें अन्य अधिकारों सहित इस अधिकार का भी वर्णन है कि आबंटितियों को उनके साथ किए गए करार के अनुसार यह अधिकार होगा कि संप्रवर्तक द्वारा परियोजना को प्रक्रमवार पूर्ण किया जा रहा है या नहीं, करार में वर्णित सेवाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं या नहीं और आबंटिती को यह अधिकार भी होगा कि उसे अपार्टमेंट/भूखंड (real estate) का कब्ज़ा निर्धारित समय पर दिया जाए और आवश्यक दस्तावेज व मानचित्र उसे सौंपे जाएं।

धारा 20 में आबंटितियों के विभिन्न कर्तव्यों का वर्णन है जिनमें यह शामिल है कि आबंटिती निर्धारित समय में अपार्टमेंट/प्लाट के लिए राशि का भुगतान करे, भुगतान में देरी होने पर ब्याज चुकाए, कब्ज़ा ले और आबंटितियों के संघ इत्यादि के गठन में भाग ले।

अध्याय 5 – भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण

49. प्राधिकरण के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति किस तरह की जाएगी?

अधिनियम की धारा 12 के अनुसार, अध्यक्ष और सदस्यांे की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा एक चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाएगी जिसमें उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, राज्य के आवास विभाग के सचिव और विधि सचिव शामिल होंगे।

50. विनियामक प्राधिकरण की मुख्य ज़िम्मेदारियां क्या हैं?

अधिनियम और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों और विनियमनांे को क्रियान्वित करना प्राधिकरण की मुख्य ज़िम्मेदारी होगी। इनमें शामिल हैंः

अ. भू-संपदा परियोजना और भू-संपदा अभिकर्ताओं का पंजीकरण।

ब. भू-संपदा परियोजना के पंजीकरण की अवधि को बढ़ाना और उसे रद्द करना।

स. भू-संपदा अभिकर्ता के पंजीकरण का नवीनीकरण और उसे रद्द करना।

द. धारा 34 के अनुसार प्राधिकरण को अपनी वेबसाईट पर जनसाधारण के अवलोकन के लिए एक डाटाबेस बनाए रखना है जिसमेंः

ऽ उन सभी परियोजनाओं का वर्णन होगा जिनको प्राधिकरण द्वारा पंजीकृत किया गया है और इन परियोजनाओं के संबंध में वे सभी जानकारियां होंगी, जो अधिनियम और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों और विनियमनों के अनुरूप वेबसाईट पर उपलब्ध करवाई जाना है।

ऽ संप्रवर्तकों के नाम और उनकी फोटो सहित उनके संबंध में अन्य ब्यौरे।

ऽ उन परियोजनाओं की जानकारी जिनका पंजीकरण रद्द किया गया है या जिन्हें दंडित किया गया है।

ऽ उन भू-संपदा अभिकर्ताओं के संबंध में उनके फोटो सहित ब्यौरे, जिनका प्राधिकरण में पंजीकरण किया गया है और साथ में उन अभिकर्ताओं के संबंध में जानकारी जिनका पंजीकरण रद्द किया गया है।

य. धारा 71 के अनुसार, प्राधिकरण को एक या अधिक न्यायनिर्णायक अधिकारी की नियुक्ति समुचित सरकार के परामर्श से करनी है।

धारा 85 के अनुसार, प्राधिकरण को अपनी स्थापना के तीन माह के भीतर, इस अधिनियम के अंतर्गत बनाए गए नियमों को अधिसूचित करना है।

र. धारा 32 के अंतर्गत, विनियामक प्राधिकरण को भू-संपदा सेक्टर की बढ़ोत्तरी और संवर्धन और उसे स्वस्थ्य, पारदर्शी, दक्ष और प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए राज्य सरकार को उपयुक्त सिफारिशें करनी हैं।

51. अधिनियम के अंतर्गत किसी उल्लंघन की शिकायत प्राधिकरण में कैसे की जा सकती है?

अधिनियम की धारा 31 में यह प्रावधान है कि कोई व्यथित व्यक्ति, प्राधिकरण के समक्ष शिकायत कर सकता है. शिकायत करने का प्रारूप, रीति और देय शुल्क का विवरण नियमों में उपलब्ध है .

 

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