SELF EMPLOYMENT

डेयरी उद्योग में स्‍वरोजगार की असीम संभावनाएं, 20 से 30 लाख रूपये का लोन मिलता है आसानी से, आत्‍मनिर्भरता की और बढ़ाये कदम

डेयरी उद्योग में स्‍वरोजगार की असीम संभावनाएं, 20 से 30 लाख रूपये का लोन मिलता है आसानी से, आत्‍मनिर्भरता की और बढ़ाये कदम

 भोपाल. भारत में डेयरी उद्योग में स्‍वरोजगार को लेकर बहुत प्रयास किए जा रहे है, और अधिकांश सफल भी हो रहे है. केंद्र से लेकर राज्‍य सरकार डेयरी उदयोग को बढ़ावा देने के लिए नई नई योजनाएं चला रही है. आज हम आपको डेयरी उद्योग में स्‍वरोजगार को लेकर क्‍या किया जा सकता है. इसकी विस्‍तार से जानकारी देने जा रहे है.

ये जानकारी आपके लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती है. स्‍वरोजगार करने के लिए क्‍या करना होगा, कोन सी योजनाएं चल रही है. उन योजनाओं से कितनी सब्सिडी मिलेगी. लोन के लिए कहां और कैसे अप्‍लाई करना होगा. इस तरह की सभी जानकारी यहां आपको मिल जायेगी. 

 

स्‍वरोजगार करने के लिए बिजनेस आईडिया और लागत की जानकारी

 

बिजनेस आईडिया अनुमानित इकाई लागत यहां से मिलेगी सहायता
क्रॉसब्रीड गायों/देशी वर्णात्‍मक दुधारू गायों जैसे कि सहिवाल, लालसिंधी, गिर राठी आदि के साथ छोटी डेयरी इकाईयों की स्‍थापना ओर दस पशुओं तक (श्रेणी एसएचजी सहकारी समितियों, उत्‍पादक कंपनियों का आकार 2 से 10 पशु प्रति सदस्‍य होगा) तक वर्गीकृत भैंस  पशु इकाई के लिए सात लाख रूपये, न्‍यूनतम इकाई आकार 2 जानवर है, जिसमें दस जानवरों की उपरी सीमा होती है. बैंक एंडेड पूंजीगत सब्सिडी के रूप में परियोजना लागत का 25 प्रतिशत (एससी/एसटी किसानों के लिए 33.33 प्रतिशत),  17500 रूपए प्रति पशु (एससी/एसटी किसानों के लिए 23300 रूपयेरूपये )  या वास्‍तविक जो भी कम हो, रूपये की सीमा के अधीन अधिकतम 10 पशुओ के लिए रियायत के आधार पर सब्सिडी प्रतिबंधित की जायेगी. अधिकारी उच्‍च लागत के  जानवरों की खरीद कर सकते है. हालांकि सब्सिडी, उपरोक्‍त सीमा तक सीमित रहेगी.
बछिया-बछड़ों-संकर नस्‍ल, देशी दुधारू पशु नस्‍ल एवं उन्‍नत भैंस पालन -20 बछड़ों तक . 20 बछड़ा इकाई के लिए 9.70 लाख रूपये -20 बछड़ाें की उपरी सीमा के साथ  बैंक एंडेड पूंजीगत सब्सिडी के रूप में परियोजना लागत का 25 प्रतिशत (एससी/एसटी किसानों के लिए 33.33 प्रतिशत), रूपये 12,100 प्रति बछड़ा (एससी/एसटी किसानों के लिए 16,200 रूपये) या वास्‍तविक जो भी कम हो, की सीमा के अधीन अधिकतम 20 बछड़ा इकाई के आधार पर रियायत को प्रतिबंधित किया जायेगा.
दुधारू पशु इकाई के साथ वर्मी कपोंस्‍ट (दुधारू पशुओं/छोटे डेयरी फार्म के साथ माना जाता है अलग से नहीं)  25 हजार 200 रूपये बैंक एंडेड पूंजीगत सब्सिडी के रूप में परियोजना लागत का 25 प्रतिशत (एससी/एसटी किसानों के लिए 33.33 प्रतिशत) रूपये की सीमा के अधीन. 6 हजार 3 सौ रूपये (अनुसचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 8 हजार 400 रूपये) या वास्‍तविक जो भी कम हो.
दूध देने वाली मशीनों / दूधियों/ बल्‍क मिल्‍क कूलिंग इकाईयों (5 हजार लीटर तक की क्षमता) की खरीद 20 लाख रूपये बैंक एंडेड पूंजीगत सब्सिडी के रूप में परियोजना लागत का 25 प्रतिशत (एससी/एसटी किसानों के लिए 33.33 प्रतिशत), रूपये की सीमा के अधीन. 5 लाख रूपये (एससी/एसटी किसानों के लिए 6.67 लाख रूपये) या वास्‍तविक जो भी कम हो. 
स्‍वदेशी दुग्‍ध उत्‍पादों के उत्‍पादन के लिए डेयरी प्रसंस्‍करण उपकरणों की खरीद 13.20 लाख रूपये बैंक एंडेड पूंजीगत सब्सिडी के रूप में परियोजना लागत का 25 प्रतिशत (एससी/एसटी किसानों के लिए 33.33 प्रतिशत), रूपये सीमा के अधीन. 3.30 लाख रूपये(एससी/एसटी के किसानों के लिए 4.40 लाख रूपये) या वास्‍तविक जो भी कम हो.
डेयरी उत्‍पाद परिवहन सुविधाओं और कोल्‍ड चेन की स्‍थापना  33 लाख रूपये बैंक एंडेड पूंजीगत सब्सिडी के रूप में परियोजना लागत का 25 प्रतिशत (एससी/एसटी किसानों के लिए 33.33 प्रतिशत), की सीमा के अधीन. 8.25 लाख रूपये (एससी/एसटी के किसानों के लिए 11 लाख रूपये) या वास्‍तविक जो भी कम हो.
निजी पशु चिकित्‍सालयों की स्‍थापना  2.60 लाख रूपये (मोबाइल) और 2.60 लाख रूपये (स्थिर) बैंक एंडेड पूंजीगत सब्सिडी के रूप में परियोजना लागत का 25 प्रतिशत (एससी/एसटी किसानों के लिए 33.33 प्रतिशत), की सीमा के अधीन. 65000 रूपये ओर 50 हजार रूपये (रू. 86,600 और रू. 66,600 एससी/एसटी के किसानों के लिये) क्रमश: मोबाइल और स्थिर क्‍लीनिक या वास्‍तविक जो भी कम हो.
डेयरी मार्केटिंग आउटलेट/डेयरी पार्लर  3 लाख रूपये बैंक एंडेड पूंजीगत सब्सिडी के रूप में परियोजना लागत का 25 प्रतिशत (एससी/एसटी किसानों के लिए 33.33 प्रतिशत), की सीमा के अधीन. 75,000 रूपये (एससी/एसटी किसानों के लिए 100000 रूपये) या वास्‍तविक जो भी कम हो.

 

स्‍वरोजगार योजना के लिए पात्र लाभार्थी

 

  1. किसान, व्‍यक्तिगत उद्यमी और असं‍गठित और संगठित क्षेत्र के समूह , संगठित क्षेत्र का समूह, उनके सदस्‍यों की ओर से स्‍वयं सहायता समूह, डेयरी सहकारी समितियां, उनके सदस्‍यों की ओर से दुग्‍ध संघ, दुग्‍ध फेडरेशन , पंचायत राज संस्‍थान (पीआरआई) आदि योजना के तहत पात्र है.
  2. कोई भी आवेदक योजना के तहत सभी घटकों के लिए , लेकिन प्रत्‍येक घटक के लिए केवल एक बार सहायता लेने के लिए पात्र होगा. 
  3. परिवार के एक से अधिक सदस्‍यों को इस योजना के तहत सहायता प्रदान की जा सकती है. बशर्ते वे अलग अलग स्‍थानों पर अलग अलग अवसंरचना के साथ अलग अलग इकाईयां स्‍थापित करे. ऐसे दो फार्मों की सीमाओं के बीच की दूरी कम से कम 500 मीटर होनी चाहिये. 

 

इन वित्‍तीय संस्‍थानों में कर  सकते है  लोन के लिए आवेदन

 

  1.  वाणिज्यक बैंक
  2. क्षेत्रीय, ग्रामीण और शहरी बैंक
  3. राज्‍य सहकारी बैंक
  4. राज्‍य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक
  5. ऐसी अन्‍य संस्‍थाएं, जो नाबार्ड से पुनवित्‍त पोषण के लिए पात्र है. 

 

लोन के लिए बैंक के लिंक्‍स नीचे दिये गये है, क्लिक करके करे सीधे आवेदन

 

  1. एसबीआई 
  2. आईडीबीआई
  3. बैंक ऑफ बडोदा
  4. सेंट्रल बैंक 
  5. नाबार्ड

 

 

पशुधन की अर्थव्‍यवस्‍था में महत्‍वपूर्ण भूमिका

 

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में पशुधन की महत्‍वपूर्ण भूमिका है. लगभग 20.5 मिलियन लोग अपने राजस्‍व स्‍त्रोत के लिए पशुधन पर निर्भर है. सभी ग्रामीण परिवारों के औसत 14 प्रतिशत पर पशुधन ने छोटे कृषि परिवारों की आय में 16 प्रतिशत का योगदान दिया. यह दो तिहाई ग्रामीण समुदाय को आजीविका प्रदान करता है. भारत में लगभग 8.8 प्रतिशत आबादी को पशुधन के माध्‍यम से रोजगार प्राप्‍त होता है. भारत में विशाल पशुधन संसाधन है. पशुधन क्षेत्र का सकल घरेलू उत्‍पाद में 4.11 प्रतिशत और कुल कृषि जीडीपी में 25.6 प्रतिशत योदान है. पशुधन मानव उपभोग के लिए दूध, मांस और अंडे प्रदान करता है. दूध उत्‍पादन के मामले में भारत पहले स्‍थान पर है. पशुधन उन, बाल और खाल के उत्‍पादन में भी योगदान देता है.  इसी तरह बैल भारतीय कृषि का आधार है. ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अभी भी विभिन्‍न कृषि कार्यों के लिए बैलगाड़ी पर निर्भर है.

बैलगाडि़यों के उपयोग से हम बहुत सारा इंधन बचा सकते है. परिवहन के लिए बैलगाडियों के अलावा उंट, घोडे, गधे, टटटू, खच्‍चर जानवरों का बडे पैमाने पर उपयोग किया जाता है. सेना को जानवरों को पर निर्भर रहना पड़ता है. ताकि वे उंचाई के क्षेत्रों में माल ढुलाई का कार्य आसानी से कर सके. वहीं पशु अपशिष्‍ट पदार्थ विशेष रूप से गोबर बहुत अच्‍छी कृषि खाद के रूप में काम करते है.

इसके अलावा बायो गैस और उपलो जैसे इंधन के रूप में भी उपयोग किया जाता है. आपात और सूखे की स्थिति के दौरान भूमिहर खेतिहर मजदूरों के लिए पशुधन पूंजी के रूप में काम करता है. किसानों की संपत्ति में पशुधन महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है. भारत में किसान मिश्रित कृषि प्रणाली को अपनाते है. यानी संसाधन दक्षता प्राप्‍त करने के लिए फसल और पशुधन का संयोजन करते है. 

दूध की बिक्री के माध्‍यम से पशुधन किसानों को नियमित आय प्रदान करके पशुधन कई परिवारों के लिए सहायक आय का एक स्‍त्रोत होता है. आपात स्थिति के दौरान जैसे कि बीमार व्‍यक्तियों के उपचार, बच्‍चों की शिक्षा, घरों की मरम्‍मत आदि के समय विशेष रूप से भेड़ और बकरी आय के रूप में काम करते है. इससे किसानों को आर्थिक सुरक्षा मिलती है. भारत में बड़ी संख्‍या में लोग आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है. कृषि के माध्‍यम से लोगों को रोजगार और स्‍वरोजगार मिलता है.

About the author

Bhaskar Jobs

Leave a Comment