UNEMPLOYMENT OF INDIA

बेरोजगारी की समस्या कारण और निवारण ।। बेरोजगारी की समस्या पर निबंध हिंदी

 Berojgari ki Samasya  पर केंद्र सरकारी की चुप्‍पी, युवा किससे कहे अपनी व्‍यथा, नींद से जागों सरकार… 

online desk, bhopal

भारत में बेरोजगारी की समस्या पर भयानक चुप्‍पी है. पिन ड्रॉप साइलेंस. कहीं कोई आवाज नहीं. देश का युवा तनाव में है. उसके सपने बिखर रहे है. इसकी चिंता किसी को नहीं है. युवा बेरोजगार होकर परिवार और राष्‍ट्र पर स्‍वयं को बोझ समझ रहा है. उसके दर्द की एक ही दवा है, नाैकरी. बस इस बात पर किसी राजनेता की आवाज नहीं निकलती है. कहने को केंद्र सरकार के पास 3 दर्जन से अधिक मंत्री है, लेकिन प्रधानमंत्री की बेरोजगार योजना पर एक शब्‍द कभी नहीं निकलते है. उनको भी पता है, बोलेंगे, तो कुर्सी ही जायेगी. साथ ही अगला चुनाव भी खतरे में पड़ जायेगा. लेकिन क्‍या इन मंत्रियों की राष्‍ट्र और देश के युवाओं के प्रति कोई जिम्‍मेंदारी नहीं है? अगर नहीं है, तो युवाओं अगला चुनाव 2 साल में होने वाला है. बता दे अपनी ताकत, आपके मुददों पर बात करने को मजबूर हो जायेंगे. हालत ये है कि देशभर का युवा सुबह से लेकर रात तक टिटिवटर पर नौकरी के लिए अपनी बात को ट्रेंड करा रहा है. कुछ उत्‍साही युवा सड़कों पर भी है, उनके खिलाफ सरकार दमन की कार्यवाही कर रही है. कोविड-19 प्रोटोकॉल के उल्‍लंघन पर जब युवाओं पर एफआईआर की कार्यवाही हो सकती है, तो जब सबसे ज्‍यादा कोरोना केस आ रहे थे, तब ये नेता हजारों की भीड़ लेकर सभा कर रहे थे, तब किसी आईपीएस या राज्‍य सेवा के पुलिस अफसरों को याद नहीं रहा कि ये भी कोविड प्रोटोकॉल तोड़ रहे है. मप्र के गृहमंत्री सार्वजनिक रूप से मास्‍क नहीं पहनते है, उनके अखबारों में आए दिन फोटो आते है, मजाल है कि कोई पुलिस अधिकारी उनके खिलाफ कार्यवाही की सोच भी ले…

Berojgari ki Samasya पर जमकर कोसा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को

देश के युवाओं को याद ही होगा, जब तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री नरेन्‍द्र मोदी किस तरह पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की सरकार पर बेरोजगारी को लेकर तंज कसते थे. उनका एक फेमस नारा याद ही होगा, बहुत हुई बेरोजगारी की मार, अबकी बार फलानी सरकार…आज क्‍यूं बात नहीं करते है, बेरोजगारी पर. जब युवा उनसे सीधे रूबरू बात करना चाहता है, तब वह मन की बात करते है, शाम को टीवी पर आकर जनसंदेश देते है, लेकिन कभी रोजगार की बात नहीं करते. बेरोजगारी और अर्थव्‍यवस्‍था पर डॉ. मनमोहन सिंह से तीखे सवाल पूछे जाते थे. तो फ‍िर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी से कोई भी सवाल करने से क्‍यूं डरते है. क्‍यों प्राइम टाइम हिंदु मुसिलम पर ही होता है…

10 हजार की नौकरी के लिए तरसे-बेरोजगारी की समस्या के कारण

;नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना ने देश के युवाओं को सड़क‍ पर ला दिया है. उद्योग धंधे तबाह हो चुके है. देश में प्रोडक्‍शन गिर रहा है, ऐसे हालात में बड़ी संख्‍या में फैक्‍ट्रीज में जॉब निकलते थे, वह भी 30 से 50 फीसदी तक कम हो गए. हालात ये है कि युवाओं को 10 हजार महिने की नौकरी तक नहीं मिल रही है. बावजूद सरकार फील गुड में है. 

हर दूसरा युवा नौकरी मांग रहा 

आप चाहे किसी भी सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म पर रोजगार से संबंधित पोस्‍ट डालो, युवा टूट पड़ते है. एक एक नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे है. हर दूसरा युवा नौकरी मांग रहा है. लेकिन उसी ग्रुप में जब नौकरी मांगने ( berojgari ki samasya ) के संबंध में ज्‍यादा पोस्‍ट आने लगते है, तो ग्रुप में अचानक से धर्म, समाज, हिन्‍दु-मुस्लिम वाले पोस्‍ट की संख्‍या अचानक बढ़ जाती है. महापुरूषों और पूर्व प्रधानमंत्री के बारे में झूठे कंटेन्‍ट पोस्‍ट किए जाते है, उन कंटेंट की कहीं पुष्टि नहीं होती है. क्‍योंकि वह कंटेंट तो किसी बंद कमरे में दसवीं फेल कोई हायर किया हुआ मानसिक बीमार व्‍यक्ति लिखता है. उन पोस्‍ट को देखकर जैसे युवाओं को लगता है धर्म खतरे में है, तो वह उछलता हुआ धर्म बचाने निकल जाता है, इस तरह नौकरी मांगने वाला युवा छला जाता है…

गरीब लोगों को मिली सजा-बढ़ती बेरोजगारी एक ज्वलंत समस्या

नौकरी जाने के बाद भुखमरी, पैसों के लिए मोहताजी अमीरों को नहीं गरीबों को देखने को मिली. नोटबंदी,कोरोना का असर ये हुआ कि देश में 80 करोड़ लोगों को राशन लेने को मोहताज होना पड़ा. एक समय ये भी रहा कि देश में लोग गरीबी रेखा से उपर आ रहे थे, केंद्र सरकारी की नीतियों के कारण देश में करोड़ों लोग बेरोजगारी रेखा से बहुत किलोमीटर नीचे चले गए. जिनको वापस उपर आने में बहुत साल लग सकते है.

अच्‍छे अर्थशस्‍त्री से लेना चाहिय सलाह-बेरोजगारी की समस्या कारण और निवारण

अब भी समय है सरकार को किसी अच्‍छे अर्थशास्‍त्री से सलाह लेकर देश को वापस पटरी पर लाने के प्रयास शुरू कर देना चाहिये. हिन्‍दु, मुस्लिम, चीन, पाकिस्‍तान, 370,  जातिवाद को फोकस में लाने के बजाय berojgari ki samasya पर ध्‍यान देना चाहिये. यह बात समझ लीजिये, जिस तरह से नौकरियां जा रही है, उसके समाज में दुष्‍परिणाम भी देखने को मिलेगा. केंद्र और राज्‍य सरकार को युद्व स्‍तर पर सभी सरकारी भर्तियों को तत्‍काल खोलने और समयबद्व तरीके से पूरा करने का खाका युवाओं के सामने रखना चाहिये. पूर्व की भर्तियों का निराकरण होना चाहिये. सालों से युवा नौकरी की आंस में दर दर भटक रहा है.

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