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क्‍या मध्‍यप्रदेश और बिहार में रोजगार का मुददा लोगों पर असर करेगा?

क्‍या मध्‍यप्रदेश और बिहार में रोजगार का मुददा लोगों पर असर करेगा?

– मध्‍यप्रदेश में एक के बाद एक सरकारी भर्ती के  नोटिफ‍िकेशन आ रहे है, तो दूसरी तरफ बिहार में सरकारी नौकरी के वादे

भोपाल. मध्‍यप्रदेश और बिहार राज्‍य में चुनाव चल रहे है. मध्‍यप्रदेश में उपचुनाव हो रहे हैं, तो बिहार में विधानसभा चुनाव. दोनों जगह सभी राजनीतिक दल एक के बाद एक बड़ी घोषणाएं कर रहे है. दोनों राज्‍यों में युवा इस चुनाव में निर्णायक माने जा रहे है.मध्‍यप्रदेश में 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव एक तरह से विधानसभा चुनाव का टी-20 माना जा रहा है.

जबकि बिहार राज्‍य में चुनाव वन डे सीरीज की तरह देखा जा रहा है. एक बात दोनों राज्‍यों में कॉमन दिखाई दे रही है. वह है बेरोजगारी। रोजगार के मुददे पर दोनों राज्‍यों में युवा वर्ग में आक्रोश दिखाई दे रहा है. मप्र में चुनाव के ठीक पहले हजारों  बेरोजगार युवाओं ने जंगी प्रदर्शन कर जता दिया था.

वहीं बिहार के युवा भी सोशल मीडिया और अन्‍य प्‍लेटफार्म पर केंद्र और राज्‍य सरकार को आईना दिखा चुके है. जब रेलवे की परीक्षा और ज्‍वाइनिंग को लेकर बिहार के युवाओं ने ताली और थाली बजाकर विरोध किया था, तब केंद्र सरकार भी सकते में आ गई थी.

युवाओं ने प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के टिवटर हैंडल को जिस तरह से डिसलाइक किया था, उसके बाद भाजपा को अपनी जमीन खिसकती दिखी थी.कुल मिलाकर देखे तो मध्‍यप्रदेश और बिहार में रोजगार के मुददे के आसपास चुनाव जाता हुआ दिख रहा है. जब‍ तक हिन्‍दू-मुसलमान, पाकिस्‍तान-चीन सहित अन्‍य मुददे नहीं आते है, तब तक बिहार में रोजगार का मुददा केंद्र में रह सकता है.

 

क्‍या तेजस्‍वी ने बिहार में रोजगार  के मुददे पर बाजी मार ली है

 

राष्‍ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्‍वी यादव ने बिहार चुनाव में एक बड़ी लाइन खींच दी है. इस लाइन के आसपास ही चुनाव हो रहा है. तेजस्‍वी यादव ने कहा है कि पहली केबिनेट में दस लाख नौकरी देंगे. इस मुददे पर चमत्‍कारिक रूप से काम कर दिया. जिस तरह से तेजस्‍वी यादव की सभाओं में भीड़ देखी जा रही है, उससे तो लगता है कि युवा तेजस्‍वी में अपना भविष्‍य देख रहे है.

जब दस लाख सरकारी नौकरी देने का वादा तेजस्‍वी यादव ने किया तो बिहार के उपमुख्‍यमंत्री सुशील मोदी का टिविट तो याद ही होगा. जब उन्‍होंने कहा था कि दस लाख सरकारी नौकरी देने के के लिए बजट ही नहीं है. सत्‍तर प्रतिश से अधिक बजट दस लाख सरकारी नौकरी देने में चला जायेगा. तब क्‍या अन्‍य काम कैसे होंगे.

सुशील मोदी ने तो दस लाख सरकारी नौकरी के वादे को सिरे से खारिज कर दिया था. वहीं बाद में जब भाजपा ने अपना घोषणा पत्र जारी किया तो 19 लाख रोजगार देने का वादा कर दिया.

19 लाख में से 4.5 लाख सरकारी नौकरी देने की बात कहीं. इसी तरह कांग्रेस, सीपीआई और जेडीयू ने भी सरकारी नौकरी देने का वादा कर दिया. लेकिन इस सबके बीच तेजस्‍वी यादव रोजगार के मुददे पर बाजी मारते दिख रहे है.

 

मध्‍यप्रदेश में सरकारी नौकरी के नोटिफ‍िकेशन धड़ाधड़, तो बिहार में रोजगार के वादे

 

मध्‍यप्रदेश में सरकारी नौकरी को लेकर शिवराज सरकार सतर्क हो गई है. उपचुनाव से पहले डैमेज कंट्रोल के लिए सरकारी नौकरी की अधिसूचना जारी की जा रही है. दो माह बाद आवेदन की तारिख वाले नौकरी के नोटिफ‍िकेशन निकाले जा रहे है. हांलाकि युवा वर्ग इससे खुश नहीं है.

उनका कहना था कि एक तो आचार संहिता के पहले सरकारी भर्ती निकाली नहीं गई. अब जब आचार संहिता में नौकरी निकाली गई है, तब उसमें आवेदन दो माह बाद भरने की तिथि दी गई है. ऐसे में जब दो माह बाद नौकरी देना थी, तो अभी उसे निकालने की आवश्‍यकता क्‍या थी.

आचार संहिता के पूर्व शिवराज सरकार ने जेल प्रहरी की भर्ती निकाली थी. इसके बाद स्‍वास्‍थ्‍य विभाग में प्रोफेसर और नर्स सहित अन्‍य पदों पर भर्ती निकाली. कुछ भर्ती सीधी तो कुछ संविदा भर्ती निकाली गई. वर्तमान में कृषि विभाग, गृह विभाग और अन्‍य विभागों में सरकारी भर्ती निकाली जा रही है.

 

कहीं रोजगार पर फ्रांस का मुददा हावी नहीं हो जाये

 

मध्‍यप्रदेश और बिहार में चुनाव के ठीक पहले फ्रांस की घटना मुददा बनती जा रही है. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी तो कांग्रेस पर निशाना साध चुके है. बिहार में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी रोजगार पर बात करने के बजाय जंगलराज, पाकिस्‍तान सहित मुददों पर बात करते है.

फ्रांस की घटना के बाद भारत में कुछ जगह पर समर्थन को लेकर प्रदर्शन करने के बाद राजनीतिक पार्टी और मीडिया इस मुददे को हाइप देने का प्रयास कर रहे है. अगर बिहार में चुनाव रोजगार से हटकर इन मुददों पर आ टिकता है, तो ये रोजगार के मुददे की हार होगी.

साथ ही उन युवाओं की हार भी होगी, जिनको लगता है रोजगार चुनावी मुददा बन सकता है. युवाओं को रोजगार के मुददे को जोरशोर से उठाना होगा.

 

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