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एसबीआई की रिसर्च में रोजगार घटने के आसार- बेतहाशा बढ़ सकती है बेरोजगारी, युवाओं का फूट सकता है गुस्‍सा…

एसबीआई की रिसर्च में रोजगार घटने के आसार- बेतहाशा बढ़ सकती है बेरोजगारी, युवाओं का फूट सकता है गुस्‍सा…

-रिपोर्ट में हैरान करने वाले तथ्य सामने आए,भाजपा शासित राज्यों में बेरोजगारी दर में भारी इजाफा

online desk, bhopal

 मोदी सरकार के पांच साल देश पर बहुत ज्यादा भारी पड़ गए। बिना सोचे नीतियां बनाई गई। सनक भरे फैसलों ने भारत को 20 साल पीछे धकेल दिया। अर्थ व्यवस्था को पहले ही रसातल में पहुंचा दिया। दे श में बेरोजगारों की संख्या में अनंत तक पहुंचा दी गई। बेरोजगारी दर को रिकार्ड  45 साल के उच्च स्तर पर पहुंचा दिया। अभी इसमें और इजाफा हो सकता है। हैरत की बात तो यह है कि सुशासन का दावा करने वाली भाजपा शासित राज्यों में बेरोजगारी की दर आसमान तक पहुंच गई है। जबकि कांग्रेस शासित राज्य मध्यप्रदेश में बेरोजगारी की दर निम्नतम स्तर तक पहुंच गई है। एसबीआई की रिसर्च में खुलासा हुआ है कि पिछले वित्त वर्ष (2018-19) के मुकाबले इस साल (2019-20) रोजगार के करीब 16 लाख अवसर घटने का अनुमान है। रिसर्च रिपोर्ट ईकोरैप में यह आशंका जताई गई है। इसके मुताबिक, अर्थव्यवस्था में सुस्ती की वजह से रोजगार प्रभावित हो रहे हैं। असम, बिहार, राजस्थान, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में पैसे भेजने (रेमिटेंस) में कमी आने से पता चलता है कि कॉन्ट्रैक्ट वाले काम घट रहे हैं। 5 साल में उत्पादकता वृद्धि दर 9.4ः से 9.9ः के बीच रही। ऐसे में सालाना इंक्रीमेंट भी कम होने की आशंका है।

चिदंबरम ने कहा एसबीआई की रिसर्च में आए आंंकडों से कहीं भड़क ना जाये युवा

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि अगर इसी तरह बेरोजगारी बढ़ती रही और तनख्वाह कम होती रही, तो डर है कि युवाओं और छात्रों का गुस्सा भड़क उठे। देश पहले ही सीएए और एनपीआर के विरोध में है। महंगाई बढ़ना और अर्थव्यवस्था कमजोर होना देश के लिए और भी बड़ा खतरा है।

एसबीआई की रिसर्च और ईपीएफओ आंकडों के मुताबिक 39 हजार सरकारी नौकरियां कम होगी

ईपीएफओ के आंकड़ों के मुताबिक, 2018-19 में देश में 89.7 लाख रोजगार बढ़े, लेकिन 2019-20 में इस आंकड़े में 15.8 लाख की कमी आ सकती है। ईपीएफओ के आंकड़ों में 15,000 रुपए तक वेतन वाले काम शामिल होते हैं। ईकोरैप रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल से अक्टूबर 2019 तक 43.1 लाख नए कर्मचारी जुड़े। इस आधार पर वित्त वर्ष खत्म होने तक (मार्च तक) यह आंकड़ा 73.9 लाख रहने का अनुमान है। ईपीएफओ के आंकड़ों में सरकारी और प्राइवेट नौकरियां शामिल नहीं होतीं, क्योंकि इनकी गिनती नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में होती है। लेकिन, मौजूदा ट्रेंड को देखते हुए एनपीएस के तहत आने वाले रोजगारों में भी इस साल 39,000 मौके कम होने का अनुमान है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक 2018 में आत्महत्या करने वालों में 12 हजार से ज्यादा लोग बेरोजगारी के परेशान थे।

एसबीआई की रिसर्च के अनुसार अब वेतन भी कम मिलेगा 

एसबीआई की रिसर्च  रिपोर्ट में कहा गया है कि दिवालिया प्रक्रिया में पहुंचे केसों के निपटारे में देरी की वजह से कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट वाले काम और घटा सकती हैं। पिछले कुछ सालों में यह देखा गया है कि आजीविका के लिए दूसरे राज्यों में जाकर काम के विकल्प तलाशने का चलन बढ़ा है। असमान विकास की वजह से कृषि और औद्योगिक रूप से कम विकसित राज्यों के लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्यों का रुख करते हैं। जैसे उत्तरप्रदेश, बिहार, दक्षिणी मध्यप्रदेश, ओडिशा और राजस्थान के श्रमिक पंजाब, गुजरात और महाराष्ट्र का रुख करते हैं। प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार के सबसे ज्यादा मौके दिल्ली में होते हैं। देश की जीडीपी ग्रोथ जुलाई-सितंबर तिमाही में घटकर सिर्फ 4.5ः रह गई। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय का अनुमान है कि पूरे वित्त वर्ष (2019-20) में ग्रोथ सिर्फ 5ः रहेगी। ऐसा हुआ तो यह 11 साल में सबसे कम होगी। इससे कम 3.1ः ग्रोथ 2008-09 में दर्ज की गई थी, उस वक्त दुनियाभर में मंदी आई थी।

देश में बेरोजगारी दर में  त्रिपुरा नंबर वन

आर्थिक मामलों पर रिसर्च करने वाली संस्था सेंटर फॉर माॅनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक 13 जनवरी 2020 की स्थिति के अनुसार देश में बेरोजगारी दर 7.6ः है। शहरी इलाकों में यह 9.4ः और ग्रामीण इलाकों में 6.7ः तक पहुंच गई है। दिसंबर 2019 तक के राज्यों के आंकड़ों के मुताबिक, देश में सबसे ज्यादा 28.6ः बेरोजगारी दर त्रिपुरा में है, दूसरे नंबर पर हरियाणा (27.6ः) और तीसरे पर हिमाचल प्रदेश (20.2ः) है।

राज्य                              दिसंबर 2019 में बेरोजगारी दर
त्रिपुरा                            28.6ः
हरियाणा                       27.6ः
हिमाचल                       20.2ः
झारखंड                        17ः
राजस्थान                     15ः
जम्मू-कश्मीर              12.5ः
दिल्ली                        11.2ः
बिहार                         10.7ः
उत्तर प्रदेश                  9.4ः
छत्तीसगढ़                 5.4ः
महाराष्ट्र                     4.9ः
गुजरात                      4.4ः
मध्यप्रदेश                  3.9ः
कर्नाटक                    0.9ः
असम असम
(आंकड़े सेंटर फॉर माॅनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक)

बेरोजगारी दर 45 साल में सबसे ज्यादा

जनवरी 2019 में राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के दो सदस्यों पीसी मोहनन और जीवी मीनाक्षी ने इस्तीफा दे दिया था। दोनों ने सरकार द्वारा बेरोजगारी रिपोर्ट जारी नहीं करने के विरोध में इस्तीफा दिया था। कुछ ही दिन बाद नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की रोजगार से जुड़ी एक रिपोर्ट लीक हुई। इसमें बताया गया कि 2017-18 में बेरोजगारी दर 45 साल में सबसे ज्यादा 6.1ः के स्तर पर पहुंच गई। ग्रामीण क्षेत्रों में यह 5.3ः और शहरी क्षेत्र में सबसे ज्यादा 7.8ः रही। इनमें नौजवान बेरोजगार सबसे ज्यादा थे, जिनकी संख्या 13ः से 27ः थी। 2011-12 में बेरोजगारी दर 2.2ः थी। 2016 की नोटबंदी के बाद रोजगार से जुड़ा यह पहला सर्वे था। हालांकि, तब नीति आयोग ने इन आंकड़ों को अपुष्ट बताया था। लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत और नई सरकार बनने के बाद केंद्र ने मई ने बेरोजगारी के यही आंकड़े जारी किए थे।

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