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क्लर्क भर्ती: मध्‍यप्रदेश में 1992 में 8 लाख क्‍लर्क थे, घटकर 2.5 लााख रह गए…

क्लर्क भर्ती: मध्‍यप्रदेश में 1992 में 8 लाख क्‍लर्क थे, घटकर 2.5 लााख रह गए…

– लंबे समय  से नहीं हुई क्‍लर्क की नई भर्ती, छिटपुट भर्ती के विज्ञापन निकालकर सरकार प्रशंसा बटोरती है, लेकिन क्‍लर्क के संपूर्ण रिक्‍त पदों को नहीं भरती है…

भोपाल. मध्‍यप्रदेश सरकार ने सरकारी क्‍लर्क की नई भर्ती, नियुक्ति की प्रक्रिया, योग्‍यता और नए पद व प्रमोशन के साथ, कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए 4 सदस्‍यीय कमेटी का गठन किया है. 

यह कमेटी बतायेगी कि भविष्‍य में निचले स्‍तर पर अमले की कितनी जरूरत है, और उनके काम करने के तरीकों में क्‍या सुधार करना होगा. 

जानकर हैरत होगी कि क्‍लर्क भर्ती और उसके कामकाज में सुधार के लिए 28 साल बाद यह कमेटी बनाई गई है.

 इससे पहले 1992 में सुंदरलाल पटवा सरकार  के समय कमेटी का गठन किया गया था. तब अविभाजित मध्‍यप्रदेश में 8 लाख से अधिक क्‍लर्क काम कर रहे थे.

 जबकि वर्तमान समय में 2 से 2.5 लाख क्‍लर्क काम कर रहे है. 28 साल में कांग्रेस की दस साल और बाकी समय भाजपा की सरकार रही है. इन सरकारों ने आवश्‍यकतानुसार लिपिक वर्ग की भर्ती नहीं की. 

इस वजह से जो लिपिक अभी काम कर रहे है, उन पर कार्य का भार बढ़ गया है. सरकार आउटसोर्स कर्मचारियों के सहारे अपने सारे काम को कर रही है. जबकि आउटसोर्स कर्मचारियों को बहुत कम वेतन दिया जा रहा है. 

क्लर्क भर्ती:-विषय विशेषज्ञ बाबूओं की भारी कमी

वर्ष 2000 में मध्‍यप्रदेश के दो हिस्‍से हो गए. एक मध्‍यप्रदेश बना तो दूसरा छत्‍तीसगढ़. छत्‍तीसगढ़ बनने के बाद मप्र में शासकीय विभागों की संख्‍या 52 थी, जो बढ़कर 64 हो गई है. 

इस दौरान कर्मचारियों की संख्‍या निरंतर कम होती गई है. प्रदेश में विषय विशेषज्ञ बाबूओं की भारी कमी है. 

कमेटी पर यह जिम्‍मेंदारी भी है कि वह क्‍लर्क संवर्ग का किस तरह से उपयोग करने की सिफारिश करती है. जिसे भविष्‍य में क्‍लर्क संवर्ग में काम कर रहे लोगों में असंतोष की भावना नहीं पनपे. 

क्लर्क भर्ती:-इस पर फोकस करेगी कमेटी

कमेटी वर्तमान में विषय विशेषज्ञों से बात कर यह जानने का प्रयास करेगी कि क्‍लर्क से क्‍या क्‍या काम लिए जा सकते है. साथ ही ये देखेगी कि क्‍लक पूराने ढर्रे पर काम कर रहे है, या बीते सालों में उनके काम में कुछ सुधार हुआ है. 

क्‍लर्क को  मल्‍टीटास्किंग बनाने पर विचार होगा. इसी तरह आने वाले समय में कितने बाबूओं की आवश्‍यकता होगी, उसके लिए पात्रता और भर्ती की प्रक्रिया क्‍या होगी.

 क्‍लर्क की क्षमता और स्किल को कैसे बढ़ाया जा सकता है. प्रमोशन के लिए क्‍या नीति बनाई जाये. इन सभी बिन्‍दुओं पर कमेटी विचार करेगी और अपनी सिफारिशें सरकार को दो माह में सौंप देगी. सिफारिशों के आधार पर पीईबी भर्ती करेगी.

बड़े पैमाने पर छंटनी की तैयारी

राज्‍य सरकार 20:50 का फार्मुला (20 साल की सर्विस और 50 साल की आयु) लागू कर कार्य में अक्षम कर्मचारियों को वीआरएस देकर उनको सेवा से बाहर करने जा रही है. 

इस तरह बड़ी संख्‍या में सभी संवर्ग में पदों पर छंटनी की आशंका है. इसके बाद इन पदों पर उच्‍च शिक्षित और हाइली टैलेंटेड लोगों को सरकारी नौकरी में अवसर देने के लिए नई नीति बनाई जायेगी…

कमेटी में सभी सरकारी लोग

लिपिक संवर्ग के लिए बनाई गई कमेटी में आईएएस अधिकारी है. कर्मचारियों का प्रतिनिधित्‍व करने वाला कोई नहीं है.

 ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि कमेटी की सिफारिशें कितनी कर्मचारी हितेषी हो सकती है? 

वर्तमान में नौकरशाही से लिपिक वर्ग बहुत परेशान है. लेकिन सरकार में उसकी सुनवाई नहीं है. 

परिवीक्षा अवधि से नए कर्मचारी परेशान

कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के एक आदेश से क्‍लक भर्ती में चयनित नए कर्मचारी परेशान है. कमलनाथ सरकार ने तीन साल की परिवीक्षा अवधि निर्धारित की है. 

कर्मचारियों को पहले साल 70 प्रतिशत, दूसरे साल 80 प्रतिशत, तीसरे साल 80 प्रतिशत और चौथे साल 100 प्रतिशत वेतन दिया जा रहा है….

आबादी के अनुपात में नहीं हुई क्‍लर्क भर्ती

वर्ष 2000 के बाद मध्‍यप्रदेश में तेजी से आबादी में बढ़ोतरी हुई. सरकार ने नई भर्ती उस अनुपात में नहीं की, जिस अनुपात में प्रदेश में जनसंख्‍या में वृद्वि हुई है.

 इसलिए छोटे से छोटे काम के लिए लोगों को रिश्‍वत देने को मजबूर होना पड़ता है…

 

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