गवर्नमेंट जॉब्स इन एमपी नौकरी मांगने का अनोखा आंदोल 4 सितंबर को, भर्ती नहीं तो वोट नहीं
भोपाल। मध्यप्रदेश का युवा हताश है। नाराज है। चिंतित है। परेशान है।
परिवार से लेकर समाज उसे ही कोस रहा है। वह किसे कहे, जिसको करना है, प्रचार में व्यस्त है।
मप्र की पूरी सरकार चुनाव प्रचार में व्यस्त है। प्रचार और झूठे वादों से तंग आकर मध्यप्रदेश के युवा अब अपनी ताकत दिखाने जा रहे है।
अहिंसक रूप से आंदोलन कर अपनी बात सरकार के सामने रखने का मन बना चुके है।
मप्र की राजधानी भोपाल में 4 सितंबर को सीएम हाउस के सामने हजारों युवा जमा होने जा रहे है।
चुंकि रोजगार का विषय चुनाव के पहले ही महत्व रखता है।
हालांकि भारतीय जनता पार्टी के चुनाव प्रचार के सामने यह मुददा भी दम तोडता जा रहा है।
कमिटेड वोटर्स वाली पार्टी अब बिना नौकरी दिए ही भी सरकार में बनी रह सकती है।
इस बात को समझते हुए युवा भी अब ज्यातिरादित्य सिंधिया की तरह सडकों पर उतरने का मन बना चुके है।
मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिगिविजय सिंह बेरोजगारों के साथ है।
उन्होंने बेरोजगारों की चिंता को समझते हुए सरकारी भर्ती खोलने के लिए उनका समर्थन किया।
हैरत की बात तो यह है कि गूगल में प्रतिमाह 40 हजार से अधिक लोग गवर्नमेंट जॉब्स इन एमपी सर्च करते है। लेकिन रोजगार किसी को भी नहीं मिल पा रहा है।
दो साल में एक व्यक्ति को भी नहीं मिली मप्र में सरकारी नौकरी (गवर्नमेंट जॉब्स इन एमपी)
क्या आप जानते है मप्र में दो सालों में एक भी व्यक्ति को सरकारी नौकरी नहीं मिली है।
यह कांग्रेस और बीजेपी की सरकार के लिए शर्म की बात नहीं है।
दो साल में अभी जेल प्रहरी के लिए 226 पदों पर सरकारी भर्ती निकली है।
वर्ष 2018 में निकली शिक्षक भर्ती वर्ग एक और दो की भर्तियां अब तक संपन्न नहीं हो पाई।
महिला पर्यवेक्षक भर्ती, एसआई भर्ती, सबइंजीनियर भर्ती का बेसब्री से इंतजार है।
(गवर्नमेंट जॉब्स इन एमपी) पुलिस भर्ती के इंतजार में चंबल के युवा
ग्वालियर चंबल संभाग में आने वाले समय में उपुचनाव होने वाले है।
यहां बेरोजगारी बडा मुददा बन सकता है। इन संभागों के लाखों बच्चे पुलिस भर्ती की तैयारी कर रहे है।
लेकिन पुलिस की भर्ती नहीं निकाली जा रही है। इस बात को लेकर यहां का युवा बहुत नाराज है।
प्रदेश में तीन साल से भर्ती नहीं होने से युवाओं में निराशा की भावना घर कर गई है।
अकेले भिंड जिले में ही लॉक डाउन और नौकरी नहीं मिलने से 28 युवाओं ने आत्महत्या की है।
हालांकि इसका सरकार पर कोई असर नहीं दिखा है।
गवर्नमेंट जॉब्स इन एमपी-माई का लाल की तरह भारी पड सकता है पहले नहीं होती थी आत्महत्याएं
मप्र के ग्रह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से जब प्रदेश के बेरोजगार युवा मिले और उन्होंने बताया कि पुलिस भर्ती नहीं होने से युवा आत्महत्या कर रहे है।
तो इस पर मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने संवेदना जताने के बजाय कह दिया कि पहले नहीं होती थी क्या आत्महत्याएं।
वैसे यह मंत्री मिश्रा का आत्मविश्वास है। जो उन्होंने इतना तीखा बयान दिया।
ये तो समय बतायेगा कि माई के लाल जैसा साबित नहीं हो जाये नरोत्तम मिश्रा का बयान।
गवर्नमेंट जॉब्स इन एमपी- कई विभागों में बारह सालों से नहीं हुई भर्तियां
वर्ष 2008 में सामान्य प्रशासन विभाग में भर्ती हुई थी। इसके बाद इस विभाग में भर्ती नहीं निकली।
यहां आउटसोर्स पर लोगों को रखा जा रहा है। आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है।
वहीं डिस्टिक्ट कम्यूनिटी मोबीलाइजर और ब्लॉक डवलपमेंट प्रोग्राम मेनेजर की भर्ती 12 सालों से नहीं हुई है।
इसी तरह आदिमजाति कल्याण विभाग में भी आखरी भर्ती 2008 में ही हुई थी।
वाणिज्यकर विभाग में जरूरत नहीं है क्या?
वर्ष 2009 में वाणिज्य कर विभाग में आईटी ऑपरेटर के पदों भर्ती हुई थी।
इसी तरह मप्र बीज निगम विभाग में सहायक बीज अधिकारी के पद 11 साल पहले भर्ती निकली थी।
वर्ष 2009 से अब तक 11 वर्षों में राजस्व विभाग में भर्ती नहीं हुई है। जबकि यहां डेटा ऑपरेटरों की बहुत पद खाली है।
जीरो ईयर बने दो साल
मप्र सरकार ने वर्ष 2010 और 2019 में एक भी परीक्षा नहीं कराने का अनोखा रिकार्ड बनाया है।
ये दोनों साल बेरोजगार युवाओं के लिए जीरो ईयर साबित हुए है।
वहीं 2020 में केवल जेल प्रहरी की भर्ती का नोटिपिफकेशन आया है।
जेल प्रहरी की भर्ती नहीं आती तो 2020 भी जीरो इयर बन सकता था।
इन विभागों में भर्ती का लंबे समय से इंतजार
प्राप्त जानकारी के अनुसार खेल एवं युवक कल्याण विभाग, आबकारी विभाग,आरटीओ विभाग, क़षि विभाग, मत्स्य विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, एमपी स्टेट टूरिज्म विभाग, आयुष विभाग, कौशल विकास संचालनालय विभाग, आर्थिकी एवं साख्यिकी विभाग, आयुष विभाग, डेयरी फेडरेशन विभाग, लोक निर्माण विभाग, वनरक्षक, पटवारी, शिक्षक भर्ती का युवा लंबे समय से इंतजार कर रहे है।
पुलिस भर्ती की लेटेस्ट आपडेट
पुलिस भर्ती को लेकर राज्य सरकार द्वारा किए गए तमाम दावें झूठे है। ग़हमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने चार हजार से अधिक पदों पर भर्ती करने का दावा किया गया था।
लेकिन भर्ती फाइलों में ही होगी। दरअसल सिपाही भर्ती कैसे होगी, इसकी नियमावली जीएडी को भेजे तीन महिने होने को आ रहे है।
जिस पर अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है। सामान्य परिस्थितियों में भर्ती प्रक्रिया में आठ से दस माह लग जाते है।
पुलिस भर्ती प्रक्रिया अब नए साल में शुरू होने की उम्मीद की जा रही है।
पेडिंग है पुलिस की भर्तियां
मप्र में 2016 की मांग पर वर्ष 17 में पुलिस की भर्तियां हुई थी। इसके बाद के वर्षों में पुलिस की भर्तियां नहीं हुई है।
राज्य शासन के पास पुलिस भर्ती के प्रस्ताव अटके हुए है। इन प्रस्तावों पर से कोई धूल हटाने को तैयार नहीं है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने (गवर्नमेंट जॉब्स इन एमपी ) प्रतिवर्ष पांच हजार पुलिस भर्ती निकालने का दावा किया था।
जो अब भी वादा बना हुआ है। पेडिंग भर्तियों पर कोई वीसी भी नहीं हो रही है।
नोट- तपोभूमि क्लासेस से कुछ कंटेंट लिए गए है।