Employment News

क्‍या आप एम्प्लॉयमेंट का अर्थ समझते है? क्‍या आप सरकारी नौकरी को संविदा करने के हक में है?

क्‍या आप एम्प्लॉयमेंट का अर्थ समझते है? क्‍या आप सरकारी नौकरी को संविदा करने के हक में है?

online desk, bhopal

क्‍या आप सहीं मायने में एम्प्लॉयमेंट का अर्थ  समझते है, अगर समझते तो आप ये नहीं होने देते. एम्प्लॉयमेंट का अर्थ होता है, रोजगार, वह भी सभी को. सभी को सम्‍मानजनक तरीके से काम के अवसर देने को हम एम्प्लॉयमेंट कह सकते है. हांलाकि सम्‍मानजनक रोजगार अब सुनने में ही अच्‍छा लगता है.वह समय चला गया है कि जब सबके पास अच्‍छी सैलरी वाला रोजगार होता था. ये समय कुछ हद तक 2008 से 2016 की शुरूआत तक था, जब तक देश में नोटबंदी नहीं लगाई गई थी. उसके बाद लगातार रोजगार कम हुआ है. अब हालात यह है कि राज्‍य सरकारें सरकारी नौकरी देने के बजाय संविदा नौकरी ला रही है. संविदा नौकरी एक तरह से ठेके वाली नौकरी ही है. जब तक मजदूर से काम लेना था, तब तक रखा ओर बाद में धक्‍के देकर बाहर कर दिया.दरअसल उत्‍तरप्रदेश सरकार के द्वारा सरकारी नौकरी को पहले पांच साल तक संविदा पर करने का प्रस्‍ताव तैयार किया है. कहने का अर्थ है कि अगर आप सरकारी नौकरी के लिए चयनित हुए हो तो पहले पांच साल बिना सरकारी सुविधाओं के एक नियत वेतनमान पर संविदा पर नौकरी करना होगा। ग्रुप बी एवं ग्रुप सी के पदों पर यह व्‍यवस्‍था लागू होगी। कार्यपालिक एवं न्‍यायिक सेवाओं को इस व्‍यवस्‍था से अलग रखा जायेगा। पांच वर्ष की कठिन संविदा सेवा के दौरान जो छंटनी से बच पायेंगे, उनको मूल नौकरी दे दी जायेगी। यूपी की योगी आदित्‍यनाथ नाथ की सरकार कैबिनेट के समक्ष विचार के लिए इस तरह का प्रस्‍ताव लाने जा रही है। विभागों से इस पर सलाह मशविरा लेना शुरू कर दिया है। सुनने में आ रहा है कि रोजगार के मुददें पर सरकार घिरने के कारण इस प्रस्‍ताव को ठंडे बस्‍ते में डाल दिया है. हालांकि आज नहीं तो कल ये सरकार जरूर करेगी.

 क्‍या है वर्तमान सरकारी नौकरी की व्‍यवस्‍था

 वर्तमान में सरकार अलग अलग भर्ती प्रक्रिया से चयन के बाद संबंधित संवर्ग की सेवा नियमावली के अनुसार एक या दो वर्ष के प्रोबेशन पर नियुक्ति देता है। इस दौरान कर्मचारी को नियमित कर्मी की तरह वेतन व अन्‍य लाभ दिए जाते है। वे वरिष्‍ठ अफसरों की निगरानी में काम करते है। नियमित होने पर वे नियमानुसार अपनी जिम्‍मेंदारी को संभालते है। 

 क्‍यों की जा रही सरकारी नौकरी संविदा पर 

 सरकारी नौकरी पर चयन के संविदा पर रखने के लिए अजीब तर्क दिया जा रहा है। सरकार की सोच है कि नई व्‍यवस्‍था के बाद कर्मचारी में दक्षता, नैतिकता, देशभक्ति एवं कर्तव्‍यपरायणता के मूल्‍यों का विकास होगा। साथ ही सरकार पर वित्‍तीय भार भी कम होगा।

मूद्रास्‍फीति पर आधारित वेतन

 संविदा पर नियुक्‍त व्‍यक्ति को समूह ख एवं ग के संबंधित पद पर राज्‍य सरकार द्वारा निर्धारित मूद्रास्‍फीति आधारित वेतन दिया जायेगा। 5 वर्ष की संविदा अव‍धि निर्धारित शर्तो पर पूर्ण होने पर नियमानुसार मौलिक नियुक्ति दी जायेगी।   

 गुजरात का मॉडल, जिसे कोर्ट ने खारिज किया था

 गुजरात में नरेंद्र मोदी ने यह सिस्टम लागू किया। फिक्स पे सिस्टम कहते हैं। फिक्स पे सिस्टम में लोग कई साल तक काम करते रहे। पुलिस से लेकर शिक्षक की भर्ती में। उनकी सैलरी नहीं बढ़ी और न परमानेंट हुए। वहां पर करीब चार लाख कर्मचारी फिक्स सिस्टम के तहत भर्ती किए गए। 14 साल तक मामूली वेतन वृद्धि पर काम करते रहे। 2012 में गुजरात हाईकोर्ट ने फिक्स पे सिस्टम को ग़ैर कानूनी घोषित कर दिया।   यह केस सुप्रीम कोर्ट गया। गुजरात सरकार ने चुनौती दी। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप इन्हें समान वेतन नहीं दे सकते तो खुद को दिवालिया घोषित कर दें।  तब गुजरात सरकार के सोलिसिटर जनरल ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के हिसाब से कर्मचारियों को वेतन दिया गया तो सरकार को 8000 करोड़ खर्च करने पड़ेंगे। बिहार में भी इसी तरह की व्यवस्था चल रही है। वहां शिक्षक इस व्‍यवस्‍था के खिलाफ आंदोलन कर रहे है। हालांकि उनकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है। 

 

About the author

Bhaskar Jobs

Leave a Comment