Mediaassist -If you are going to make a career in the media, then definitely read this news …
Special note -article is given below in Hindi.
Bhopal- If you are going to make your career in journalism in India, then definitely think once. If you are inspired by seeing a big journalist and anchor, then it is important to know about their lifestyle.
If you think that journalists can meet Prime Minister, Chief Minister, big IAS officer, big business men, celebrity, star player easily because of their influence, then it is absolutely correct. This is the bright part of the whole picture, which is seen by all. But the second part of the picture that no one can see from outside. Actually there is a very bad situation in the regional and national media.
The first thing that any student while studying, thinks about where he sees himself in the next ten years after getting a job. Even after working ten years in the media sector, you can find yourself from where you started. Because your experience in the media field is irrelevant.
For example, you have studied mechanical engineering, and you have been working in ten production units. When you apply for a job in another company, your ten years of experience is counted, but in the media one has to start again after quitting or being fired.
At one time, among the big journalists of India, there are many journalists including Punyaprasun Vajpayee, Abhisar Sharma, Vinod Dua, who have reached the darkness of oblivion. There is no one to take his name.
What work does a journalist do?
Even today, the journalist is asked, what are you doing. What is work From this you can understand that people have a general opinion about the journalist. A newspaper usually has three parts. Desk, Reporting and Marketing. Reporting and desk section is for journalists.
Reporting involves the journalist going to his field or beat to cover the news. Daily events in the beat, called Rutin news. A reporter also has to cover a special story in his beat. When a reporter covers a news and files it, then all the editors sitting at the desk read it and correct it.
The error is posted on the desk and the news is put on the page. After this, a PDF of the page is made and sent for printing. Newspaper marketers are also required. Salesmen work to sell newspaper space and bring new ads. This is how the newspaper operates broadly.
Now let’s talk about electronic media. Also in electronic media, field report, input head and marketing. Field Reporters file news by writing or covering. Input news is corrected and broadcasted by adding value to it.
work hours-
Working hours of journalists are not fixed. Normally one has to work for twelve to fourteen or sometimes fifteen hours. This is the situation, even when people are celebrating holidays, the journalist is still working. In a way, the social life of journalists is badly affected. Generally, the journalist is not even able to attend the family program.
the wages-
The biggest question is how much is the salary of journalists. We tell you, you initially get eight to ten thousand journalists working in B Town. There are no allowances in this. In this, journalists have to withdraw money for coverage and for running a family. Having experience and changing the institute earns more salary, but does not allow it to compete in competition.
If you are getting fifty thousand rupees in journalism at any time, then in the same time your partner working in another sector is getting more than three times salary even if you work in less time than you. That too with Social Security. This is the bitter truth.
Journalists with glitter-
Now let’s talk about journalists who can be counted on fingers. Those who live with pride Actually they do not do journalism. He is a marketing manager in a way. They broker for newspaper owners or channel owners. Brokers between the government and the newspaper. Very sharp criticism, but true. That is why the brightness of any one person did not get dizzy. For those whose family situation is such, who can live a life of rest without doing anything, journalism can be a little easier for him.
Journalist Institute Fraud-
Most journalistic institutions cheat in the name of teaching journalism. Two to three lakh rupees are charged from the student in the name of fees, but they are not able to get the placement done. Even if you are employed somewhere, students are not ready to work in low salary. The big channels which are also running educational institutions of journalism, they do not even provide jobs.
Selected good institutions –
There are also some good institutes for making career in media in India, whose academic level is better than other institutions. By the way, we do not claim that by studying in these institutes, you can get a good job. Pass out from these institutions can get admission by talking to the students. The list is given below, please read…
1. Symbiosis Institute of Media and Communication, Pune.
2.Lady Shriram College of Women Delhi.
3.Christ University of Bengaluru.
4. St. Xavier’s College, Mumbai.
5. Madras Christian College.
6. Safia College of Women, Mumbai.
7. Institute of Mass Communication and Media Technology, Kurukkshetra University.
8.Delhi College Art and Commerce.
9. Kamla Nehru College for Women, Delhi
10. Indian Institute College of Mass Communication, Delhi.
11. Makhanlal Journalism College, Bhopal.
Mediaassist-आप मीडिया में केरियर बनाने जा रहे हैं, तो एक बार ये समाचार जरूर पढ़िये…
भोपाल। भारत में पत्रकारिता (media) में अपना केरियर बनाने जा रहे हैं, तो एक बार जरूर सोच लीजिये। अगर आप किसी बड़े पत्रकार और एंकर को देखकर प्रेरित हो रहे है, तो उनकी लाइफस्टाइल के बारे में जान लेना जरुरी है।
युवाओं की पसंद में नही पत्रकारिता की जाॅब
आप सोचते है कि पत्रकार (Mediaassist) अपने रसूख के कारण प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, बडे आईएएस ऑफिसर, बड़े बिजनेस मेन, सेलीब्रेटी, स्टार खिलाड़ी से बड़े आसानी से मिल सकते है, तो बिल्कुल सही है। पूरी पिक्चर का ये उजला भाग है, जो सभी देखते है। लेकिन पिक्चर का दूसरा भाग जो बाहर से कोई नहीं देख पाता है। असल में प्रादेशिक और राष्ट्रीय मीडिया में बहुत ही बूरे हाल है।
सबसे पहली बात जो कोई भी विद्यार्थी पढ़ाई करते हुये सोचता है, कि एक बार जॉब लगने के बाद आने वाले दस सालों में खुदको कहां देखता है। मीडिया सेक्टर में आप दस साल काम करने के बाद भी स्वयं को वहीं पा सकते हो, जहां से शुरू किये हो। क्योंकि मीडिया क्षेत्र में आपके अनुभव के कोई मायने नहीं है।
उदाहारण के तौर पर आपने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की हो, और आप दस किसी प्रोडक्शन यूनिट में काम करते रहे हो। जब आप जॉब करने के लिये किसी दूसरी कंपनी में अप्लाय करते हो तो आपके दस साल के अनुभव को गिना जाता है, लेकिन मीडिया में एक बार नौकरी छोड़ने या निकाले जाने के बाद फिर से शुरूआत करना पड़ता है।
किसी समय भारत के बड़े पत्रकारों (Mediaassist) में शुमार पुण्यप्रसून वाजपेयी, अभिसार शर्मा, विनोद दुआ सहित बहुत पत्रकार है, जो गुमनामी के अंधेरों में पहुंच गये है। उनका कोई नाम लेने वाला नहीं है।
पत्रकार क्या काम करता है-
आज भी पत्रकार (Mediaassist) से पूछा जाता है, करते क्या हो। काम क्या है। इससे आप समझ सकते है कि पत्रकार के बारे में लोगों की सामान्य राय है। अखबार में सामान्यतः तीन भाग होते है। डेस्क, रिपोर्टिंग और मार्केटिंग। रिपोर्टिंग और डेस्क सेक्शन पत्रकारों के लिये होता है।
रिर्पोटिंग में पत्रकार (Mediaassist) अपनी फील्ड या बीट में जाकर समाचार कवर करता है। बीट में रोज होने वाली घटनाओं, जिसे रुटिन समाचार कहा जाता है। एक रिर्पोटर को अपनी बीट में स्पेशल स्टोरी भी कवर करना होता है। जब कोई रिर्पोटर कोई समाचार कवर करके उसे फाइल करता है, तब उस समाचार को डेस्क पर बैठे सब एडिटर्स पढ़कर सुधारते है।
डेस्क पर त्रुटि सुधार कर पेज पर समाचार लगाया जाता है। इसके बाद पेज की पीडीएफ बनाकर प्रिटिंग के लिये भेज दिया जाता है। अखबार में मार्केटिंग करने वालों की भी आवश्यकता होती है। सेल्समेन अखबार की स्पेस को बेचने व नये एड लाने का काम करते है। इस तरह मोटे तौर पर अखबार का संचालन होता है।
अब बात करते है इलेक्ट्रानिक मीडिया की। इलेक्ट्रानिक मीडिया में भी फील्ड रिर्पोटर, इनपूट हैड और मार्केटिंग की । फील्ड रिर्पोटर बाईट या कवर करके समाचार फाइल करते है। इनपूट वाले समाचार को ठीक कर उसमें वैल्यू एडीशन करके प्रसारित करने का काम करते है।
काम के घंटे-
पत्रकारों (Mediaassist) के काम के घंटे कुछ फिक्स नहीं होते है। सामान्यतौर पर बारह से चौदह या कभी पंद्रह घंटे तक काम करना होता है। हालत ये होती है, जब लोग छुटिटयां मना रहे होते है, तब भी पत्रकार काम कर रहा होता है। एक तरह से पत्रकारों की सोशल लाईफ बूरी तरह से प्रभावित होती है। सामान्यतः पत्रकार कहीं परिवारिक कार्यक्रम तक शामिल नहीं हो पाता है।
वेतन-
सबसे बड़ा सवाल ये है कि पत्रकारों (Mediaassist) का वेतन कितना होता है। हम बताते है, आपको बी टाउन में काम करने वाले पत्रकार को शुरू में आठ से दस हजार मिलते है। इसमें किसी तरह के भत्ते नहीं मिलते है। इसमें पत्रकारों को कवरेज करने के लिये पैसा और परिवार चलाने के लिये पैसा निकालना होता है। अनुभव होने और संस्थान बदलने पर अधिक वेतन मिलता है, लेकिन वो प्रतियोगिता के दौर में बराबरी नहीं करने देता है।
अगर आप पत्रकारिता में किसी समय पचास हजार रुपये पा रहे हो, तो उतने समय में किसी दूसरे सेक्टर में काम करने वाला आपका साथी आपसे कम समय में काम करने पर भी तीन गुना से ज्यादा वेतन पा रहा होता है। वो भी सोशल सिक्योरिटी के साथ। ये कड़वीं सच्चाई है।
चमक दमक वाले पत्रकार-
अब बात करते है, उंगलियों पर गिने जा सकने वाले पत्रकारों (mediaassist) की। जो शानो शौकत से रहते है। असल में वे पत्रकारिता नहीं करते है। वो एक तरह से मार्केटिंग मैनेजर हैं। वो अखबार के मालिक या चैनल के मालिकों के लिये दलाली करते है। सरकार और अखबार के बीच के दलाल। बहुत तीखी आलोचना है, लेकिन सहीं है। इसलिये किसी एक व्यक्ति की चमक दमक के चक्कर में नहीं आये। जिसकी पारिवारिक स्थिति ऐसी है, जो बिना कुछ किये भी आराम की जिंदगी बसर कर सकता है, उसके के लिये पत्रकारिता थोड़ी आसान हो सकती है।
पत्रकारिता संस्थान धोखेबाज-
अधिकांश पत्रकारिता संस्थान पत्रकारिता सिखाने के नाम पर धोखेबाजी करते है। छात्र से फीस के नाम पर दो से तीन लाख रुपये फीस वसूलते है, लेकिन प्लेसमेंट तक नहीं करा पाते है। कहीं नौकरी लगाते भी है, तो छात्र कम सैलरी में काम करने को तैयार नहीं होते है। बड़े चेनल जो पत्रकारिता के शिक्षण संस्थान भी चला रहे हैं, वो अपने यहां तक नौकरी नहीं देते है।
चुनिंदा अच्छे संस्थान-
भारत में मीडिया में केरियर (mediaassist) बनाने के लिये कुछ अच्छे संस्थान भी है, जिनका एकेडमिक स्तर बाकी संस्थानों से बेहतर है। वैसे इसमें हमारा दावा नहीं है कि इन संस्थानों में पढ़ाई करके आप अच्छी नौकरी पा सकते हो। इन संस्थानों से पास आऊट छात्रों से बात करके प्रवेश पा सकते है। सूर्चा नीचे दी गई है, कृप्या पढ़िये…
1. सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया एंड कम्यूनिकेशन, पूणे।
2.लेडी श्रीराम कॉलेज ऑफ वूमन दिल्ली।
3.क्राईस्ट यूनिवर्सिटी ऑफ बेंगलुरू।
4. सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई।
5. मद्रास क्रिश्चयन कॉलेज।
6.सेफिया कॉलेज ऑफ वुमन, मुंबई।
7. इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन एंड मीडिया टेक्नोलॉजी, कुरुकक्षेत्र यूनिवर्सिटी।
8.दिल्ली कॉलेज आर्ट एंड कार्मर्स
9. कमला नेहरू कॉलेज फॉर वुमन, दिल्ली
10. इंडियन इंस्टीट्यूट कॉलेज ऑफ मास कम्यूनिकेशन, दिल्ली।
11. माखनलाल पत्रकारिता महाविद्यालय, भोपाल
इंडियन इंस्टीट्यूट कॉलेज ऑफ मास कम्यूनिकेशन, दिल्ली की वेबलिंक दी जा रही है, कृप्या देखिये…