MGNREGA

Mgnrega -मास्टर डिग्री युवा कहां लगे दिहाड़ी में, पढ़िये और समझिये उनकी दुर्दशा…

Mgnrega -मास्टर डिग्री युवा कहां लगे दिहाड़ी में, पढ़िये और समझिये उनकी दुर्दशा…

कोरोना काल में आपको वो दिन देखने को मिल जायेगे, जो आपको सामान्य दिनों में देखने को नहीं मिलते। इस समय रोजगार की ये हालत हो गई है, कि मास्टर डिग्री धारी युवाओं को गांवों में कुदाल, फावड़ा लिये मजदूरी करते हुये देखा जा सकता है।

 

जयपुर के पास एक गांव में पढ़े लिखे युवा मनरेगा में काम के लिये खुद को रजिस्टर कराये है। इन लोगों में अपना जॉब कार्ड भी बनाये है। यहां तक वाणिज्य या अन्य दूसरे विषय में मास्टर डिग्री वाले युवा मजदूर बन गये है।

Migrant labour – नौकरी के लिये रोजगार सेतु पर कराये रजिस्ट्रेशन, यहां मिलेगी पूरी जानकारी

 

राजस्थान सरकार के मुताबिक करीब 40 लाख लोगों को मनरेगा के तहत गांवों में काम दिया जा रहा है। इनमें बड़ी संख्या में पढ़े लिखे युवाओं की संख्या है।

 

मनरेगा के तहत काम कर रहे एमकॉम की डिग्री वाले संजय कुमार ने बताया कि पहले शहर में कंम्प्यूटर ऑपरेटर थे, वहां लगभग बारह हजार रुपये वेतन आसानी से मिल जाता था। कोरोना के कारण नौकरी चली गई। बचत थी, वो शहर से गांव आने में खर्च हो गई। ऐसे में गांव में घर की जरुरत पूरी करने के लिये मनरेगा में काम मिल रहे था, तो चले आये काम करने।

 

एक अन्य युवा विजय सिंह जो बीएड किये हुये है, बताते है कि पहले एक स्कूल में पढ़ाता था। स्कूल में भी पगार कम मिलती थी, घर मुश्किल से चलता था। लोकिन गर्मियों में कोरोना काल में छुटिटयों में कोई घर पर बैठाकर सैलरी नहीं दे रहा था। क्या करता गांव आ गया और मनरेगा में मजदूरी करने लगा।

 

गांव में ही रहने वाले संजय सोनी कहते है कि उसने बीए तक पढ़ाई की है। कोई काम नहीं मिल रहा था। इसलिये सोचा मनेरगा में काम मिल रहा हेै, तो करने में क्या हर्ज है।

 

मनरेगा बना सहारा-

कोरोना काल में असंगठित क्षेत्र के करीब बारह करोड़ लोग बेरोजगार हो गये है। ये वो लोग है, जो शहरों में छोटे मोटे काम करके अपना और अपने परिवार का गुजारा करते थे। लेकिन कोरोना के कारण रोजगार धंधे चौपट हो गये। इस कारण से बेरोजगारों की संख्या में भारी इजाफा हो गया।

 

यूपीए सरकार के समय चलाई गई मनरेगा योजना आज गरीबों के लिये सहारा बन गई है, मप्र में 23 लाख और राजस्थान में 40 लाख गरीब लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया गया है। इसी तरह अन्य राज्यों में रोजगार दिया जा रहा है।

 

Manrega nic com-

मनरेगा की ऑफिशियल (official) वेबसाईट Manrega nic . In को गुगल पर जाकर सर्च कर योजना के बारे में जान सकते है। यहां पर मजदूरी ( wages) के बारे में जान सकते है।

Manrega up-

यूपी (उत्तर प्रदेश) सरकार द्वारा मनरेगा के अंतर्गत लाखों लोगों को रोजगार दे रही है। अगर आप यूपी में रहते है, और मनरेगा के तहत काम करना चाहते है, तो इस लिंक पर क्लिक कर रजिस्ट्रेशन करा सकते है।

Mgnrega ap-

एपी (आंध्र प्रदेश) सरकार द्वारा मनरेगा के अंतर्गत लाखों लोगों को रोजगार दे रही है। अगर आप आंध्र प्रदेश में रहते है, और मनरेगा के तहत काम करना चाहते है, तो इस लिंक पर क्लिक कर रजिस्ट्रेशन करा सकते है।

Mgnrega full form-

(Mgnrega full form) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA) है। इस योजना के द्वारा रोजगार दिया जाता है।

Mgnrega job card-

Mgnrega जॉब कार्ड बनाने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी दी जा रही है। जॉब कार्ड बनाने के लिये ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्य, ग्राम पंचायत के पास एक तस्वीर के साथ अपना नाम, उम्र और पता जमा करना होगा। जांच के बाद पंचायत, घरों को पंजीकृत करता है और एक जॉब कार्ड प्रदान करता है।

 

जॉब कार्ड में, पंजीकृत वयस्क सदस्य का ब्यौरा और उसकी फोटो शामिल होती है। एक पंजीकृत व्यक्ति, या तो पंचायत या कार्यक्रम अधिकारी को लिखित रूप से (निरंतर काम के कम से कम चौदह दिनों के लिए) काम करने के लिए एक आवेदन प्रस्तुत कर सकता है। आवेदन दैनिक बेरोजगारी भत्ता आवेदक को भुगतान किया जाएगा। Mgnrega के अंतर्गत जॉब कार्ड बनाने के लिये लिंक पर क्लिक कर बना सकते है।

मनरेगा योजना की संपूर्ण जानकारी-

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 7th सप्टेंबर 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया। यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है जो प्रतिदिन 220 रुपये की सांविधिक न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य-सम्बंधित अकुशल मजदूरी करने के लिए तैयार हैं। 2010-11 वित्तीय वर्ष में इस योजना के लिए केंद्र सरकार का परिव्यय 40,100 करोड़ रुपए था।

 

इस अधिनियम को ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों के लिए अर्ध-कौशलपूर्ण या बिना कौशलपूर्ण कार्य, चाहे वे गरीबी रेखा से नीचे हों या ना हों। नियत कार्य बल का करीब एक तिहाई महिलाओं से निर्मित है।

 

सरकार एक कॉल सेंटर खोलने की योजना बना रही है, जिसके शुरू होने पर शुल्क मुक्त नंबर 1800-345-22-44 पर संपर्क किया जा सकता है। शुरू में इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) कहा जाता था, लेकिन 2 अक्टूबर 2009 को इसका पुनः नामकरण किया गया।

 

यह अधिनियम, राज्य सरकारों को “मनरेगा योजनाओं” को लागू करने के निर्देश देता है। मनरेगा के तहत, केन्द्र सरकार मजदूरी की लागत, माल की लागत का 3/4 और प्रशासनिक लागत का कुछ प्रतिशत वहन करती है।

 

राज्य सरकारें बेरोजगारी भत्ता, माल की लागत का 1/4 और राज्य परिषद की प्रशासनिक लागत को वहन करती है। चूंकि राज्य सरकारें बेरोजगारी भत्ता देती हैं, उन्हें श्रमिकों को रोजगार प्रदान करने के लिए भारी प्रोत्साहन दिया जाता है।

 

हालांकि, बेरोजगारी भत्ते की राशि को निश्चित करना राज्य सरकार पर निर्भर है, जो इस शर्त के अधीन है कि यह पहले 30 दिनों के लिए न्यूनतम मजदूरी के 1/4 भाग से कम ना हो और उसके बाद न्यूनतम मजदूरी का 1/2 से कम ना हो। प्रति परिवार 100 दिनों का रोजगार (या बेरोजगारी भत्ता) सक्षम और इच्छुक श्रमिकों को हर वित्तीय वर्ष में प्रदान किया जाना चाहिए।

 

इस अधिनियम के तहत पुरुषों और महिलाओं के बीच किसी भी भेदभाव की अनुमति नहीं है। इसलिए, पुरुषों और महिलाओं को समान वेतन भुगतान किया जाना चाहिए। सभी वयस्क रोजगार के लिए आवेदन कर सकते हैं।

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