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mp state obc welfare commissions को constitutional status होने से कोन सी शक्तियां प्राप्‍त है, जाने…

Online Desk,Bhopal


MP State Obc Welfare Commissions: आज हम आपको करंट अफेयर्स (current affairs) से संबंधित एक प्रश्‍न के बारे में बताने जा रहे है, जो पीएससी के सिलेबस (mppsc syllabus) में भी है, और वह करंट अफेयर्स से संबंधित भी है. इस प्रश्‍न को पूछे जाने की संभावना भी ज्‍यादा है. दरअसल राज्‍य सरकार के द्वारा कानून में संशोधन कर मध्यप्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक और न्‍यायिक शक्तियां दी है.मध्यप्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्राप्‍त होने से कोन सी शक्तियां प्राप्‍त होती है, जाने…

 पहला राज्य जिसने MP State Obc Welfare Commissions को दिया संवैधानिक दर्जा

मध्य प्रदेश सरकार ने मध्यप्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (mp state obc welfare commissions) अधिनियम 1995, में संशोधन कर, मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक  दर्जा (constitutional status) देने के लिए 9 मार्च को मप्र के पिछड़ा वर्ग कल्‍याण मंत्री (mp obc minister ram khilawan patel)  रामखिलावन पटेल ने विधानसभा में बिल प्रस्‍तुत किया. संविधान के अनुच्छेद 338(बी) के अनुरूप, आयोग को गठित करने के लिए 3 अप्रेल 2021 को, मध्यप्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (संशोधन) अधिनियम 2021 प्रकाशित किया. मई माह में राज्‍यपाल के द्वारा बिल (bill) को कानून का रूप दिया. नए संशोधन के अनुसार पिछड़ा वर्ग आयोग में 5 गैर सरकारी सदस्य होगे, जो पिछड़े वर्गो से संबंधित विशेषज्ञता या ज्ञान रखते हो. इन सदस्‍यों में से एक अध्यक्ष, एक उप-अध्यक्ष, सहित दो अन्य सदस्य पिछड़ा वर्ग से होगे. जिनमे  एक सदस्य महिला होगी ! आयोग में कुल 5 सदस्य होंगे. 

MP State Obc Welfare Commissions को मिली सिविल न्यायालय के अनुरूप शक्तियां-

नवगठित आयोग संविधान के प्रावधानों के अनुसार कार्य एवं शक्तियों का प्रयोग  करेगा ! पिछड़ा वर्ग से संबंधित समस्त नीतियों पर राज्य सरकार आयोग के परामर्श/सलाह से काम  करेगी ! जानकारी के मुताबिक भारत सरकार द्वारा 102 वां संविधान संशोधन कर, अनुच्छेद 338(बी) जोड़कर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देते पिछड़े वर्ग के विषयों पर व्यापक शक्तिया दी गई है, जो (NCBC) के नाम से जाना जाता है. आयोग को सिविल न्यायालय (civil court) के अनुरूप शक्तियां प्रदान की गई है. पिछड़ा वर्ग से संबंधित किसी भी विषय पर  शिकायत प्राप्त होने पर संबंधित सरकार/प्राधिकारीयों को सिविल न्यायालयों की भांति समन (summons) जारी कर साक्ष्य लेने तथा आवश्यक निर्देश देने की शक्तिया प्राप्त हो गई है. वहीं  नियमों के विरुद्ध की जाने वाली  भर्ती प्रक्रिया (selection process) पर अंतरिम (स्टे) आदेश देने की भी शक्तियां प्राप्त है.

आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने में इनकी महत्‍वपूर्ण भूमिका

(mp state obc welfare commissions) मध्यप्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (संशोधन) अधिनियम 2021 के अनुरूप आयोग का गठन किए जाने के ओबीसी एडवोकेट्स वेल्फेयर एसोसिएशन द्वरा राज्य सरकार को अभ्यावेदन भेजा था. एसोसिएशन का कहना है कि लंबे समय से राज्य में पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन ही नही किया गया था, जिससे पिछड़ा वर्ग के लिए कल्‍याण के लिए योजनाएं नहीं बन पा रही थी और न ही 27 प्रतिशत आरक्षण (27 percent reservation) का लाभ 50 फीसदी आबादी को मिल पा रहा था. आयोग को संवैधानिक और न्‍यायिक शक्तियां (constitutional and judicial power) प्राप्‍त होने के बाद पिछड़ा वर्ग के लोगों को परीक्षाओं में प्रतिनिधित्‍व मिल सकेगा…


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