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…क्‍या कभी हम प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी से रोजगार के विषय पर राष्‍ट्र के नाम संदेश सुनेंगे

…क्‍या हम कभी प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी से रोजगार के विषय पर राष्‍ट्र के नाम संदेश सुनेंगे

भोपाल.                                       प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी कभी देश के युवाओं की आवाज थे. युवा जो सोचते थे, प्रधानमंत्री वो बात बोल देते थे. आज हालात बिल्‍कुल उलट है. युवा लंबे समय से प्रधानमंत्री से उम्‍मीद कर रहे है कि वह एक दिन रोजगार के विषय पर राष्‍ट्र के नाम संदेश जारी करेंगे. युवाओं के भविष्‍य को लेकर उनके दिल की बात कहेंगे. नरेन्‍द्र मोदी को प्रधानमंत्री बने करीब 6 साल होने को आ गए है. लेकिन एक बार भी प्रधानमंत्री मोदी ने बेरोजगार और सरकारी भर्तियों पर एक शब्‍द नहीं बोला है. यह बात युवाओं को निराश कर रही है.देश के करोड़ों युवा चाहते है कि प्रधानमंत्री इस विषय पर बोले और जरूर बोले. युवा सोशल मीडिया पर अपील भी कर रहे है, लेकिन पीएम इस पर मौन है.

                                             गंभीर बात यह है कि बीते दो सालों से युवा विभिन्‍न मंचों पर जाकर अपनी बात रख रहे है. विपक्ष भी लगातार इस विषय को सोशल मीडिया पर उठा रहा है. सारा देश देश में घटते रोजगार संसाधन और रिक्‍त सरकारी पदों पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की राय को सुनना चाहता है, लेकिन पीएम सहित उनकी सरकार का कोई भी मंत्री इस विषय पर बात ही नहीं करता है.

देश का युवा सोशल मीडिया पर एक तरफा जबरदस्‍ती के कटेंट पर बहस नहीं करना चाहता है. वह सरकारी नौकरी की चाहत रखता है, वह प्रायवेट नौकरी में बढ़े हुए पैकेज की मांग करता है, वह अपना और अपने परिवार के रहन सहन के स्‍तर को बढ़ाना चाहता है. युवाओं की इस सोच को दूसरे गैर जरूरी मुददों की आड़ में दबा दिया जा रहा है.

                                       एक बात गौर करने वाली है कि कोविड-।9 के कारण लगे लॉक डाउन में करोड़ों लोगों की नौकरियां गई है. लाखों लोगों के रोजगार ठप हुए है. जबकि इन लोगों के उपर होमलोन, कार लोन, पर्सनल लोन सहित कई तरह के लोन है. नौकरी जाने के बाद ये लोग अपनी ईएमआई तक नहीं भर पा रहे है. जब‍कि निजी या सरकारी बैंक लोन जमा करने के लिए रोज रोज तकादा कर रहे है. ऐसे में लाखों करोड़ों लोग जिनके पास नौकरी नहीं है, वो निराशा में जाते जा रहे है.

                                     प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को कम से कम युवाओं की मांग को ध्‍यान में रखते हुए रिक्‍त पदों पर जल्‍द से जल्‍द सरकारी भर्ती निकालना चाहिये. कोविड-।9 के कारण माता पिता के पास सैलरी नहीं आने के कारण बच्‍चों की स्‍कूल कॉलेज की फीस जमा नहीं हो पा रही है. सरकार को इस बारे में राहत देना चाहिये. छोटे धंधे करने वाले और असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे मजदूरों के लिए कुछ करना चाहिये. अगर ये हालात नहीं सुधरे तो देश में आत्‍महत्‍याओं की संख्‍या बढ़ जायेगी. 

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