SUSCCESS STORY IN HINDI

success story around innovation- 22 साल का लड़का, 28 दिन विदेश यात्रा, 16 लाख का पैकेज, ढाई करोड़ की कार

success story around innovation- 22 साल का लड़का, 28 दिन विदेश यात्रा, 16 लाख का पैकेज, ढाई करोड़ की कार

भोपाल। जिस उम्र में हम जैसे औसत लोग परिवार दोस्त, गर्लफ्रेन्ड या फिल्मी दुनियां में गुम होते है, ठीक उसी उम्र में कोई इतनी सफलता अपने दम पर पा लेता है, जिसके बारे में सोचने पर कई बार खुद पर ही शर्म आने लगती है।

लेकिन क्या हम बात नहीं करेंगे तो सच्चााई छिप जायेगी। बिल्कुल नहीं, अच्छा होगा कि हम उस लड़के से प्रेरणा ले, उसके संघर्ष को समझे। हम उसके बारे में बताने जा रहे हैं, जो 30 दिन में 28 दिन हवाई यात्रा करता है।

उसके पास पैसे की कोई कमी नहीं है। 16 लाख का पैकेज मिला हुआ है। आने जाने के लिए ढाई करोड़ की कार है। आराम करने के लिए 5 बीएचके वाला घर या विला कहे, मिला हुआ है।

अब और जीवन में क्या चाहिये। राजयोग शायद इसी को कहते होंगे। दोस्तों ये किसी रईसजादे की कहानी नहीं है, जिसे ये विरासत में मिला हो।

ये भारत के एक गरीब लड़के की कहानी है, जो अपनी प्रतिभा के दम पर दुनियां के आकाश में चमक रहा है।

फ्रांस की सरकार ने भारत के युवा वैज्ञानिक को अपने यहां नौकरी के लिए आमंत्रित किया है।

फ्रांस की सरकार उसका सारा खर्च उठाने को तैयार है, लेकिन देश प्रेमी युवक ने विनम्रता से इतने बड़े ऑफर को अस्वीकार कर दिया है, क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रक्षा अनुसंधान विकास संगठन डीआरडीओ में उसके संविलियन करने के आदेश दिए है।

आईए, वह बालक कौन है, उसके बारे में जानते है-

 

भाग एक-

Mysore  कर्नाटक के निकट दूरस्थ ग्रामीण अंचल में कदईकड़ी में जन्मा बालक। पिता की आय महज 2000 रूपये मासिक। बचपन से electronic उपकरणों के प्रति रूचि।

प्राथमिक कक्षा से ही निकट के साइबर कैफे में जाता और दुनिया भर की एविएशन स्पेस वेबसाइट में डूबा रहता। टूटी फूटी भाषा में वैज्ञानिकों को ई मेल भेजता।

वह इंजीनियरिंग करना चाहता था, पर आर्थिक स्थिति दयनीय होने के कारण बीएससी भौतिक करना पड़ा।

छात्रावास शुल्क अदा न करने के कारण उसे वहां से निकाला गया। वह मैसूर बस स्टैंड पर सोता और सार्वजनिक टॉयलेट का उपयोग करता।

उसने अपनी मेहनत से (success story around innovation) कंप्यूटर लैंग्वेज का ज्ञान प्राप्त किया और ई वेस्ट के माध्यम से drones बनाना सीखा।

अभी तक 600 से ज्यादा drones बना चुके इस बालक को पहला drones बनाने के लिए 80 बार प्रयत्न करना पड़ा था।

 

success story around innovation- भाग दो-

 

आईआईटी दिल्ली में drones competion में भाग लेने train  के जनरल क्लास में गया, द्वितीय स्थान प्राप्त किया।

जापान में आयोजित विश्व drones प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए उसे अपनी थीसीस चेन्नई के प्रोफेसर से अनुमोदित कराना पड़ा, जिसे यह लिखने में दक्ष नहीं है, टिप्पणी के साथ अनुमोदित कर दिया गया।

जापान जाने के लिए रू. 60000 रूपयों की जरूरत थी, जिसे मैसूर के एक व्यक्ति द्वारा उसके flight tickets  स्पॉन्सर कर दिए।

उपरी खर्च के लिए उसने अपनी मां का मंगलसूत्र बेचकर व्यवस्था की। जब वह जापान उतरा तो उसकी जेब में मात्र 14 सौ रूपए थे।

आयोजन place  तक जाने के लिए महंगी बुलेट train  से टिकट ले पाना संभव नहीं था। 16 places पर लोकल train  बदलते बदलते और अंत के 8 किलोमीटर पैदल चलते हुए वह आयोजन place  तक पहुंचा, जहां 127 देशों के प्रतियोगी भाग ले रहे थे।

जब परिणाम घोषित किया जा रहा था तो उसमें टॉप टेन के 10 वें नंबर से 2 तक उसका नाम नहीं आया तो वह निराश होकर वापस जाने लगा…

तभी जज ने घोषित किया प्रताप गोल्ड मेडलिस्ट भारत, वह खुशी से उछल पड़ा उसने अपनी आंखों से यूएसए का ध्वज उतरते और भारत का national flags तिरंगा उपर जाते हुए देखा। पुरस्कार स्वरूप् उसे 10,000 डॉलर प्रदान किए गए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई  दी-

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कर्नाटक के विधायक और सांसदों ने भी उसे बधाईयां दी।

आज यह प्रतिभाशाली बालक रक्षा अनुसंधान और रक्षा विकास संगठन में वैज्ञानिक के पद पर सेवारत है।

यह और कोइ नहीं, अपने नाम के अनुरूप प्रताप दिखाने वाला प्रताप ही है। जी हां प्रताप। प्रतिभा प्रलाप नहीं करती, प्रयास करती है और प्रतिष्ठा अर्जित करती है। पैसा जरूरी है पर  पैशन उससे भी ज्यादा जरूरी।

 

आर्टिकल सोर्स- श्री शंकर लाल ताम्रकार

Article Source-Shri shankar lal Tamrakar

 

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