MPPSC OBC RESERVATION

एमपीपीएससी 2019 की प्रारंभिक परीक्षा के मामले में अंतिम सुनवाई 17 जून 2021 को 

मध्‍यप्रदेश में एमपी-पीएससी सहित परीक्षाओं में ओबीसी आरक्षण कितना होगा, यह अभी तय नहींं, कोर्ट के द्वारा सुनवाई की तिथि तय नहीं की…

-एमपीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा का चुनौती देने वाली समस्‍त 32  याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई की तिथि अभी निर्धारित नहीं हुई है, संभवत: 17 जून के बाद हाईकोर्ट के द्वारा कोई तिथि निर्धारित की जा सकती है…

Online desk, jabalpur

मध्यप्रदेश जबलपुर हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण को 14 से 27 फीसदी करने को लेकर लगी समस्‍त 32 याचिकाओं की अंतिम सुनवाई के लिए ऑफ‍िशियल अभी कोई तिथि निर्धारित नहीं की है.इस मामले में अप्रैल में सुनवाई होना था, लेकिन कोविड संक्रमण के कारण सुनवाई की तिथि में बदलाव किया गया था. अधिवक्‍ता रामेश्‍वर सिंह ठाकुर के द्वारा 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने कें संबंध में पक्ष रख रहे है, वहीं जो इसके विरोध में है, वह 27 फीसदी आरक्षण को दिए जाने को संविधान सम्‍मत नहीं मानते हुए माननीय न्‍यायालय में अपनी दलील रख रहे है. प्रदेश के लाखों छात्र इस मामले में जल्‍द सुनवाई होकर फैसला चाहते है. गौरतलब है कि पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने ओबीसी आरक्षण की सीमा को 14 फीसदी से 27 फीसदी करने का निर्णय लिया था. उस समय आरक्षण सीमा में संशोधन को मंजूरी दी थी. जैसे ही यह निर्णय हुआ, बहुत सारे लोगों ने इसके विरोध में याचिकाएं लगा दी.इस वजह से लंबे समय तक एमपीपीएससी प्रीलिम्‍स का परिणाम घोषित नहीं हुआ. छात्रों के दबाव के आगे झुककर एमपीपीएससी ने दिसंबर माह में प्रीलिम्‍स का परिणाम घोषित कर दिया था. मार्च माह 2021 में मुख्‍य परीक्षा भी करा ली गई थी. अब मुख्‍य परीक्षा का परिणाम आने वाला है. छात्र भी चाहते है कि मुख्‍य परीक्षा के परिणाम के पहले मामले में कोई निर्णय हो. हालांकि इस मामले में अदालत में अंतिम सुनवाई के बाद ही कोई फैसला आने की उम्‍मीद है.

मप्र पिछड़ा वर्ग ने मांगा है जवाब, ओबीसी आरक्षण कितना है?

 वर्तमान में मध्‍यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी लागू है. इस आधार पर सभी भर्ती परीक्षाओं में नियुक्तियां होना है. हालांकि एमपीपीएससी ने प्रीलिम्‍स के परिणाम में 27 फीसदी आरक्षण का पालन नहीं किया है. इसको लेकर मप्र पिछड़ा वर्ग आयोग ने पीएससी ने जवाब मांगा है. इधर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा मराठा आरक्षण को खारिज कर दिया है. 

एमपीपीएससी 2019 की प्रारंभिक परीक्षा के मामले में अंतिम सुनवाई 17 जून 2021 को 

मप्र हाईकोर्ट में पीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2019 के परिणाम को चुनौती देने वाली 43 याचिकाओं पर 17 जून को अंतिम सुनवाई होगी. मुख्‍य न्‍यायमुर्ति ने यह निर्देश अधिवक्‍ता रामेश्‍वर‍ सिंह ठाकुर की ओर से अर्जेंट सुनवाई के आवेदन का निराकरण करते हुए दिया है. हाईकोर्ट में पीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2019 के रिजल्‍ट और परीक्षा नियम 2015 के खिलाफ प्रदेशभर से याचिकाएं दायर की गई है. कोरोना संक्रमण के कारण इन याचिकाओं पर सुनवाई नहीं होने पर अर्जेंट सुनवाई का आवेदन दायर किया गया है. अधिवक्‍ता रामेश्‍वर सिंह ठाकुर ने बताया कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा प्रशासनिक पदों की भर्ती के लिए नवंबर 2019 में विज्ञापन विज्ञापन जारी किया गया था. यह परीक्षा जनवरी 2020 में आयोजित कराई गई थी. उस समय तत्कालीन सरकार द्वारा 17 फरवरी 2020 को मध्य प्रदेश प्रशासनिक सेवा भर्ती परीक्षा नियम 2015 में संशोधन करके यह प्रावधान किया गया था, कि आरक्षण का लाभ अंतिम चयन में दिया जाएगा.  उपरोक्त याचिकाओं में मध्य प्रदेश लोक मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा 2019 के प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम की संवैधानिकता को चुनौती सहित मध्यप्रदेश शासन द्वारा परीक्षा भर्ती नियम 2015 में किए गए संशोधन, दिनांक 17 फरवरी 2020 की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है.  उक्त याचिकाओं में माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा दिनांक 21 जनवरी 2021 अंतरिम आदेश पारित कर निर्देशित किया गया था, कि परीक्षा 2019 की संपूर्ण प्रक्रिया याचिका क्रमांक 807 के निर्णय अधीन रहेगी.  इसके बावजूद भी पीएससी द्वारा मुख्य परीक्षा संपन्न करा ली गई, तथा उक्त परीक्षा के परिणाम भी घोषित होने वाले हैं.  इन समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए माननीय न्यायालय में याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर द्वारा प्रकरणों की त्वरित सुनवाई का निवेदन किया गया था, जिसे माननीय न्यायालय द्वारा स्वीकार करते हुए प्रकरणों की अंतिम सुनवाई हेतु 17 जून दिन गुरुवार निर्धारित की हैl  याचिकाओं में प्रमुख बिंदु यह है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इंदिरा साहनी के प्रकरण में 9 सदस्य सुप्रीम कोर्ट जजों द्वारा निर्णय के पैरा क्रमांक 811 में मेरिट लिस्ट चयन सूची बनाने का तरीका उल्लेखित किया गया है, उक्त तरीके को सुप्रीम कोर्ट तथा विभिन्न हाई कोर्ट द्वारा अभी तक किसी भी निर्णय में परिवर्तन नहीं किया गया है. लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने जो संशोधन किया है, वह  इंदिरा साहनी में पारित निर्णय से असंगत है, क्योंकि यह पहला उदाहरण है कि अन्य पिछड़ा वर्ग की कट ऑफ मार्क्स की सूची में 146 अंक तथा अनारक्षित वर्ग का भी कट ऑफ अंक 146 को लिखित किया गया है. जबकि यह संभव नहीं है. समान कटाव होने से जो आरक्षित वर्ग के कम अंक प्राप्त करने वाले छात्र हैं, उन्हें मुख्य परीक्षा में सम्मिलित होने का मौका नहीं मिल पाया. जो कि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों सहित आरक्षण नियमों एवं संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है. 

 मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण कितना है, और उसका प्रतिशत 

24 दिसंबर 2019 के अनुसार, अनुसूचित जनजाति को 20 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 16 फीसदी, अन्‍य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 प्रतिशत, परंतु जिला स्‍तर के पद पर सामान्‍य प्रशासन विभाग द्वारा जारी जिलेवार आरक्षण रोस्‍टर लागू होगा.  वर्ष 2019 में ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़़ाकर 27 फीसदी किया गया था. जिसे कोर्ट के द्वारा स्‍टे दिया गया था.  

  आपको आर्टिकल पंसद आये तो कमेंटस जरूर करना और अपने दोस्‍तों तक शेयर जरूर करना… 

 

Fb page से जुड़े Click here 
टेलीग्राम पर जुड़े Click here 
ट्विटर पर फॉलो करे Click here 
LinkedIn पर कनेक्शन बनाएं Click here 

About the author

Bhaskar Jobs

Leave a Comment