भोपाल। भारत में दलित उत्पीड़न अत्याचार (harassment workplace) कोई नहीं बात नहीं है।
सदियों से होता आया है। इसके सबुत भारत के इतिहास में देखे जा सकते है।
लेकिन जब भारत आजाद हुआ तो एक संविधान अंगीकार किया गया।
इस संविधान ने भारत के सभी नागरिकों को एक समान सुविधाएं दी है। कोई जाति से उंचा नहीं होगा और कोई नींचा नहीं।
सभी समान अधिकार देकर एक बेहतर नागरिक होने की कामना की गई। लेकिन जातिगत सोच ऐसी है वह जाति नहीं है।
अब भारत के बाहर का एक मामला सामने आया है। दुनिया की प्रख्यात समाचार एजेंसी रायटर ने अपनी वेबसाईट पर मंगलवार 30 जून को एक खबर प्रकाशित की।
सिस्कों के कर्मचारियों पर उत्पीड़न (harassment workplace) का आरोप-
रायटर ने अपनी खबर मे बताया कि बडी टेक्नोलाॅजी कंपनी सिस्को में एक दलित कर्मचारी का उत्पीडन हुआ है।
इस संबंध में अमेरिकी कोर्ट में एक मुकदमा भी दायर हुआ है।
अमेरिका में जातिगत उत्पीडन पर कड़ी कार्यवाही का प्रावधान है। बताया जाता है कि सिस्को ने दो प्रबंधकों को एक भारतीय अमेरीकी नागरिक को प्रताड़ित करने की अनुमति दी है।
क्योंकि वह एक निचली जाति से है। सैन जोंस में संघीय अदालत में दायर मुकदमा में कथित पीड़ित का नाम नहीं है।
वह अक्टूबर 2015 से सिस्को के सैन जोंस मुख्यालय में इंजीनियर रहा है।
उसका जन्म दलित समाज में हुआ है।
सिलिकाॅन वैली में हजारों भारतीय करते है नौकरी-
गौरतलब है कि सिलिकाॅन वैली में हजारों की संख्या में अप्रवासी नौकरी करते है। इनमें अधिकांष ब्राहम्ण या अन्य पिछड़ी जाति के लोग है।
सिस्को के दो पूर्व इंजीनियरों पर जातिगत उत्पीडन करने का आरोप लगा है।
इन दोनों इंजीनियरों पर सिस्को में आंतरिक रूप जातिगत व्यवस्था को लागू करने के आरोप लगते रहे है।
अनोखा मामला-
उल्लेखानीय है कि विदेश की किसी कंपनी में जाॅब कर रहे लोगों के बीच जातिगत उत्पीड़न का मामला बिल्कुल अनोखा है।
क्योंकि वहां पर जो भी लोग जाॅब कर रहे हैं, वह अपने टैलेंट के दम पर AAYE है।
इस तरह कह सकते है कि लोग भले ही विदेश जाये या कहीं पर उनकी मानसिकता में जातिगत द्ववेश भरा हुआ है।
भारत में दलित को कार्यालय में या शादी के समय उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।
कई बार तो पुलिस की मौजूदगी में बारात को रवाना करने की नौबत आती है। इस तरह ये भारत मे तो आम है, लेकिन विदेश में जाति गत उत्पीड़न के मामले बहुत ही कम देखने को मिलते है।