Film Making

Carrier in Film Making :-फ‍िल्‍म मेकिंग में करियर बनाना चाहते है, तो एक बार इस आर्टिकल को पढे़

 Film Making Career : सभी को शाहरूख, अक्षय या रितिक ही बनना है… कोई नवाज, नसीर, बोमन, अनुराग, संजय, विजयराज, रोहित शेटटी, हंसल मेहता क्‍यों नहीं बनना चाहता है… फ‍िल्‍म मेकिंग (Film making)  के क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं है, सिफारिश से एक बार तो काम मिल सकता है, लेकिन सफल होने के लिए  टेलेंट ही काम आता है… 

By] Sachin Baviskar


Carrier in Film Making : महाराष्‍ट्र का दिल याने मुंबई. सपनों का शहर. इस शहर से जुड़ी फ‍िल्‍मी सितारों की इतनी कहानियां है, कि लगता है इस शहर के अलावा देश में कुछ भी नहीं.  कुछ सच्‍ची कुछ झुठी कहानियां. झुठी कहानियों को सच्‍ची मानने वाले भी कम नहीं है.

रातों रात स्‍टार बनने के ख्‍वाब देखकर लाखों युवा रोजाना मुंबई जाने वाली ट्रेन पकड़ते है, और पहुंच जाते है मायानगरी.  कभी सोचा है कि ऐसा क्‍या है कि हर उम्र का व्‍यक्ति मायानगरी (बॉलीवुड) से खुद को किसी ना किसी तरह से जुड़ा हुआ महसूस करता है…बॉलीवुड का आकर्षण ही ऐसा है कि लोग उसके प्रति खिंचे चले आते है…

कुछ लोग तो इतने जुनूनी होते है कि उनके लिए कमाई के कोई मायने नहीं है, उनको तो सिर्फ एक बार छोटे या बड़े पर्दे पर स्‍वयं को देखना चाहते है. ये ललक, दीवानापन, जुनूनियत और किसी काम में शायद या बिरले ही देखने को मिलेगी…

एक बात कॉमन है, जब से सिनेमा आया है, तभी से लोग इसके दीवाने बने हुए है…जीवन में हम सभी ने एक बार किशोर आयु में किसी ना किसी कलाकार की तरह आईने खुद को देखने की कोशिश की होगी. वैसे अधिकांश युवा इस उम्र में ही तय कर लेते है कि उनको बॉलीवुड फ‍िल्‍म मेकिंग में करियर बनाना है…सब शाहरूख खान, अक्षय कुमार, रितिक रौशन, करीना खान, केटरीना कैफ बनना चाहते है…

पहले दिन से करोड़ों लोगों के दिलों पर राज करना चाहते है, बस मेहनत नहीं करना चाहते है… कम लोग है, जो संघर्ष की भटटी में तपकर सफल होना चाहते है…जो एक रात मे सेन्‍सेशन बनने का ख्‍वाब देखते है, वो बस एक रात के स्‍टार बनकर खत्‍म हो जाते है…

क्‍या कभी नवाजुद्दीन सिद्दीकी , नसीरुद्दीन शाह , बोमन ईरानी, अनुराग कश्‍यप, संजय मिश्रा, विजय राज, रोहित शेट्टी की सफलता का रिव्‍यु किया है, ये कैसे इतने सफल हुए है…

उन्‍होंने छोटे-छोटे केरेक्‍टर, असिस्‍टेंट डायरेक्‍टर, सेट पर सभी छोटे काम करते हुए इंडस्‍ट्री में स्‍वयं को स्‍थापित किया है, ये लोग आज सबसे अधिक सफल लोगों में शुमार किए जाते है… 

इस आर्टिकल को ध्‍यान से पढ़ते रहिये. इसमें बताने जा रहे है कि फ‍िल्‍म मेकिंग में करियर कैसे बना सकते है. कैसे एक पूरी फ‍िल्‍म तैयार होती है, उसको बनाने के लिए कितने लोग काम करते है.

इस फील्‍ड में करियर बनाने के लिए कोन से कोर्सेस करना जरूरी है, किस संस्‍था में प्रवेश मिलने पर आप सीधे बॉलीवुड के दरवाजे पर पहुंच सकते हो, तो दिल थामकर नहीं, दिमाग खोलकर इस आर्टिकल को पढ़ने का प्रयास कीजिये, आपकी सफलता की कामना हम सदा ही करते है… 

Acting me career kaise banaye

एक्टिंग में करियर बनाने से स्‍वयं को जरूर जांच ले कि आप इस फील्‍ड के लिए तैयार है. एक्टिंग एक आर्ट है, यह जन्‍मजात भी होता है, और सीखा भी जा सकता है. एक्टिंग के क्षेत्र में रूचि होगी, तो एक्‍टर बनना आसान होगा. एक्टिंग की फील्‍ड में शुरू में बहुत चुनौतियां होती है, उसके बारे में जरूर जान लेना चाहिये. शुरू में एक्टिंग में करियर बनाते समय किसी नाटक या प्‍ले में काम करना चाहिये. इससे एक्टिंग सुधरेगी, साथ ही सभी तरह के एक्‍ट सीखने में आसानी होगी. इसके लिए आप चाहे तो किसी एक्टिंग स्‍कूल में प्रवेश ले सकते है, वह आपके भीतर का एक्‍टर उभारने में मदद कर सकते है. 

How does the film make- How does a film become- फ‍िल्‍म मेकिंग कैसे होती है… कैसे बनती है एक फ‍िल्‍म-Carrier in Film Making 

 Film making में तीन अहम पार्ट होते है. प्री प्रोडक्‍शन, प्रोडक्‍शन और पोस्‍ट प्रोडक्‍शन-फ‍िल्‍म मेकिंग में करियर बनाने  के लिये तीनों पार्ट के बारे में जानना जरूरी है…

Carrier in Film Making :– प्री प्रोडक्‍शन:-Pre production-

 एक फ‍िल्‍म जो हम सिनेमाघर, टेलीविजन सेट या मोबाइल पर देखते है, वह किसी की दिमाग में बनती है, उसके बाद उसे कागज पर उकेरा जाता है… फ‍िल्‍म का जोनर क्‍या है, जैसे फ‍िल्‍म रोमेंटिक है, थ्रिलर है, ड्रामा है, एक्‍शन है, हारर है, इंटेंस है, सोशल मैसेजिंग वाली है… ये एक फ‍िल्‍म बनने के पहले तय हो जाता है…

फ‍िल्‍म को कोन डायरेक्‍ट कर रहा है, इसमें कोन से एक्‍टर है, एक्‍ट्रेस कोन है, कोन फ‍िल्‍म में निवेश कर रहा है, कोई बड़ा स्‍टूडियो, जैसे यशराज, इरोज, वायाकॉम, फॉक्‍स, डिज्‍नी, एए फ‍िल्‍मस…निवेशक फाइनल होने के बाद फ‍िल्‍म का बजट तय होता है…

फ‍िल्‍म निवेशक और अन्‍य महत्‍वपूर्ण लोग रॉ  स्क्रिप्‍ट का एक्‍सरे करते है, एक अंदाजा लगाते है, इस स्क्रिप्‍ट पर कितना बजट या खर्च आ सकता है…फ‍िल्‍म की कहानी फाइनेंसर और डिस्‍ट्रीब्‍टयूटर को सुनाई जाती है…अगर निवेशक फ‍िल्‍म की कहानी को ओके या हरीझंडी दे देता है, तब ही फ‍िल्‍म पर काम शुरू होता है…

किसी भी फ‍िल्‍म निर्माण में निवेशक के बाद स्क्रिप्‍ट सबसे अहम होती है, स्क्रिप्‍ट लॉक होने के बाद उसे तय बजट में बनाना होता है.  स्क्रिप्ट, स्‍क्रीनप्‍ले, डायलॉग लिखकर उसे डायरेक्‍टर को सौंप दिया जाता है…

फ‍िल्‍म का बजट, स्क्रिप्ट, डायलॉग, शूटिंग प्‍लेस, कॉस्‍टयूम डिजाइन, कास्टिंग, मेकअप, शूटिंग परमीशन, एक्‍टर-एक्‍ट्रेस की डेट सहित पेपर वर्क प्रोडक्‍शन के अंतर्गत किया जाता है…

 Film Making in Hindi-Carrier in Film Making – प्रोडक्शन क्‍या होता है:production के बारे में विस्‍तृत जानकारी

 प्री प्रोडक्शन में जो पेपर वर्क किया जाता है, उसे रियल में शूट किया जाता है, इसे ही  प्रोडक्शन कहा जाता है. प्री प्रोडक्शन के समय जितना मजबूत पेपर वर्क किया जाता है, प्रोडक्‍शन के समय उतनी कम परेशानी आती है. प्रोडक्‍शन टीम में डायरेक्‍टर, असिस्‍टेंट डायरेक्‍टर, डायरेक्‍टर ऑफ फोटोग्राफी (डीओपी), कैमरामेन, ड्रेस डिजाइनर, मेकअप आर्टिस्‍ट, सेट डिजाइनर, एक्‍टर, को एक्‍टर,  फ‍िल्‍म क्रू सहित सौ से डेढ़ सौ लोगों की टीम एक साथ मिलकर काम करती है.

स्क्रिप्‍ट के मुताबिक रियल लोकेशन या फ‍िल्‍म स्‍टूडियों में एक-एक सीन शूट होता है, जिसमें एक्‍टर, को-एक्‍टर अपने अपने डायलॉग बोलते है. क्राउड के सीन को कई बार रियल लोकेशन पर फ‍िल्‍माया जाता है.जब शूटिंग कंपलीट हो जाती है, तो अगला काम होता हे  पोस्‍ट प्रोडक्‍शन है…

 पोस्‍ट प्रोडक्‍शन:-Post production

 प्रोडक्‍शन के दौरान जितना भी शूट होता है, एक-एक सीक्‍वेंस को जोड़ा जाता है. जिसे एडिटिंग (Editing) कहा जाता है. एक तरह से पोस्‍ट प्रोडक्‍शन में ही फ‍िल्‍म बनती है. इसमें एडिटिंग, डबिंग, कलर ग्रेडिंग की जाती है. ये सारे कार्य डायरेक्‍टर की देखरेख में होते है. वर्तमान में पोस्‍ट प्रोडक्‍शन के दौरान वीएफएक्‍स  (VFX) सबसे महत्‍वपूर्ण कार्य बन गया है.

वीएफएक्‍स के लिए अलग से स्‍टूडियों और तकनीक के जानकार और क्रियेटिव लोगों की टीम बनाई जाती है. जो फ‍िल्‍म के जोनर और उसकी स्क्रिप्‍ट और शूट के मुताबिक वीएफएक्‍स का निर्माण करती है. जब फ‍िल्‍म की एडिटिंग पूरी हो जाती है, तो उसे कलर ग्रेडिंग के लिए डीआई स्‍टूडियो भेजा जाता है. कलर ग्रेडिंग के बाद फ‍िल्‍म रिलीज के लिए तैयार हो पाती है…

Carrier in Film Making -फ‍िल्‍म का डिस्‍ट्रीब्‍यूशन कैसे होता है:-Distribution 

 जब भी किसी फ‍िल्‍म को बनाया जाता है, तो यह तय किया जाता है कि उसके डिस्‍ट्रीब्‍यूटर कोन होंगे. उसे कहां-कहां किस टेरिटेरीज में रिलीज किया जाना है. पहले सिंगल थियेटर मालिकों और राज्‍य विशेष के डिस्‍ट्रीब्‍यूटर को फ‍िल्‍म को बेची जाती थी.

ये  डिस्‍ट्रीब्‍यूटर अपने अपने क्षेत्रों में फ‍िल्‍म को प्रदर्शित करने का काम करते थे. फ‍िल्‍म समीक्षक जयप्रकाश चौकसे पहले डिस्‍ट्रीब्‍यूटर रहे है, तब से उनके कपूर खानदान से रिश्‍ते रहे है…

ओर अब जब से फ‍िल्‍म मेकिंग में कार्पोरेट के बड़े खिलाडि़यों का का दबदबा बढ़ा है, तब से बड़ी मल्‍टीप्‍लेक्‍स चेन ही डिस्‍ट्रीब्‍यूशन का काम भी संभाल रही है. पीवीआर, सिनेप्‍लेक्‍स, आईनॉक्‍स. ये कार्पोरेट सबकुछ तय करते है. अब फ‍िल्‍म में पैसा कार्पोरेट ही लगाते है…

शो के अनुमान के मुताबिक फ‍िल्‍म तय हो जाती है. देश में 4 हजार सिंगल थियेटर है, वहां पर भी फ‍िल्‍म रिलीज की जाती है, वितरक और निर्माता कंपनी या निर्माताओं के ग्रुप को सिंगल थियेटर से भी कमाई होती है…

 फ‍िल्‍म मेकिंग में सभी का काम निर्धारित है…Everyone’s work is set in film making

 Director का काम क्‍या होता है- Director कैसे बनते है- डायरेक्‍टर को हिन्‍दी में निर्देशक कहा जाता है…

 फ‍िल्‍म का डायरेक्‍टर फ‍िल्‍म की जान होता है. जैसे कितनी भी अच्‍छी स्क्रिप्‍ट और डायलॉग लिखे गए हो, लेकिन फ‍िल्‍म को ठीक तरह से फ‍िल्‍माया नहीं गया तो सब कचरा हो जाता है. आपने देखा होगा कि कोई फ‍िल्‍म शुरू में उत्‍साह जगाती है, उसके डायलॉग पर लोग रिएक्‍ट करते है, लेकिन पता नहीं चलता कि फ‍िल्‍म कहां शुरू हुई और कहां खत्‍म.

इस तरह के फॉल्‍ट के लिए जिम्‍मेंदार डायरेक्‍टर होता है. इसलिए डायरेक्‍टर को मल्‍टीटॉस्किंग होना चाहिये. उसे स्‍कूल के प्रिंसीपल की तरह होना चाहिये. उसे सभी विषयों या विद्याओं की जानकारी होना चाहिये. तभी वह फ‍िल्‍म के साथ न्‍याय कर सकता है.

वर्तमान में अनुराग कश्‍यप, हंसल मेहता, आनंद एल राय, राजकुमार हिरानी, करन जोहर, आदित्‍य चौपड़ा अपने काम में माहिर माने जाते है. फ‍िर भी फ‍िल्‍म चल नहीं पाती है, क्‍योंकि फ‍िल्‍म की सफलता का अब तक कोई सेट फार्मुला नहीं बन पाया है…

 फ‍िल्‍म मेकिंग में करियर बनाने के लिए कैसे बने सफल फ‍िल्‍म डायरेक्‍टर- How to become a successful film director-film director kaise bante hai

  सफल डायरेक्‍टर बनने के लिए आपका विजन क्‍लीयर होना चाहिये. ऐसा नहीं है कि फ‍िल्‍म डायरेक्‍शन में सफल होने के लिए किसी संस्‍थान से कोर्स ही करना होगा. ऐसे कई उदाहारण है, जो फ‍िल्‍म देखकर फ‍िल्‍म बनाने की सभी कलाओं में माहिर होते गए. मशहुर फ‍िल्‍म डायरेक्‍टर मधुर भंडारकर शुरू में कैसेट की लाइब्रेरी चलाते थे, लाइब्रेरी चलाते हुए उन्‍होंने उस समय की सभी फ‍िल्‍में देख डाली ओर तभी उनका डायरेक्‍शन की और रूझान हुआ.

इसी तरह वर्तमान समय के सबसे सफल फ‍िल्‍म डायरेक्‍टर राजकुमार हिरानी एड फ‍िल्‍म बनाने के साथ फ‍िल्‍म की एडिटिंग करते थे.बाद में मिशन कश्‍मीर की एडिटिंग के समय डायरेक्‍टर-प्रोडयूसर विधु विनोद चौपड़ा ने राजु हिरानी को मुन्‍ना भाई एमबीबीएस बनाने को कहा और उसके बाद राजकुमार हिरानी ने एक से बढ़कर एक फ‍िल्‍म बनाई.

हालांकि अगर आपको फ‍िल्‍म मेकिंग की जानकारी नहीं है, तब भी आप डायरेक्‍टर बनना चाहते है, तो आप पहले किसी अच्‍छे संस्‍थान से फ‍िल्‍म डायरेक्‍शन का कोर्स कर सकते है. कोर्स के लिए एनएसडी, एफटीआईआई पूणे ,  सत्‍यजित रे फ‍िल्‍म एवं टेलीविजन संस्‍थान में प्रवेश ले सकते है.

कोर्स करने के बाद किसी डायरेक्‍टर के असिस्‍टेंट बनकर डायरेक्‍शन का काम सीख सकते है. नामी डायरेक्‍टर रोहित शेट्टी, अनुराग कश्‍यप, अनुराग बसु कई वर्षों तक असिस्‍टेंट डायरेक्‍टर रह चुके है, इसके बाद उनको डायरेक्‍टर बनने का मौका मिला है….

स्क्रिप्‍ट राइटिंग से बन सकता है फ‍िल्‍म मेकिंग में करियर -How to become a successful script writer  

 स्क्रिप्‍ट राइटर बनने के लिए कई संस्‍थान है. सबसे पहले एक बात ध्‍यान में रखे कि आपको किस्‍सागोई करना या कहानी लिखना, बताना अच्‍छा लगता है या नहीं. अगर आप लिखने में रूचि रखते है, तब आपके लिए स्क्रिप्‍ट राइटर बनना थोड़ा आसान हो जाता है.

स्क्रिप्‍ट लिखने का एक तरीका या फार्मेट होता है. उसके मुताबिक ही लिखना होता है. इंटरनेट पर बहुत सारी फ‍िल्‍मों की स्क्रिप्‍ट है, उन स्क्रिप्‍ट को देखकर भी लिखना सीख सकते है… 

मशहुर स्क्रिप्‍ट राइटर अंजुम राजाबली जिन्‍होंने गुलाम, घातक, पुकार सहित कई फ‍िल्‍मों की स्क्रिप्‍ट राइटिंग की है, उनके यूटयूब वीडियो देखकर स्क्रिप्‍ट राइटिंग के बारे में बहुत कुछ जाना जा सकता है.

स्क्रिप्‍ट राइटिंग का कोर्स करना चाहे तो यहां  https://www.whistlingwoods.net/ अप्‍लाई कर सकते है. जुही चतुर्वेदी, जावेद अख्‍तर, सलीम खान, प्रकाश झा, अनुराग कश्‍यप, अनुराग बसु, करन जौहर, राजु हिरानी, गुलजार, स्‍व.नीरज पांडे, आनंद एल राय के वीडियो देखकर बहुत कुछ सीखा जा सकता है…

Carrier in Film Making – प्रोडयूसर बनने के लिए क्‍या करे:-What to do to be a producer

 फ‍िल्‍म प्रोडयूसर बनने के लिए कुछ खास योग्‍यताओं की आवश्‍यकता नहीं होती है. केवल फ‍िल्‍म मेकिंग की साधारण समझ होना चाहिये. सबसे खास बात ये है कि फ‍िल्‍म के लिए निवेशकों से अप्रोच करना आना चाहिये. अगर स्‍वयं के पास पैसा है, तो सीधे फ‍िल्‍म में निवेश करके भी प्रोडयूसर बन सकते है.

इसके अलावा कापोर्रेट में अच्‍छे संबंध में भी एक सफल प्रोडयूसर बनने में मदद करते है. प्रसिद्व प्रोडयूसर जैसे सिद्वार्थ राय कपूर, आदित्‍य चौपड़ा, रितेश सिदवानी, फरहान अख्‍तर, महेश भटट, मुकेश भटट, वासु भगनानी, भरत भाई शाह, किशोर लुल्‍ला, अक्षय कुमार, अजय देवगन सहित कई लोग जो एक्‍टर, डायरेक्‍टर के साथ प्रोडयूसर की भमिका भी निभा रहे है.

 फ‍िल्‍म एडिटर कैसे बने:-How to become a film editor

 किसी भी फ‍िल्‍म को बनने में (Editing) का महत्‍वपूर्ण कार्य होता है. रॉ फ‍िल्‍म को सीक्‍वेंस की तरह जोड़कर बिना किसी रूकावट या फ‍िल्‍म की गति को कम किए एडिट करना होता है. इस काम में चुनिंदा लोग माहिर है. आप भी इस काम में माहिर हो सकते है. फेमस डायरेक्‍टर, स्क्रिप्‍ट राइटर राजु हिरानी पहले एडिटिंग का काम ही करते थे.

फ‍िल्‍म एडिटर बनने के लिए  एनएसडी या एफटीआईआई पूणे में प्रवेश परीक्षा को पास प्रवेश कर सकते है. प्रसिद्व फ‍िल्‍म एडिटर जैसे ए. प्रसाद, नम्रता राव, अनुराग कश्‍यप, प्रवीण के. एल. सहित है. फ‍िल्‍म एडिटर बाद में डायरेक्‍शन की और ही कदम बढ़ाते है…

 कैसे बने सिनेमेटोग्राफर:-How to become a cinematographer

  फ‍िल्‍म मेकिंग के लिए सिनेमेटोग्राफर द्वारा शूट के लिए उपयोग में लाया जाने वाला सांकेतिक कैमरा

 सिनेमेटोग्राफर cinematographer एक तकनीकी कार्य होता है. सिनेमेटोग्राफर दृश्‍यों को जीवंत बना देता है. एक अच्‍छा सिनेमेटोग्राफर फ‍िल्‍म की कहानी के मुताबिक लाइट और कैमरे का इस्‍तेमाल करता है.

फ‍िल्‍म शूट होते समय जितने भी कैमरों से शूट होता है, सभी पर सिनेमेटोग्राफर का नियंत्रण रहता है. सिनेमेटोग्राफी में जिस कैमरे का इस्‍तेमाल होता है, उसे मोशन पिक्‍चर कैमरा कहते है. इस कैमरे की कीमत दस लाख से 2 करोड़ या अधिक हो सकती है.

बाहुबली फ‍िल्‍म के बाद सिनेमेटोग्राफर (K. K. Senthil Kumar) को स्‍टार जैसा दर्जा मिलने के बाद युवाओं में Cinematographer बनने की चाह जगी है. 

सिनेमोग्राफर में करियर बनाने के लिए एनएसडी और एफटीआईआई पूणे से सिनेमेटोग्राफर का कोर्स किया जा सकता है… इन संस्‍थाओं में प्रवेश के लिए एक एंट्रेस एग्‍जाम पास करना होता है. ये दो इंस्‍टीटयूट सबसे बेहतर माने जाते है…

 कोरियोग्राफर बनने के लिए क्‍या करना होगा:-What to do to be a Choreographer

  फ‍िल्‍म मेकिंग के दौरान सांकेतिक रूप से नृत्‍य करते हए युवा…

 फ‍िल्‍म मेकिंग में कोरियोग्राफर (choreographer) की जबरदस्‍त डिमांड है. वर्तमान में कोरियोग्राफर को स्‍टार जैसा दर्जा मिलने लगा है. टीवी शो पर कोरियोग्राफर को आमंत्रित किया जाता है.

कुल मिलाकर सफल कोरियोग्राफर के पास नाम, दाम और शौहरत आ जाती है. कोरियोग्राफर बनने के लिए डांस करने का जूनून होना चाहिये. डांस स्‍टेप्‍स को जल्‍दी सीखकर करने में महारत हासिल है, तो कोरियोग्राफर का केरियर बहुत बड़ी सफलता दे सकता है.

कोरियोग्राफी डांस और संगीत का मिला जुला रूप है. एक कोरियोग्राफर तब ही सफल हो पाता है, जब वह संगीत के अनुरूप डांस स्‍टेप्‍स क्रियेट कर सकता है.

संगीत की धुन, ताल , लय , हाव भाव और भाव भंगिमा के साथ डांस स्‍टेप्‍स को कराने कोरियोग्राफर का  होता है.कोरियोग्राफर बनने के लिए नृत्‍य की सभी विधाओं की जानकारी के साथ संगीत की अच्‍छी समझ होना चाहिये.

अच्‍छी फ‍िजिक वाले युवा कोरियोग्राफर बन सकते है. कोरियोग्राफर मेहनत वाला काम है, पेशे में आने से पहले जागरूक रहना होगा. प्रमुख कोरियोग्राफर जैसे श्‍यामक डॉवर, फरहा खान, धर्मेश, वैभवी मर्चेंट, गणेश आचार्य सहित कई है. कोरियोग्राफर बनने के लिए श्‍यामक डॉवर की क्‍लास http://www.shiamak.com/mumbai या https://sangeetnatak.gov.in/sna-hindi/home.php को ज्‍वाइन कर सकते है…

Carrier in Film Making – How to become a casting director-कैसे बने कास्टिंग डायरेक्‍टर

जब कोई सीरियल या फ‍िल्‍म बनती है, तो कोन सा एक्‍टर या एक्‍ट्रेस क्‍या केरेक्‍टर करेगा, इस पर मंथन होता है. यहां आती है कि कास्टिंग डायरेक्‍टर की भमिका. कास्टिंग डायरेक्‍टर (casting director)  फ‍िल्‍म मेकिंग के लिए स्क्रिप्‍ट के मुताबिक कलाकारों का ऑडिशन या सरल भाषा में एक्टिंग स्किल्‍स की जांच परख करता है. ऑडिशन की सीडी डायरेक्‍टर या क्रियेटिव टीम को भेज देता है.

डायरेक्‍टर कलाकारों का ऑडिशन देखकर कोन सा रोल किसे करना है, यह तय कर देता है. किसी कलाकार को आगे बढ़ाने में कास्टिंग डायरेक्‍टर बहुत बड़ी भमिका निभाता है. प्रमुख कास्टिंग डायरेक्‍टर मुकेश छाबड़ा, अतुल मोंगिया, हनी त्रेहान, राजकुमार राव, विक्रम भटट है…

कास्टिंग डायरेक्‍टर बनने के लिए  एफटीआईआई पूणे में अप्‍लाई  कर सकते है. इसी तरह एनएसडी, सत्‍यजित रे फ‍िल्‍मस में भी अप्‍लाई कर सफल फ‍िल्‍म कास्टिंग डायरेक्‍टर बन सकते है. राजकमार राव कास्टिंग का काम कर चुके है…

 कैसे बन सकते है डायरेक्‍टर ऑफ फोटोग्राफी (डीओपी):-How to become a director of photography

 डायरेक्‍टर ऑफ फोटोग्राफी (डीओपी) एक तरह से सिनेमेटोग्राफर ही होता है. डीओपी का काम होता है लाइट और कैमरे का नियंत्रण. हालांकि डीओपी के पास काम करने की एक पूरी टीम होती है, जिसका नियंत्रण डीओपी के पास होता है.

यह तकनीक वाला काम है. इस काम को बिना अनुभव के नहीं किया जा सकता है. शूट के समय किस तरह की लाइट और लैंस की आवश्‍यकता होगी, यह अनुभव के बाद भी सीखा जा सकता है.

प्रारंभ में कोई भी असिस्‍टेंट फोटोग्राफर के लिए नियुक्‍त नहीं करता है. अगर एनएसडी, एफटीआईआई, सत्‍यजित रे फ‍िल्‍म संस्‍थान  से डायरेक्‍टर ऑफ फोटोग्राफी का कोर्स किया हो, तो काम मिलने के चांस और अधिक बढ़ जाते है.

असिस्‍टेंट के तौर पर काम करते हुए डीओपी का काम सीखा जा सकता है.  एक बार काम सीख गए तो इंडस्‍ट्री में डीओपी की बहुत डिमांड रहती है. यह काम काफी समय लेता है.

उत्‍साह और काम के प्रति जूनून हो तब डायरेक्‍टर ऑफ फोटोग्राफी  के काम के लिए संबंधित कोर्स कर और उसमें केरियर बनाने के लिए जाना चाहिये… 

 कैसे बने म्‍यूजिक डायरेक्‍टर:-How to become a music director

 भारत में बिना म्‍यूजिक डायरेक्‍टर के हिन्‍दी, तमिल, तेलगु, भोजपुरी या किसी भी क्षेत्रीय भाषा में फ‍िल्‍म नहीं बनाई जा  सकती है. संगीत में रूचि है, तो इस क्षेत्र में हाथ आजमाया जा सकता है. इस क्षेत्र में पुश्‍तैनी कुछ नहीं होता है. संगीत की समझ है या संगीत को जानते है, तभी टिक पाते है.

टेलेन्‍ट के दम पर नाम, दाम और शौहरत कमाई जा सकती है.  संगीत के क्षेत्र में काम करने के लिए संगीत की सभी विद्याओं की जानकारी होना चाहिये. क्‍लासिकल हो या जैज या पॉप, रेप सभी की जानकारी होना चाहिये.

यहां https://sangeetnatak.gov.in/sna-hindi/home.php कोर्स करके केरियर बना सकते है… संगीत में शुरू से रूझान हो और प्रारंभ से सीख रहे है, तो ही इस क्षेत्र में हाथ आजमाये…

Carrier in Film Making – फ‍िल्‍म मेकिंग में करियर- इन विद्याओं में रोजगार के अच्‍छे अवसर

  •  साउंड इफेक्‍ट आर्टिस्‍ट-Sound Effect Artist
  • स्‍पेशल इफेक्‍ट आर्टिस्‍ट-Special Effect Artist
  • सीजीआई आर्टिस्‍ट-CGI Artist
  • वीएफएक्‍स विजुअल इफेक्‍ट आर्टिस्‍ट-VFX Visual Effect Artist
  • लोकेशन मैनेजर-Location manager
  • कलर ग्रेडिंग -colorist 
  • प्रोस्‍थेटिक मेकअप आर्टिस्‍ट-Prosthetic makeup artist
  • स्‍टन्‍टमेन-Stuntman
  • डबिंग मेन-Dubbing man

Carrier in Film Making – फ‍िल्‍म मेकिंग के लिए कोर्स:-Film making course

 

  • पीजी डिप्‍लोमा इन एक्टिंग-PG Diploma in Acting
  • एक्टिंग में सर्टिफ‍िकेट कोर्स-Certificate Course in Acting
  • पीजी डायरेक्‍शन एवं स्क्रिप्‍ट राइटिंग-PG direction and script writing
  • डिप्‍लोमा इन सिनेमेटोग्राफी-Diploma in cinematography
  • डिप्‍लोमा इन कैमरा इन लाइटिंग-Diploma in camera in lighting
  • डिप्‍लोमा इन साउंड रिकार्डिंग एवं इंजीनियरिंग-Diploma in Sound Recording and Engineering
  • डिप्‍लोमा इन एडिटिंग-Diploma in editing
  1. पीजी डिप्‍लोमा इन वीडियो प्रोडक्‍शन-PG Diploma in Video Production 

Carrier in Film Making – भारत के चुनिंदा एवं अच्‍छे फ‍िल्‍म मेकिंग संस्‍थान-Selected and quality film making institutes in India

 

 

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