competitive exam-रेलवे, पीएससी, बैंकिंग के छात्रों को इस सवाल का उत्तर पता होना चाहिये।
– यह सवाल प्रतियोगी परीक्षाओं में जरूर पूछा जायेगा
-भारत का पहला 12 हजार हॉर्स पावर का शक्तिशाली रेलवे इंजन पहुंचा भोपाल के हबीबगंज स्टेशन
भोपाल अगर आप रेलवे, पीएससी, बैंकिंग या किसी भी प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, तो आपको सामान्य अध्यन पढ़ना पड़ता है।
अब सामान्य अध्यन के प्रश्न पूराने पैटर्न के बजाय रोज नई होने वाली घटनाओं में से पूछे जाते है। इसलिये आपको डेली अपडेट रहना होता है। आज हम आपको एक ऐसे ही सवाल का उत्तर देने जा रहे हैं, जो आने वाली लगभग सभी परीक्षाओं में पूछे जाने की संभावना है।
प्रतियोगी परीक्षाओं (competitive exam) में दशमलव या एक मार्कस से कई छात्र सरकारी नौकरी पाने में नाकामयाब हो जाते है। कई बार तो वह जीवन में फिर कभी सरकारी नौकरी पाने में सफल नहीं हो पाते है।
इसलिये एक एक प्रश्न को गंभीरता से लेते हुए थ्री इडियट के रैंचों की तरह जहां से भी ज्ञान मिल रहा है लूट लो की तर्ज पर नॉलेज अपडेट करते रहो।
हम आपको यहां बताने जा रहे हैं कि भारत का पहला 12 हजार हॉर्स पावर का शक्तिशाली रेलवे इंजन भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशनपहुंच गया है। इस इंजन की खूबियों के बारे में नीचे जानकारी दी गई है।
इंजन के बारे में डिटेल-
12 हजार हॉर्स पावर वाले इस इंजन का नाम ॅ।भ्12 है, और इसका नंबर 60027 है। ये इंजन अत्याधुनिक आईजीबीटी आधारित, 3-फेज ड्राइव और 12 हजार हॉर्स पावर का इलेक्ट्रिक इंजन हैं। यह इंजन 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सफर करने में सक्षम है।
इस इंजन के निर्माण के साथ भारत विश्व के सबसे ज्यादा हॉर्स पावर वाले इंजन बनाने के क्लब में शामिल है। क्लब में अब भारत का स्थान छटे स्थान पर है।
कहां बना ये इंजन-
अक्टूबर 2017 में मधेपुरा फेक्ट्री में इस इंजन का निर्माण कार्य शुरु हुआ था। इससे पहले फ्रांस से 5 इंजनों को भारत लाया गया था जिसके बाद सभी को असेम्बल किया गया था। इस 12 हजार हॉर्स पावर वाले इंजन को बनाने में करीब 19 हजार करोड़ रुपए का खर्चा आया है।
यह पूरा प्रोजेक्ट मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत बनाया गया है। वहीं अब बिहार के मधेपुरा में हर साल 120 इंजन बनाने के लिए कारखाने का निर्माण कार्य भी किया गया है। इसके साथ ही यहां township भी बनाई गई है।
गेम चेंजर साबित होगा-
22.5 टन के एक्सल लोड के ट्विन बो-बो डिजाइन वाले इंजन को 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के साथ 25 टन तक अपग्रेड किया जा सकता है। यह इंजन डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के लिए कोयला रेलगाडि़यों की आवाजाही के लिए एक गेम चेंजर साबित होगा।
इसमें लगे हुए सॉफ्टवेयर और एंटीना के माध्यम से इसके रणनीतिक उपयोग के लिए इंजन पर जीपीएस के जरिए नजर रखी जा सकती है। माइक्रोवेव लिंक के माध्यम से जमीन पर सर्वर के जरिए एंटीना उठाया जाता है।
12 हजार हॉर्स पावर के नए इंजन को ट्रायल के तौर पर पूरे देश भर के अलग-अलग रेल मंडलों में भेजा जा रहा है, वहीं अब ढलान ऊपर भारी माल गाडि़यों के संचालन में यह इंजन अहम भूमिका निभाएंगे।