How startup business के लिये मप्र सरकार की सबसे बड़ी पहल,
-मध्यप्रदेश ऐसी पहल करने वाला पहला राज्य
भोपाल । मध्य प्रदेश में स्टार्टअप (how startup business) करने वालों के लिये खुशखबरी है। प्रदेश में अब स्टार्टअप के लिये राज्य सरकार ने कई सुविधायें दी है। ऐसा करने वाला मप्र देश का पहला राज्य बन गया है। मध्य प्रदेश में स्टार्टअप (how startup business) को बढ़ावा देने के लिए उन्हें सिर्फ एक बार पंजीयन कराना होगा।
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नवीनीकरण करवाने की जरूरत नहीं होगी। यह सुधार मप्र की शिवराज सरकार ने किये है। मध्य प्रदेश सरकार ने (how startup businesd) स्टार्टअप शुरु करने वातों की दुविधा खत्म कर दी है। मध्य प्रदेश ने पूर्व में भी (how startup business) स्टार्टअप के लिये इन्वेस्टर मीट रखी थी, जिसमें देश के बड़े स्टार्टअप करने वाले प्रमुख व्यकितयों को आमंत्रित किया था।
दुकानों के समय में वृद्धि-
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया है कि कोरोना ने सोशल डिस्टेंसिंग के महत्व से परिचित करा दिया है। बाजारों में भीड़ न हो इस उद्देश्य से प्रदेश की दुकानों के खुले रहने का समय सुबह 8 से रात्रि 10 के स्थान पर सुबह 6 से रात्रि 12 बजे तक रहेगा। इसके लिए आवश्यक अधिसूचना जारी कर दी गई है।
मंडी अधिनियम बदला-
चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश में मंडी अधिनियम में परिवर्तन कर किसानों को घर बैठे उपज विक्रय, निजी मंडियों में फसल बेचने जैसे विकल्प उपलब्ध करवाए गए हैं। प्रतिस्पर्धा बढ़ने से किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में श्रमिकों के हित से कोई समझौता नहीं होगा। श्रम कानूनों में जो संशोधन किए गए हैं, उसके फलस्वरूप प्रदेश को आगे बढ़ाने में सहयोग मिलेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने विस्तारपूर्वक श्रम सुधारों की जानकारी प्रदान की।
पंजीयन और लाइसेंस सिर्फ एक दिन में-
पंजीयन और लाइसेंस का कार्य तीस दिन के स्थान पर एक दिन में होगा। इससे कारखानों दुकानों, ठेकेदारों, बीड़ी निर्माताओं, मोटर परिवहन कर्मकार, मध्यप्रदेश भवन तथा अन्य संनिर्माण कर्मकार अधिनियम में आने वाली निर्माण एजेंसियों का पंजीयन/लाइसेंस एक दिन में मिलेगा। लोक सेवा गारंटी अधिनियम में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी गई है।
कारखाना नवीनीकरण 10 साल-
कारखाना लाइसेंस नवीनीकरण अब एक साल की बजाय दस साल में कराये जाने का प्रावधान किया गया है।
ठेका श्रम अधिनियम में केलेण्डर वर्ष की जगह संपूर्ण ठेका अवधि के लिए लाइसेंस जारी किया जाएगा।
नए कारखानों का पंजीयन/लाइसेंस जारी करने की आनलाइन व्यवस्था होगी।
कारखानों में 12 घंटे की पाली-
कारखानों में कार्य करने की पालियां 8 घंटे से बढ़कर 12 घंटे की होंगी। सप्ताह में 72 घंटे की ओवरटाइम की मंजूरी दी गई है। कारखाना नियोजक उत्पादकता बढ़ाने के लिए सुविधानुसार शिफ्टों में परिवर्तन कर सकेंगे। इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है।
एक ही रजिस्टर, एक ही रिटर्न-
कारखानों में कार्य की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए श्रम कानूनों के अंतर्गत 61 रजिस्टर रखने और 13 रिटर्न दाखिल करने की जगह एक ही रजिस्टर और एक ही रिटर्न दाखिल करने की व्यवस्था की गई है। रिटर्न फाइल करने के लिए स्व-प्रमाणन हो सकेगा।
नहीं होंगे, बार-बार निरीक्षण-
कारखाना अधिनियम में तीन माह के लिए फेक्ट्री इंस्पेक्टर के निरीक्षण से मुक्ति होगी।
नियोजक अपने द्वारा चुने गए थर्ड पार्टी निरीक्षक से कारखाने का निरीक्षण करवा सकेंगे। पहले थर्ड पार्टी निरीक्षक को पंजीकृत करने का कार्य मुम्बई से होता था। अब यह अधिकार श्रमायुक्त मध्यप्रदेश को होगा। इसी तरह 50 से कम श्रमिकों को नियोजित करने वाली संस्थाओं को अलग-अलग श्रम कानूनों में निरीक्षण की परिधि से बाहर कर दिया गया है। अब इनमें निरीक्षण केवल श्रमायुक्त की अनुमति से शिकायतों के आधार पर हो सकेगा।
ट्रेड यूनियन और कारखाना प्रबंधक सुविधा से विवाद हल करेंगे-
मध्यप्रदेश औद्योगिक संबंध अधिनियम के प्रावधानों को आगामी आदेश तक शिथिल कर दिया गया है। अब कारखानों में ट्रेड यूनियन और कारखाना प्रबंधक अपनी सहूलियत से विवादों का हल कर सकेंगे। इसके लिए लेबर कोर्ट नहीं जाना होगा।
श्रमिकों का चयन और नियोजन-
मध्यप्रदेश में अगले एक हजार दिनों में नए उद्योगों और निवेशकों आमंत्रित करने की दृष्टि से औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 जो सुरक्षा से संबंधित है, को छोड़कर शेष प्रावधानों को शिथिल किया गया है। उद्योग मालिक सुविधानुसार श्रमिकों का चयन कर सकेंगे। ऐसे उद्योग जहाँ 100 से कम मजदूर काम करते हैं, वहां मध्यप्रदेश औद्योगिक नियोजन के प्रावधानों से छूट दी गई है। अधिकांश छोटे और मंझोले उद्योग उत्पादकता बढ़ाने के लिए आवश्यकता के अनुसार श्रमिक रख सकेंगे।
प्रमुख सुधार एक नजर में-
• 50 अधिक श्रमिक वाली स्थापनाओं पर लागू औद्योगिक नियोजन अधिनियम अब 100 से अधिक स्थापनाओं पर लागू होगा। इससे छोटे उद्योगों को राहत मिलेगी। इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी गई है।
पूर्व से लागू श्रम सुधार
• मध्यप्रदेश में औद्योगिक विवाद अधिनियम अब 100 मजदूरों वाली स्थापना की जगह 300 मजदूरों वाली स्थापना पर लागू किया गया है। उद्योगों और स्थापनाओं में कांट्रेक्ट कर्मियों को फिक्स टर्म एम्पालायमेंट की सुविधा दी गई है। श्रम कानूनों में निरीक्षण व्यवस्था ज्यादा पारदर्शी बनाई गई है। विभिन्न सेवाओं के लिए सिंगल विण्डो सिस्टम का इंतजाम है। महिला श्रमिकों को कारखानों में तथा आय.टी. उद्योगों में रात्रिकालीन में कार्य की अनुमति है। विभिन्न श्रम कानूनों में पंजीयन और रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रियाएं ऑनलाइन है। इसके लिए लेबर कोर्ट नहीं जाना होता है।
भारत सरकार को भेजे गए प्रमुख प्रस्ताव
• कारखाना अधिनियम में ऐसी इकाइयाँ जो बिजली से चल रही है वहाँ 10 मजदूरों के नियोजन पर पंजीयन कराना होता है। इसकी सीमा 50 तक बढ़ाई जाए। इस प्रावधान से पूर्ण क्षमता का उपयोग कर उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा। कारखाना अधिनियम में बिना बिजली के उपयोग से चलने वाली इकाइयों में बीस मजदूरों के नियोजन पर पंजीयन कराना होता है। श्रमिकों की सीमा हटाने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है।
• ठेका श्रम अधिनियम के अंतर्गत ठेकेदारों को 20 श्रमिक के नियोजन पर पंजीयन कराना पड़ता था। अब 50 श्रमिक नियोजित करने पर पंजीयन कराना होगा। संशोधन से छोटे उद्योगों को कारखाना अधिनियम के अंतर्गत पंजीयन कराने से मुक्ति मिलेगी।
• 50 से कम श्रमिक नियोजित करने वाले ठेकेदार बिना पंजीयन के भी कार्य कर सकेंगे। इससे छोटे ठेकेदार राहत का अनुभव करेंगे। ठेका श्रम अधिनियम में इस छूट के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।
• ठेका श्रम अधिनियम, अन्तर्राजीय प्रवासी कर्मकार अधिनियम तथा मोटर परिवहन कर्मकार अधिनियम के अंतर्गत दण्डात्मक कार्यवाहियों का समझौते से निराकरण करने के लिए कम्पाउंडिंग की व्यवस्था करने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है।
स्टार्टअप की अधिक जानकारी मध्यप्रदेश सरकार की आफिशियल वेबसाईट https://www.mpmsme.gov.in/website/startup-policy,-guidelines-&-order
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