बीएड और शिक्षक पात्रता परीक्षा अभ्यासक्रम में बदलाव की तैयारी, शिक्षकों पर बढेगा और बोझ
भोपाल। ऑन लाइन डेस्क।
नई शिक्षा नीति में बडे बदलाव होने वाले है। केद्र सरकार ने शिक्षा नीति का प्रारूप प्रकाशित कर जारी किया है।
जिसमें भविष्य में शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों की जानकारी दी गई है।
बच्चों को कैसे गुणवत्ता युक्त शिक्षा मिले, इसके लिए प्रयास किए जा रहे है।
केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि बीएड और शिक्षक पात्रता परीक्षा टीईटी के कोर्स में बदलाव किए जाने है।
बीएड और टीईटी में बदलाव श्शिक्षा की गुणवत्ता को बढाने के लिए किए जा रहे है।
बताया जाता है कि बेहतर एजुकेशन के लिए टीचर्स को भी टेनिंग और पढाने के लिए नए ऑप्शन उपलब्ध कराए जाएंगे।
केंद्रीय मंत्री निशंक के मुताबिक नए बदलावों में टीचर्स की अहम भमिका तय करने के साथ ही अध्यपक शिक्षा की गुणवत्ता, भर्ती, सेवा शर्त और शिक्षकों को मिलने वाले अधिकारों का आकलन किया जायेगा।
शिक्षक पात्रता परीक्षा और बीएड के कोर्स में भविष्य में होने वाले परिवर्तनों को देखते हुए बदलाव किए जा रहे है।
शिक्षक पात्रता परीक्षा अभ्यासक्रम से आएंगे अच्छे नतीजे, शिक्षकों का होगा सम्मान
नई शिक्षा नीति में टीचरों की क्षमता को बढाने के साथ टीचर को और अधिक आजादी दी जा रही है।
वह बच्चों को मनमापिफक तरीके से पढा सकता है। नए विचारों को स्थान दे सकता है।
नौकरशाही के हस्तक्षेप को कम कर न्यूनतम किया जा रहा है।
यदि किसी टीचर के द्वारा नई विधि के अपनाने पर नतीजे अच्छे आए तो उनको सम्मानित किया जायेगा और उन विचारों के दूसरी जगह भी अपनाया जायेगा।
वहीं नई नीति में स्कूल में पढने और पढाने के सिस्टम में बदलाव होंगे।
छात्रों की पाठयपुस्तकों में भी कई तरह के बदलाव हो सकते है।
नई शिक्षा नीति में एक तरफ छात्रों को नए सिलेबस के तहत सीखने के ज्यादा अवसर मिलेंगे तो टीचरों को भी पढाई के नए तौर तरीके अपनाने होंगे।
इस तरह शिक्षकों पर बोझ बढाया जा रहा है।
रचनात्मक लेखन पर जोर
केंद्रीय मंत्री निशंक का कहना है कि वर्तमान में जो शिक्षा बच्चों को दी जा रही है, उसमें रचनात्मकता नहीं है।
पाठयक्रम के बोझ और रटकर सीखने वाले कल्चर में परिवर्तन लाने जा रहे है।
वहीं टीचरों के पास पाठयपुस्तकों के कई सेट होंगे, जिसमें राष्टीय और स्थानीय सामग्री शामिल होगी।
इस वजह से वे ऐसे तरीके से पढा सकते है, जो उनकी अपनी टीचिंग शैली और छात्रों की जरूरत के मुताबिक हो।
बच्चे में रचनात्मक लेखन को बढावा देने के प्रयास किए जायेंगे।