एलआईसी डूबने की कगार पर, निवेशकों के चेहरों पर तनाव की लकीरें
भोपाल। एक के बाद एक पब्लिक सेक्टर यूनिट (पीएसयू) पर बंद होने की कगार पर है। करोड़ों रूपये कमाकर देने वाली कंपनियां पांच साल में इस हालत में पहुंच गई है कि उनके दिवालियां होने की बात की जा रही है। सोचने वाली बात तो यह है कि ऐसी हालत पांच साल में क्यों हुई। ऐसा क्या हो गया कि पीएसयू डूबने की कगार तक पहुंच गए।
बेहतर होता कि 2014 से पहले और उसके बाद बनाई गई नीतियों का अध्यन किया जाये। ऐसा बवंडर लाने के लिए कोन जिम्मेंदार है। उनकी जिम्मेंदारी निर्धारित की जाये। इंडियन रेलवे, इंडियन आयल, बीएसएनएल, एलआईसी, पीएनबी, एसबीआई जैसे उपक्रम की माली हालत क्यों बिगड़ गई।
क्या वर्ष 2016 में नोटबंदी और जीएसटी को इसके लिये जिम्मेंदार नहीं है। केंद्र की भाजपा सरकार की जिम्मेंदारी नहीं है कि सार्वजनिक रूप से नोटबंदी के लिये माफी मांगे।
गौरतलब है कि पिछले पांच साल में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के नाॅन परफार्मिंग ऐसेट (एनपीए) दो गुने स्तर तक पहुंच गए है। ये जानकारी एलआईसी की वेबसाईट पर जारी की गई है। एलआईसी के मुताबिक मार्च 2019 तक एनपीए का आंकड़ा 6.15 फीसदी तक पहुंच गया है जबकि वर्ष 2013-14 में 3.2 के आसपास तक था।
एलआईसी डूबने की कगार पर पहुंचने की रिपोर्ट जारी
पिछले पांच में एनपीए सौ प्रतिशत से अधिक हुआ। यह चिंताजनक रिपोर्ट एलआईसी ने वेबसाईट पर जारी की है। वर्ष 2014 में एलआईसी का एनपीए 24 हजार करोड़ से ज्यादा था, वहीं कुल कर्ज चार लाख करोड़ से अधिक था। ऐसा होने के पीछे वजह यह बताई जा रही है कि जिन कंपनियों में एलआईसी ने निवेश किया था।
वह कंपनियां नुकसान में चल रही है, और कई तो दिवालियां होने जा रही है। इसमें दीवान हाउसिंग, इंडिया बुल्स, पीरामल केपिटल, यस बैंक सहित कंपनियों की माली हालत खराब होने से एलआईसी के एनपीए में जबरदस्त गिरावट आई है।
दीवान हाउसिंग की देनदारी 6 हजार 500 करोड़, रिलायंस केपिटल की देन दारी 4 हजार करोड़, है। एबीजी, एमटेक आटो कंपनियों में एलआईसी ने बड़ा निवेष किया हुआ है।
शेयर मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक नाॅन बैंकिंग सेक्टर में तबाही का असर एलआईसी पर गहरा पड़ा है। एक्सपर्ट का कहना है कि एलआईसी ने भी वहीं गलती की है, जो दूसरी निजी बैंकों द्वारा की गई है। हालांकि निवेशकों को घबराने की आवष्यकता नहीं है। फिर भी इसका असर तो पड़ेगा।
कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एलआईसी की गिरती सेहत के लिए मोदी सरकार को जिम्मेंदार ठहराया है। गांधी का कहना है कि मोदी सरकार की नीतियों ने फायदे वाले उपक्रम को नुकसान में पहुंचा दिया है।