MADHYA PRADESH

employment and training department-ना रोजगार मिला और ना training

employment and training department- क्‍या है युवा स्‍वाभिमान योजना, ओर क्‍यूं दम तोड़ दिया योजना ने

भोपाल। मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बनी युवा स्वाभिमान योजना ने दम तोड़ दिया है। इस योजना को बड़े जोर शोर से शुरू किया था, लेकिन योजना अपने उददेश्य को पूरा नहीं कर पाई है।

अब यह योजना बंद होने की कगार पर है। अब इस योजना पर कोई काम नहीं हो रहा है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के नौजवानों को रोजगार देने के लिए युवा स्वाभिमान रोजगार योजना प्रारंभ की गई थी।

जिसके तहत बेरोजगारों को प्रशिक्षण देकर स्थायी रोजगार मुहैया कराना था। असल में इस योजना में 18 हजार से ज्यादा युवाओं ने पंजीयन कराया और रोजगार मिला केवल 527 बेरोजगार युवाओं को। इसमें 527 युवाओं को सौ दिन का रोजगार मिला।

इस योजना के तहत दावा किया गया था कि प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं में से 70 फीसदी को स्थायी रोजगार दिया जायेगा। लेकिन ऐसा करने के बजाय पजीकृत युवाओं में से चुनिंदा को 100 दिन का रोजगार देकर औपचारिकता पूरी कर दी।

जिन युवाओं ने इस योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण लिया, वह आज घर बैठे है। मतलब पहले भी बेरोजगार थे, अब भी बेरोजगार है।

ऐसे करते है गड़बड़ी-

युवा स्वाभिमान योजना के अंतर्गत training  कराई जाती हैै। नगर निगम भोपाल द्वारा संस्थाओं का चयन कर उन्हें training कराने की जिम्मेंदारी सौंपी। दस सस्थाओं को 2660 युवाओं को training देने का काम दिया गया।

बदले में सरकार ने 14 हजार प्रति नौजवान के हिसाब से राशि traning  संस्थाओं को दी। इसमें आधी राशि training के पहले देने और बाकी राशि training के बाद स्थाई रोजगार दिलाने पर दी जाती है। 3000 हजार रूपये training  करने वाले युवाओं को स्टाईपेन्ड के रूप में दिये जाते है।

इस योजना के अंतर्गत जिन युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया उन्हें रोजगार नहीं मिला। इस साल जिनका प्रशिक्षण के लिए चयन हुआ, लाॅक डाउन के कारण प्रशिक्षण को रोक दिया गया।

employment and training department बताया कुछ दी कोई और training-

युवा स्वाभिमान योजना के तहत योजना में युवाओं को जिस trade  में training  देने की बात कहीं गई थी, उस trade  में training  नहीं दी गई। कंप्यूटर असिस्टेंट की training करने वालों को सिलाई कढ़ाई की training  दी गई।

युवाओं का कहना है कि जब कंप्यूटर के क्षेत्र में काम करने की ईच्छा थी, तो घरेलू काम सिखाने पर जोर दिया गया। वहीं अधिकांश लोगों को सिलाई सेंटर और मोबाइल रिपेयरिंग में से किसी एक trade में काम सीखने को कहा गया।

इस योजना में नब्बे प्रतिशत लोगों को उनकी पसंद के मुताबिक काम नहीं मिला। इसलिये सरकार को ऐसी येाजनाएं बनाने से पहले उसके परिणाम के बारे में एक बार सोचना hoga.

रोजगार बोर्ड को फिर से करे एक्टिव-

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने अपने तीसरे कार्यकाल में रोजगार निर्माण बोर्ड को फिर से प्रारंभ किया था। इस बोर्ड में रोजगार संबंधित विशेषज्ञ हेमंत देशमुख को नियुक्त किया था।

बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष हेमंत देशमुख के नेतृत्व में मप्र में रोजगार के क्षेत्र में जो कार्य किया गया, वह पहले कभी नहीं हुआ। देश की प्रमुख कंपनियों से उनके यहां खाली वैकेंसी की डिटेल मांगी गई।

देशमुख ने व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर कंपनियों को राजी किया कि वह मध्यप्रदेश के युवाओं को नौकरी पर रखे। पांच लाख से अधिक नए जाॅब क्रियेट किये गये।

प्रदेश में सबसे बड़ा जाॅब फेयर करने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है, उस फेयर में एक दिन में हजारों युवाओं को रोजगार दिया गया था। वह युवा अब भी किसी ना किसी मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहे हैं।

About the author

Bhaskar Jobs

Leave a Comment