success story in hindi-गरीब किसान, बेटी टाॅपर, आर्थिक तंगी के बाद भी ठुकराया लाखों का आफर
-बच्चों को आत्मसम्मान की शिक्षा दे रहा हूं, कैसे न्याय कर पाउंगा
BHOPAL- खुद्दारी का दूसरा नाम इमानदारी भी है। जब व्यक्ति को अपने इमान पर यकीन होता है, तो वह मुफलीसि (गरीबी) में भी रहना पसंद करता है, लेकिन किसी की मदद लेना पसंद नहीं करता है।
जिस घर में खाने के लिए रोटी कम हो, पर आत्मसम्मान की कमी ना हो, उस घर में प्रतिभा जन्म लेती है।
भिंड के अजनोल गांव की रहने वाली रौशनी भदौरिया अपने घर के लिए रौशनी (success story in hindi) लेकर आई है। इस बालिका ने मध्यप्रदेश में दसवीं की परीक्षा में 8 th रेंक लाकर पूरे प्रदेश में शौहरत पाई है।
रौशनी के कारण भिंड जिले के छोटे से गांव अजनोल की पहचान national leval पर बन गई है। जिस गांव की लड़की को कहीं दूर जाकर पढ़ने की इजाजत नहीं मिलती हो, उस गांव की लड़की ने 24 किलोमीटर रोजाना स्कूल जाकर टाॅपटेन में अपना स्थान बनाया है।
रौशनी को दसवीं की परीक्षा में 98.75 प्रतिशत मिले है। उनकी इस उपलब्धि पर देशभर से उन्हें बधाई के संदेश आ रहे हैं। मध्यप्रदेश की प्रतिभा हो और shivraj singh chauhan उनसे बात ना करे, ऐसा तो हो नहीं सकता।
मुख्यमंत्री shivraj singh chauhan ने रौशनी के पिता से बात की और बच्ची को आर्शीवाद दिया। कहा कि इस बालिका ने माइलस्टोन बनाया है। प्रदेश की नई पहचान बनाई है।
ठुकराया लाखों का आफर-
मुख्यमंत्री shivraj singh chauhan ने बालिका की उच्च स्तर की पढ़ाई के लिए अपनी तरफ से कुछ लाख रूपये का आफर रौशनी के पिता पुरूषोत्तम भदौरिया को दिया तो उन्होंने नरमी से shivraj singh chauhan का आफर ठुकरा दिया।
पुरूषोत्तम भदौरिया ने कहा कि साहब मैं किसान हूं। पौधे को बड़ा करना मुझे आता है। लोन लेकर पढ़ाना पडे़ तो भी बच्चों को पढाउंगा। लेकिन निजी मदद नहीं लूंगा।
भदौरिया कहते है कि जब मैं बच्चों को सेल्फ रिस्पेक्ट (आत्मसम्मान) की शिक्षा दे रहा हूं तो मदद कैसे ले सकता हूं।
मेरी उस शिक्षा का क्या होगा, जो मैं बच्चों को दे रहा हूं। भदौरिया का कहना है कि उसे सरकारी मदद लेने में कोई हर्ज नहीं है, पर निजी मदद के खिलाफ हूं।
शिवराज जी भले व्यक्ति है, मैं उनके टच में हमेशा रहूंगा। सीएम के प्रति मैं आभार प्रकट करता हूं।
SUCSESS STORY IN HINDI 24 किलोमीटर रोज चलाती है साईकिल-
सफलता ऐसे ही किसी दिन सुबह उठकर नहीं मिल जाती है, इसके लिए ना जाने कितनी रातों को जगना पड़ता है। रात और दिन मेहनत करना पड़ता है।
रौशनी की कहानी भी ऐसी ही है। रौशनी को स्कूल जाने के लिए रोजाना 24 किलोमीटर साईकिल चलना पड़ता है।
सबसे खास बात तो यह है कि रौशनी जिस साईकिल से स्कूल जाती है, वह उसे आठवीं कक्षा में अच्छे नंबर लाने पर उपहार में मिली है।
रौशनी से उनके पिता द्वारा लाखों रूपयों का आफर ठुकराने पर पूछा गया तो उसका कहना था कि पापा कहते है कि जिस पैसे को तुम्हारे द्वारा कमाया गया नहीं है, उस पैसे को कभी स्वीकार मत करो।
लोन लेकर पढ़ायेंगे-
रौशनी के पिता पुरूषोत्त्म भदौरिया का कहना है कि उनके पास पैसे की कमी है। तीन बच्चे है, जिसमें रौशनी दूसरे नंबर की है। बच्चे जब तक पढ़ना चाहेंगे, मैं उनको पढ़ाने को तैयार हूं।
इसके लिए मुझे लोन लेना पडे या अन्य किसी साधन का सहारा लेना पड़े। मैं बच्चों को पढ़ता रहूंगा।
success story in hindi क्या कहुं अच्छा लगता है-
रौशनी बताती है कि टाॅप करने की खबर जब अखबारों में आई तो देशभर से मुझे बधाई के काॅल आ रहे हैं, ये मेरे लिये नया अनुभव है। मैं नहीं जानती हूं कि क्या कहुं, पर मुझे अच्छा लग रहा है।
इस साल में अपने marks में सुधार लाते हुए और अच्छा परफार्मेंस करने की कोशिश करूंगी। रौशनी ने कलेक्टर बनने की इच्छा बताई है, उसने कहा कि पापा को खेत में काम करते हुए देखा है, वह अपने परिवार को आराम की जिंदगी देने की इच्छा रखती है।
स्कूल के पास लेंगे किराये का कमरा-
रौशनी के पिता भदौरिया का कहना है कि वह रौशनी को आने जाने में आ रही परेशानी से चिंतित है। उसके लिए स्कूल के पास ही किराये से कमरा ले लेंगे।
इसके लिए उन्हें अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा, लेकिन वह इसका इंतजाम कर लेंगे।
लड़कियां चमत्कार करती है-
गांव के सरपंच शोभाराम कहते है कि रौशनी ने एक मिसाल कायम की है। उन्होंने कहा कि रौशनी की सफलता ने बता दिया कि लड़किया चमत्कार तक कर सकती है ।
रौशनी के माता पिता लड़की को पढ़ने के लिए आउटसाईड भेजते है, यहां यह बहुत कम माता पिता ऐसा करते है, लेकिन अब इस सफलता के बाद लड़कियों को भी दूसरी जगह जाकर पढ़ने का मौका मिल सकता है।
टच में है और मदद करेंगे-
भिंड कलेक्टर वीरेंन्द्र रावत ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वह बच्ची के परिवार के संपर्क में रहे। उन्होंने कहा कि हम उसकी मदद जरूर करेंगे।
सरकार की योजनाओं का लाभ देने की हर संभव कोशिश करेंगे।
राज्यसभा सांसद का लैपटाॅप का वादा-
राज्य सभा सासंद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विवेक तन्खा ने टाॅप टेन टाॅपर को लैपटाॅप देने का वादा किया है।
उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को पत्र लिखकर कहा है कि हमें टैलेंट हंट प्रोग्राम शुरू करना चाहिये। ये ज्वलंत मस्तिष्क national एवं international स्तर पर प्रदेश का नाम रौशन करेंगे।
अमेरिका इंग्लैंड ये व्यवस्था पहले से ही है। मध्यप्रदेश के ग्रामीण अंचल में प्रतिभा की कमी नहीं है। उनको हमें ही ढुंढना होगा। वो खुद से हमारे पास नहीं आयेंगे।