आत्म निर्भर भारत-मन में जोश हो तो तिनके से भी पहाड़ बनाया जा सकता है…
भोपाल। जब मन में जोश हो, जूनून हो, कुछ कर गुजरने की ख्वाइश हो, तो तिनके से भी पहाड़ बनाया जा सकता है।
कुछ ऐसा ही कारनामा सोलह वर्षीय मेहर सिंह ने करके दिखाया है।
उसके इस कारनामें पर पूरा गांव गर्व महसूस कर रहा है। जिला अधिकारी से लेकर राजनेता उसकी तारीफ कर रहे है।
हम मेहर सिंह के कारनामें पर आपको विस्तार से बताने जा रहे है।
मेहर सिंह की सफलता गांव में रहने वाले लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन सकती है।
जिनके पास संसाधन नहीं होते है, लेकिन उनके दिल में कुछ करने की ज्वाला होती है।
हरियाणा के फतेहाबाद जिले में रतिया के गांव ढाणी टाहलर के किसान दिलबाल संधु के सोलह वर्षीय बेटे विलक्षण प्रतिभा के दम पर बाइक के इंजन से मिनी ट्रैक्टर बनाया है।
मेहर सिह के बनाए ट्रैक्टर को देखने के लिए दूर दूर से लोग आ रहे है।
ट्रैक्टर बनाने में लागत केवल 40 हजार रूपये की आई है। लोग उसके इस मॉडल को खूब सराह रहे है।
आत्म निर्भर भारत-केवल दसवीं तक पढा है मेहर सिंह
आपको जानकर हैरानी होगी कि मेहर सिंह ने केवल दसवीं तक की पढ़ाई राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल से की है।
दसवीं तक पढाई करने के बाद उसने आईटीआई में दाखिला ले लिया।
आईटीआई में उसने डीजल मैकेनिक ट्रेड लिया है।
मेहर सिंह ने अपनी आईटीआई ट्रेड के दम पर आत्मनिर्भर बनने की पहल की है।
एक आईटीआई का छात्र जिसके पास ज्ञान और संसाधन कम है, फिर भी उसने ये करके दिखाया है।
आत्म निर्भर भारत- लॉक डाउन में मिले समय का सदुपयोग
आईटीआई की पढाई करते समय मेहर सिंह अपने ट्रेड में सिखाई जाने वाली हर बात को गंभीरता से लेता था।
थ्योरी का ज्ञान होने पर वह प्रेक्टीकल करना चाह रहा था। तभी कोविड के कारण लॉक डाउन लग गया।
लॉक डाउन के कारण जब वह कहीं जा नहीं पाया तो उसके मन में ख्याल आया कि इस समय ऐसा कुछ किया जाये, जो सबके लिए प्रेरणा बने।
मेहर सिंह ने पांच माह की कडी मेहनत के बाद चालीस हजार रूपए खर्च कर ट्रैक्टर को बना लिया।
इसमें उसने पूरानी मोटर साईकिल के इंजन को लगाया।
जो पार्टस की उसे जरूरत पड़ी उसने बाजार से खरीदकर उसे ट्रेक्टर में लगा दिए।
घर को बनाया सर्विस स्टेशन
हैरत की बात तो यह है कि मेहर सिंह ने इस मिनी ट्रैक्टर की बॉडी भी खुद तैयार की है।
इसके लिए उसने अपने घर पर वेल्डिंग आदि का सिस्टम लगाया। घर को उसने सर्विस स्टेशन बना दिया।
मारूति 800 का गियर बाक्स, बाईक के ईंजन सहित ट्रैक्टर के अलग अलग पार्ट्स पंजाब से लेकर आए और ट्रैक्टर बना दिया।
इस ट्रैक्टर मे 125 सीसी बाईक का इंजन है, जो कि पांच किवटंल तक वजन उठाकर इधर से उधर लेकर जा सकता है।
किसानों के कारगर है ये ट्रैक्टर
किसान को आमतौर पर पशुओं के लिए चारा, खाद, बीज आदि ढोने मे यह कारगर साबित होगा।
मेहर के पिता दिलबाग संधू ने बताया कि उनके बेटे को ट्रैक्टर बनाते वक्त भी हमारे परिवार ने पूरा सहयोग दिया था।
अब वह अगले वर्ष एक छोटी हार्वेस्टर बनाएगा। इसका काम सात-आठ माह में पूरा होगा।
मेहर बचपन में भी ट्रैक्टर का खिलाना मांगता था
मेहर सिंह जब छोटा था, तब भी वह वह खिलौने के रूप में ट्रैक्टर ही मांगता था, और उससे ही खेलता था।
मेहर सिंह के पिता का कहना है कि क्या पता था कि ट्रैक्टर से खेलने वाला बच्चा सच का ट्रैक्टर बनायेगा।