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Thomas Edison Biography In Hindi ||मंदबुद्वि बालक थॉमस अल्‍वा एडीसन से दुनिया के सबसे महान वैज्ञानिक बनने  की कहानी…

थॉमस अल्वा एडिसन का जीवन परिचय हिंदी में-Thomas Edison Biography In Hindi ||मंदबुद्वि बालक थॉमस अल्‍वा एडीसन से दुनिया के सबसे महान वैज्ञानिक बनने  की कहानी-थॉमस अल्वा एडिसन का जीवन परिचय हिंदी में

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thomas alva edison ki kahani- 11 फरवरी, 1847 की सर्द रात को अदभुत बालक का जन्‍म हुआ, जिसका सिर आम बच्‍चों से बड़ा था, पर शेष शरीर कमजोर था. बालक के दादा और चाचा के नाम पर उसका नाम थॉमस रखा गया. साथ ही एडिसन परिवार के संकट के समय भरपूर मदद करने वाले कैप्‍टन अलवा ब्रेडले के नाम का एक भाग अल्‍वा जोड़ा गया. इस तरह बालक का नाम थॉमस अल्‍वा एडिसन (Thomas Edison) पड़ा. थॉमस के पिता का नाम सैमुअल जूनियर और माता का नाम नैंसी था. न्‍यूयार्क से 130 किमी दूर मिलान में थॉमस अल्‍वा एडीसन का जन्‍म हुआ. थॉमस एडीसन का स्‍वास्‍थ्‍य शुरू से ही कमजोर रहा. उसे अक्‍सर सर्दी- जुकाम और सांस लेने में तकलीफ रहने लगी.वह पढ़ाई पर ध्‍यान केन्द्रित नहीं कर पा रहा था.

थॉमस अल्वा एडिसन का जीवन परिचय हिंदी में-Thomas Edison Biography in hindi-  एडिसन को स्कूल से बाहर क्यों ले जाया गया?

बालक Edison की शिकायतें भी स्‍कूल से ज्‍यादा आती थी. वह सपनों में खाे जाता था और कॉपी में कायदे से लिख तक नहीं पाता था. एक बार शिक्षक ने एडीसन की मां से कहा कि आपका बालक तो पागल है. इससे माता नैंसी बुरी तरह से आहत हुई. माता नैंसी ने ही उसको पढ़ाना प्रारंभ कर दिया. थॉमस घर पर पढ़ाई करते हुए कई अटपटे से प्रयोग भी करता था. उनकी इन हरकतों की मां नैंसी वकालत करती थी और उसे दूसरे बच्‍चों से अलग बताती थी.

पहली बार ट्रेन में जाने का अवसर और 30 डालर की सैलरी भी 

नवंबर 1859 में Thomas Edison  को बारह साल की उम्र में पहली बार रेल यात्रा करने का मौका मिला. ट्रेन से जाते समय रास्‍ते में थॉमस ने अपने सामान पर ब्रश और रंग से ऐसे निशान लगा दिए, जिससे उन्‍हें उतारने में आसानी हो. यह कला उस समय अभूतपूर्व थी, और स्‍टेशन मास्‍टर ने उसकी तारीफ की और उसे 30 डॉलर की सेवाओं पर रख लिया. अब थॉमस की दिनचर्या रेल में यात्रा करना हो गई. थॉमस रेलवे से यात्रा करते समय किताबों और अखबारों को पढ़ने लगे. वह रेल में अखबार बेचने लगे. लेकिन वह काम उन्‍हें नहीं जम पाया. अब उन्‍होंने खुद का अखबार शुरू किया. उनके अखबार का नाम था “ग्रांड ट्रंक हेराल्‍ड”(grand trunk herald) . इसे अपने बेसमेंट में छापते थे और 8 सेंट की दर पर रेल में बेच देते थे.उनकी प्रसिद्धि बाल पत्रकार के रूप में हो गई. थॉमस को लगातार आय हो रही थी. इस आय से उन्‍होंने रेलगाड़ी में एक प्रयोगशाला तैयार कर ली और उसमें प्रयोग करने लगे. एक दिन वह एक रासायनिक प्रयोग कर रहे थे, तभी उपर रखा फॉस्‍फोरस नीचे गिर गया और उसमें आग लग गई. इसके बाद बालक थॉमस को वहां से धक्‍के मारकर निकाल दिया.

यह दौर था टेलीग्राफ का-Thomas Edison Biography in hindi

थॉमस एडीसन जब पंद्रह साल का हुआ तब टेलीग्राफ दूर दूर तक फैल चुका था. टेलीग्राफ की लाइनें वाशिंगटन से सैन फ्रांसिस्‍कों तक बिछाई जा चुकी थी. जिज्ञासू थॉमस की दिलचस्‍पी इस अनोखी दूर संचार व्‍यवस्‍था में जग गई थी. उन्‍होंने इसके लिये टेलीग्राफ दफ्तर के चक्‍कर काटना शुरू कर दिये. एक बार पटरी पर रेलवे स्‍टेशन मास्‍टर मैकेंजी का तीन वर्षीय पुत्र खेल रहा था, उस समय ब्रेक की व्‍यवस्‍था कमजोर थी. जैसे ही थॉमस की निगाह बालक पर पड़ी, उन्‍होंने बच्‍चे को सुरक्षित उठा लिया. कृतज्ञ पिता ने थॉमस से उसकी इच्‍छा पूछी और थॉमस ने टेलीग्राफ‍िस्‍ट बनने की इच्‍छा जाहिर कर दी. थॉमस रात में 7 से सुबह 7 बजे तक काम करता था. दिन में कुर्सी पर बैठे बैठे सो जाता था. एक बार उसकी गलती से बड़ी दुर्घटना होते होते बची और उसे उसकी जिम्‍मेंदारी से हटा दिया. इन दिनों थॉमस की नौकरियाँ लगती रही, छूटती रही. थॉमस को पढ़ने का जबरदस्‍त शौक था, वह नीलामी में पुस्‍तकों को सस्‍ते दाम पर खरीद लेता था, और उसे पढ़ता रहता था. वह थॉमस माइकेल फैराडे से बहुत प्रभावित थे. थॉमस एडीसन ने फैराडे के विद्युत व चुंबकत्‍व संबंधी तमाम प्रयोग का विवरण पढ़ा और विद्युत के गुणों के बारे में जाना

दोस्‍त ने नौकरी के लिए बुलाया बोस्‍टन

. बीस वर्षीय थॉमस को उसके मित्र ने बोस्‍टन में नौकरी के लिए बुलाया. बोस्‍टन आते ही थॉमस का अविष्‍कारों का सिलसिला चल पड़ा. दफ्तर में काम करते हुए उसने विद्द्युत चलित वोट रिकार्डर मशीन बना डाली और उसका पेटेंट भी करा लिया. हांलाकि मशीन को खरीददार नहीं मिले, पर थॉमस ने हार नहीं मानी.

मेरी से हुआ विवाह, एडिसन का कोराबार तेज गति से चलने लगा -Thomas Edison Story in Hindi-Thomas Alva Edison ki kahani

काम करते हुए थॉमस को अहसास हुआ कि उसकी आयु विवाह योग्‍य हो गई है, उसने मेरी नाम की लड़की से विवाह किया. एडिसन का कारोबार बढ़ता जा रहा था. उसने न्‍यूजर्सी में एक जमीन खरीदी और यहां एक प्रयोग शाला का निर्माण कराया.

विद्युत पेन के पेंटेंट के लिये दिया आवेदन -thomas edison ne kiska aviskar kiya

13 मार्च, 1876 को एडिसन के द्वारा अविष्‍कृत विद्युत पेन के पेंटेंट के लिये आवेदन दिया. इस दौरान एडीसन ग्रामोफोन पर काम करते रहे, उन्‍होंने फोनोग्राफ का पेटेंट कराया. अब थॉमस बिजली के बल्‍ब को बनाने के काम पर जुट गये.वह बल्‍ब को बनाने में सफल हुए और उसकी रोशनी बढ़ाने में भी, फ‍िर भी थॉमस अपने काम से संतुष्‍ट नहीं थे. इधर एडीसन लगातार सफल हो रहे थे. उन्‍होंने एक बार पूरे चौराहे को जगमग करने का कारनामा किया,.

पारिवारिक जीवन नहीं था सुखमय, तड़प तड़प के दम तोड़ा पत्नि ने –Thomas Edison Story in Hindi

एडिसन जीवन में लगातार आगे जा रहे थे, आविष्‍कार कर रहे थे, दूसरी और उनका पारिवारिक जीवन ठीक नहीं चल रहा था. उनकी पत्‍नी मैरी अकलेपन से बीमार रहने लगी थी. वह बुरी तरह से टुट गई थी. एक रात एडिसन रात में प्रयोग कर रहे थे, और उनकी पत्‍नी तड़प तड़प कर दम तोड़ गई. आसपास के लोग खासे हैरान थे, और एडिसन को उनके दिन रात प्रयोगशाला में डूबने को लेकर लानत भेज रहे थे. शायद उस दिन भगवान भी एडिसन से नाराज हुआ होगा.

मीना से दूसरे विवाह के बाद भी लैब में गुजरता था ज्‍यादा समय

बाद में एडिसन ने मीना से दूसरा विवाह किया. लेकिन उनके प्रयोग करने की तड़प कभी कम नहीं हुई. ठीक इसी समय दुनियाभर में उथल पुथल का दौर था, विश्‍वयुद्व का साया कई देशों पर पड़ रहा था. कुछ समय के लिए एडीसन ने अमेरिकी नेवी के लिए भी काम किया. इसके बाद वह अपने व्‍यापार में लोट गये.

ऐसे हुआ रबर का अविष्‍कार,  उस समय एडिसन के चर्चे सब तरफ थे

एडिसन के मित्र हेनरी फोर्ड ऑटोमोबाइल उद्योग में रबर की मांग को लेकर चिंतित थे. उस समय कृत्रिम रबर विकसित करने की योजना पर अलग अलग वैज्ञानिकों ने काम शुरू किया. लेकिन एडीसन के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था. एडीसन ने एक वैक्‍यूम पंप तैयार किया, जो रबर के पेड़ों के दूध को तेजी से खींच लेता था. अपने अस्‍सीवें जन्‍म दिवस पर एडीसन रबर के पेड़ों सबंधी प्रयोग करने में सफल रहे थे.

एडिसन की मृत्‍यू कैसे हुई, अंतिम समय, विश्‍व बहुत दुखी था

इस उम्र में कई अविष्‍कार करते हुए उम्र के आखरी दौर तक पहुंचे ही गये एडीसन. 30 जुलाई 1931 को एडीसन अपनी कुर्सी से लुढ़क गए और वह कौमा में चले गये. एक बार कौमा से बाहर आए और अपनी पत्‍नी को देखा और कहा वातावरण बहुत अच्‍छा है. वह बीमार ही रहे. 18 अक्‍टूबर 1931 को रविवार के दिन एडिसन चल बसे .

थॉमस अल्वा एडिसन ने किसका आविष्कार किया? – Thomas Edison Scientist in Hindi-thomas edison ne kiska aviskar kiya-थॉमस अल्वा एडिसन का जीवन परिचय हिंदी में

  • 11 अक्‍टूबर 1868 में इलेक्‍ट्रीकल वोट रिकार्डर का पेटेंट.
  • 1872-1876 तक एक के बाद एक महत्‍वपूर्ण अविष्‍कार के पेटेंट कराये. स्‍वचालित टेलीग्राफ तंत्र बनाया. 
  • 1877 में फोनाग्राफ तैयार किया. 1879 में बिजली का बल्‍ब व्‍यवसायिक रूप से सफल हआ. पहला बल्‍ब 40 घंटे तक जलता रहा.
  •  1887 से 90 तक अस्‍सी नए पेटेंट हासिल किए. 1891 में विद्युत रेलवे में सुधार के लिये अनेक अविष्‍कार किए. 
  • सन 1900-10 के बीच स्‍टील से तैयार क्षारीय बैटरियों का अविष्‍कार और उसके निर्माण में व्‍यवसायिक सफलता. जीवन के अंतिम समय तक एडीसन लगातार प्रयोग करते रहे सफलता प्राप्‍त करते रहे.

 बचपन में हैरान करने वाली हरकतें-Thomas Edison Biography in Hindi- Thomas Edison Full story in Hindi-थॉमस अल्वा एडिसन का जीवन परिचय हिंदी में

-एक बार बालक एडीसन अंडों पर बैठ गये, वह समझना चाहते थे कि मुर्गियां व बतखें अंडे पर बैठती है, तो छोटे छोटे चूजे कैसे निकलते है

-एक बार पानी के जहाज बनाने वाले के पास एडीनस पहुंचे और पूछने लगे कि दूर से देखने पर हथौड़ी लगना पहले दिखाई देता है, आवाज बाद में, एसा क्‍यों?

-एक बार उसने देखा कि चिडि़यां कीड़े-मकोड़े खाती है, तो उड़ने लगती है. उसे लगा कि मनुष्‍य भी कीड़े खाए तो उड़ने लगेगा. उसने बहुत सारे कीड़े मकोड़े, कीट, पतंगे इकटठे किए और उसकी चटनी बनाई. और अपनी हम उम्र पडोसिन को पिला दिया. बेचारी लड़की की जान बड़ी मुश्किल से बच पाई.

14 कोटस थॉमस अल्‍वा एडिसन के – Thomas Edison quotes in hindi-14 Thoughts Thomas Edison in Hindi-थॉमस अल्वा एडिसन का जीवन परिचय हिंदी में

  1. सफलता के लिए सबसे अधिक जरूरी है एक और प्रयास करना.
  2. अच्‍छा विचार कभी नष्‍ट नहीं होता है. हो सकता है, उसका उदगमकर्ता या धारक उसे सार्वजनिक किए बिना मर जाए. पर यह कभी न कभी किसी अन्‍य मस्तिष्‍क में दोबारा जन्‍म अवश्‍य लेता है.
  3. प्रतिभावान व्‍यक्ति की योग्‍यता में मात्र एक प्रतिशत आंतरिक प्रेरणा होती है औ 99 प्रतिशत परिश्रम होता है.
  4. ज्‍यादातर लोग अवसर इस कारण से खो देते है, क्‍योकि यह देखने में सामान्‍य कार्य जैसा लगता है.
  5. कई बार अविष्‍कार करने के लिए बेहतरीन कल्‍पना-शक्ति और कबाड़ से प्राप्‍त सामान ही पर्याप्‍त होता है.
  6.  यदि हम वह सब कर ले, जिसके लिए हम सक्षम है, तो हम आश्‍चर्य में पड़ जाएंगे.
  7. हमारे विदयालय छात्रों को सोचना नहीं सिखा पा रहे है, यह आश्‍चर्य की बात है कि बहुत कम लोग अपना मस्तिष्‍क निश्चित रूप से और विधिवत काम में लगा पाते है.
  8. लोगों के जीवन की तमाम असफलताओं में से ज्‍यादातर इस कारण है कि हार मानते समय उन्‍हें यह नहीं पता था कि वे सफलता के कितने करीब थे.
  9. जो व्‍यक्ति संतुष्‍ट हो जाता है, वह आगे नहीं बढ़ पाता है.
  10. परिणाम की चिंता मत करो. मुझे मेरे कामों के तरह तरह के परिणाम मिले है. कई बार दस हजार प्रयोग असफल हुए है, पर मैंने हार नहीं मानी. हर असफलता ने मुझे नया रास्‍ता दिखाया है.
  11. काम चिंताओं का इलाज है. यह व्हिसकी से अधिक कारगर है. जब मैंने की अधिक चिंता की तब जरूरी काम ही भूल गया.
  12. समय वह पूंजी है जो वास्‍तव में व्‍यक्ति के पास है और उसे खोना या नष्‍ट करना व्‍यक्ति के लिए महंगा पड़ता है.
  13. जब तक हम मामूली दिखने वाली घास की नोक को खुद नहीं बना लेते, तब तक प्रकृति हमारे तथाकथित वैज्ञानिक ज्ञान पर हंसती रहेगी.
  14. जो मेहनत करेगा और धूल मिटटी से परहेज नहीं करेगा, वह ज्‍यादा कमाएगा

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