Albert Einstein Hindi Biography-अल्बर्ट आइंस्टीन डिस्लेक्सिया पीड़ित होने के बाद भी परमाणु बम के आविष्कारक बने, जानना चाहते है कैसे, इस आर्टिकल को पूरा पढ़े और जाने आइंस्टीन के जीवन के बारे में….
– अल्बर्ट आइंस्टाइन के कक्ष में महात्मा गांधी की तस्वीर लगी हुई थी. उन्हें आशा थी कि दुनिया गांधी के बताये रास्तों पर चलेगी,तब हीं दुनिया में शांति स्थापित होगी. इसके अलावा अल्बर्ट आइंस्टीन वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस से भी प्रभावित थे. बोस ने आइंस्टाइन (albert einstein in hindi) के उन समीकरणों को हल किया, जिनको हल करने में अल्बर्ट आइंस्टीन स्वयं कठिनाई महसूस कर रहे थे. अल्बर्ट आइंस्टीन मानते थे कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू की अहम एवं प्रभावी भूमिका होगी. वे भारत पर चीन के भावी आक्रमण के प्रति आशंकित थे.
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14 मार्च, 1879 को जर्मनी के उल्म शहर में आइंस्टाइन दंपति के यहां प्रथम संतान ने जन्म लिया. बालक का नाम अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) रखा गया. आइंस्टीन के जन्म के बाद उनके पिता हरमन का कारोबार चौपट हो गया. उनकी माता का नाम पॉलीन था. Albert Einstein नौ वर्ष तक धारा प्रवाह नहीं बोल पाते थे. वह डिस्लेक्सिया से पीड़ित थे. जिन शिक्षकों ने अल्बर्ट आइंस्टाइन को पढ़ाया, वह उनको बुद्ध किस्म का छात्र मानते थे. उनके शिक्षकों को कहना था कि अल्बर्ट आइंस्टीन आगे चलकर कुछ नहीं बनेगा, वह कभी सफल नहीं होगा. बचपन (Albert Einstein childhood story) में अल्बर्ट आइंस्टाइन को वायलिन बजाने का शौक था. हालांकि वह संगीत की गणितीय संरचना के बारे में जानना चाहता था. वह संगीत को दूसरे तरीके से देखता था.
चाचा जैकब का अहम योगदान-Albert Einstein Hindi Biography
गणित के बारे में अल्बर्ट आइंस्टाइन की रुचि जगाने में उनके चाचा जैकब का अहम योगदान रहा है. चाचा जैकब ने Albert Einstein को बताया कि बीजगणित में हम ऐसे छोटे जीवों का शिकार करते है, जिनके नाम हमको मालूम नहीं होते है, तो हम उनको एक्स, और वाय जैसे नाम दे देते है. इस प्रकार आइंस्टीन के मन में गणित को लेकर एक रोचक छवि बन गई.
अल्बर्ट के सवालों से शिक्षक रहने लगे परेशान
बचपन में अल्बर्ट के सवालों से उनके शिक्षक परेशान रहने लगे. शिक्षक शिकायत करते थे कि अल्बर्ट के सवालों के कारण दुसरे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है.उनके सवालों के कारण उनको छात्रावास से निकाल दिया और वह बिना डिप्लोमा पाए माता पिता के पास पहुंच गए. उस समय विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए डिप्लोमा आवश्यक था. उनके पिता डिप्लोमा नहीं होने के कारण उनसे नाराज थे. इसके बाद जर्मनी के बाहर मध्य यूरोप में ज्यूरिख में स्विस फेडरल पॉलीटेक्निक स्कूल (swiss federal polytechnic school) में प्रवेश दिलाया गया. यहां अल्बर्ट चुंबकत्व के बारे में जानने का प्रयास कर रहे थे .स्कूल के प्राचार्य अल्बर्ट के गणितीय ज्ञान से प्रभावित थे.
इसलिए छोड़ी जर्मन नागरिकता-Albert Einstein Hindi Biography
अल्बर्ट को स्विट्जरलैंड का वातावरण बहुत पसंद आया. यहां उन्होंने तय कि वह यहीं रहेंगे. जब वह 1896 में अराऊ पहुंचे तो उन्होंने जर्मन नागरिकता (German citizenship) त्यागने के लिए आवेदन भेज दिया. वह जर्मन नागरिक कहलाना पसंद नहीं करते थे.
महिलाओं को आंखों से करते थे आकर्षित-Albert Einstein Hindi Biography
पॉलिटेक्निक की पढाई के दौरान उसे महिलाओं के साथ रहना अच्छा लगता था. युवक अल्बर्ट काले बालों और चमकदार आंखों से आकर्षित कर लेता था. वह लड़कियों की पार्टी में शामिल भी होता था.
भौतिकी का शिक्षक बनने की चाहत
पढ़ाई के दौरान उनके मन में गणितीय भौतिकी (physics teacher) का शिक्षक बनने की इच्छा जागृत हो गयी थी. वह गणित और प्राकृतिक विज्ञान का ज्यादा से ज्यादा अध्ययन कर रहा थे. albert einstein ने अगस्त 1900 में स्नातक की उपाधि प्राप्त कर ली. उन्होंने 6.00 में से 4.91 अंक प्राप्त किए. स्नातक की पढ़ाई (graduation) पूरी करने के बाद अल्बर्ट को कोई काम नहीं मिल रहा था. उसके साथी विभिन्न कामों में हाथ आजमा रहे थे. जबकि अल्बर्ट आइंस्टीन भौतिकी शिक्षक बनना चाह रहे थे. लेकिन उनको काम करने का मौका नहीं मिल पा रहा था. इस दौरान अल्बर्ट ने कई जगहों पर काम करने के लिए आवेदन दिए, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली. तभी विंटर्थर के एक तकनीकी स्कूल में दो महिने के लिये गणित के शिक्षक की आवश्यकता थी. यहां उनको काम मिल गया. वैसे यह दो माह के लिये नौकरी मिली थी, जैसे ही पुराने शिक्षक वापस आये, उनको अल्बर्ट को नई नौकरी की तलाश में जुटना पड़ा.
छोटा रोजगार करते हुए पेटेंट ऑफिस में मिली नौकरी
छोटे मोटे रोजगार करते हुए अल्बर्ट आइंस्टाइन (albert einstein hindi story) ने गैसों के क्षितिज सिद्धांत पर थीसिस तैयार कर उसे पीएचडी के लिए ज्यूरिख विश्वविद्यालय को भेज दिया. इसी बीच 11 दिसंबर 1901 को उन्होंने स्विस पेटेंट कार्यालय (swiss patent office) में वर्ग-2 के एक पद के लिए आवेदन कर दिया. महीनों इंतजार करने के बाद स्विस पेटेंट कार्यालय के डायरेक्टर हॉलर ने अल्बर्ट को इंटरव्यू के लिए आमंत्रित किया. हॉलर उनसे काफी प्रभावित हुए और उन्हें तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया. पेंटेट कार्यालय में अल्बर्ट कुशलता पूर्वक कार्य करते हुए आवेदनों का विश्लेषण कर रहे थे.
मिलेवा से विवाद के बाद समझे बड़ा गणितीय सूत्र
इस बीच अल्बर्ट को ज्यूरिख विश्वविद्यालय से अल्बर्ट को पीएचडी की डिग्री प्राप्त हो गई. जनवरी 1903 में अल्बर्ट आइंस्टीन का विवाह मिलेवा मेरिक से विवाह हुआ. वर्ष 1905 के बाद आइंस्टाइन (Albert Einstein Hindi Biography) ने अपना नया सिद्धांत सामने रखा और कहा कि प्रकाश फोटॉनों अर्थात गुच्छों के रूप में आगे बढ़ता है. उन्होंने इसका गणितीय सूत्र एच म्यू बराबर ऊर्जा…उनका सापेक्षता का सिद्धांत लोगों के समझ में आने लगा और वह वैज्ञानिकों को प्रभावित करने लगे.
प्रथम विश्वयुद्व से दूर रहे-Albert Einstein Hindi Biography
यह दौर प्रथम विश्व युद्ध का था. इस दौर में वैज्ञानिक सेना के लिये काम कर रहे थे, जबकि अल्बर्ट का मानना था कि उसका क्षेत्र सैद्धांतिक भौतिकी है, इसलिये वह राजनीति और सत्ता से दूर रहेंगे.जबकि उनके साथी, सहायक व सीनियर सेना में दुश्मन देश के लिये रणनीति तैयार करने में मदद कर रहे थे. इस बीच अल्बर्ट विभिन्न कार्य और व्याखान देने में व्स्त रहे.
नोबल प्राइस की घोषणा से और पापुलर हो गए
वर्ष 1922 में उन्हें नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा हुई. विशेष बात यह थी कि उनका सापेक्षता सिद्धांत बहुचर्चित था, पर नोबेल पुरस्कार उनके प्रकाश संबंधी सिद्धांत फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट (photoelectric effect) पर दिया गया था.आइंस्टाइन के सिद्धांत की दुनियाभर में चर्चा हो रही थी. विश्व की प्रमुख मैगजीन और अखबारों में उनके लेख प्रकाशित हो रहे थे.इस दौरान भारतवर्ष के वैज्ञानिक ने सन 1924 में एक शोध पत्र आइंस्टाइन को भेजा, जो प्लैंक के नियमों व प्रकाश के क्वांटम के संबंध में था. वे बोस से काफी प्रभावित हुए. उम्र के पचास वें वर्ष में आइंस्टाइन शांति संदेश प्रसारित कर रहे थे.
यहुदी होने पर नहीं करते थे गर्व-Albert Einstein Hindi Biography
जन्म से आइंस्टाइन यहुदी थे, लेकिन वह इस पर शुरू में गर्व नहीं करते थे. जर्मन सेनाओं के आक्रमण को वह गलत मानते थे. सन 1919 के आसपास से ही अल्बर्ट यहूदी आंदोलन में सक्रिय भाग ले रहे थे. शुरू में वह यहूदी होने की बात वह किसी को बताते नहीं थे, लेकिन बाद के समय में यहूदी लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंता करने लगे. यहीं वह समय था, जब सभी यहूदी भावी राष्ट्र की कल्पना करने लगे थे. Albert Einstein सफल अमेरिका यात्रा के बाद फिलिस्तीन की यात्रा पर गये. फिलिस्तीन उस समय ब्रिट्रिश कब्जे मे था. लीग ऑफ नेशंस ने स्वतंत्र यहूदी राष्ट्र की स्थापना को अपनी मंजूरी दे दी थी. जो बाद में इजरायल बना.
शांतिवाद के सहारे तानाशाह का मुकाबला नहीं-
इधर आइंस्टाइन वैज्ञानिक कार्यों में चरम स्थिति पर पहुंच चुके थे और उधर ऑस्ट्रिया जर्मन की चपेट में आ गया था. तब आइंस्टाइन ने कहा कि शांतिवाद के सहारे तानाशाह का मुकाबला नहीं किया जा सकता है. यह बात वह जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर के लिए कह रहे थे. इस समय आइंस्टाइन (albert einstein quotes in hindi) को समाचार मिला कि उनके पुराने सहयोगी ऑटो हान ने सन 1938 के अंत में यूरेनियम के परमाणु की नाभि को तोड़ने में सफलता प्राप्त कर ली है. दुनिया ऑटो हान की सफलता को हल्के में ले रही थी, लेकिन आइंस्टाइन को इसमें भावी विनाश का खतरा दिखाई दिया. अमेरिका सरकार के साथ मिलकर आइंस्टाइन ने परमाणु बम पर काम करना शुरू कर दिया. आइंस्टाइन ने सरकार से मांग की बड़े पैमाने पर प्रयोग किए जाएं और अनुसंधानों का व्यवहारिक उपयोग बढ़ाया जाये. अप्रैल 1940 में आइंस्टाइन ने अमेरिका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट प्रशासन को सूचित किया कि इस परियोजना का पहला चरण पूरा हो गया है. उन्होंने बताया कि दूसरा चरण अत्यंत कठिन होगा.
पर्ल हार्बर पर भारी हमला
इस बीच 6 दिसंबर, 1941 को जापान ने पर्ल हार्बर पर भारी हमला कर दिया. अचानक हुए इस हमले के कारण द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका का औपचारिक रूप से प्रवेश हो गया. परमाणु बम बनाने में उनका सूत्र ई बराबर एमसी स्क्वेयर बम का आधार था. आखिरकार जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में महाविनाश हुआ. इस तरह दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हो गया. दुनिया के सामने ई बराबर एमसी स्क्वायर का विनाशकारी सत्यापन हो चुका था. आइंस्टाइन चाहते थे कि इस तरह के महाविनाश के हथियार के निर्माण के सूत्र विश्व सरकार के पास होना चाहिए.
आइंस्टाइन का मानना था ,संकीर्ण राष्ट्रवाद से ऊपर उठना होगा
आइंस्टाइन का मानना था कि दुनिया में अब शक्तिशाली व विनाशकारी हथियार है, अब लोगों को संकीर्ण राष्ट्रवाद से ऊपर उठना होगा. लेकिन अमेरिका हाइड्रोजन बम के निमार्ण की और बढ़ रहा था. अल्बर्ट आइंस्टाइन (Albert Einstein in Hindi Story Essay) अंतिम दौर में सापेक्षता सिद्धांत, गुरुत्वाकर्षण सिद्वांत, एकीकृत सिद्धांत के परिष्करण में लगे रहे.
आइंस्टाइन ने अंतिम सांस ली और दुनिया से हमेशा के लिये चले गये
17 अप्रैल 1955 को अल्बर्ट आइंस्टाइन ने अंतिम सांस ली और इस दुनिया से हमेशा हमेशा के लिये चले गये. आइंस्टाइन के सिद्धांत के आधार पर अंतरिक्ष अभियान चला. तमाम रॉकेट व उपग्रह छोड़े गये.
मात्र 20 इंच का अंतर देखने को मिला
जब 1969 में अपोलो चंद्रयान से अमेरिकी चंद्र यात्री चंद्रमा की धरती पर उतरे तो आइंस्टाइन के सिद्वांतों के आधार पर गणना व वास्तविकता में मात्र 20 इंच का अंतर देखने को मिला और इस प्रकार सापेक्षतावाद का सामान्य सिद्धांत वास्तविकता के कितना करीब है, यह प्रमाणित हो गया.
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