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NHM की भर्ती- बिल्कुल व्‍यापमं जैसा फर्जीवाड़ा, कहां जाए मप्र के ईमानदार छात्र…

NHM की भर्ती- बिल्कुल व्‍यापमं जैसा फर्जीवाड़ा, कहां जाए मप्र के ईमानदार छात्र…

– 70 प्रतिशत के बजाय 30 प्रतिशत वालों को बना दिया स्टेट कोऑर्डिनेटर

Online desk, bhopal

लगता है मध्य प्रदेश के छात्रों की किस्मत में घोटाला ही लिखा है. जब भी बेचारे किसी परीक्षा को पास कर नौकरी पाने के करीब होते है, तभी पता चलता है कि, चहेतों का सिलेक्शन हो गया है. ईमानदार छात्र हमेशा की तरह रिजेक्ट हो जाते है. कोई इंसान एक बार गलती करता है, तो उसे सजा के तौर पर जेल या जुर्माना हो जाता है. लेकिन जब सिस्‍टम लगातार गड़बड़ी करता है, तो उसके लिए कोई सजा मुकर्रर नहीं की जाती है. हम बात कर रहे मप्र के व्‍यापमं की. व्‍यापमं की गड़बड़ी की बात तो अब हैरान नहीं करती है. बीते दस साल से ज्यादा समय हो गया है, जब व्‍यापमं के द्वारा हुई भर्ती में ईमानदार छात्रों का हक ही मारा गया है. पैसे नहीं होने के कारण वह अपने लिये एक नौकरी तक नहीं खरीद पाये. मप्र के छात्रों को अब परीक्षा की तैयारी पर फोकस करने के बजाय नौकरी की “सेटिंग” पर फोकस करना चाहिये. ये शब्‍द हमे लिखते हुए बिल्‍कुल अच्‍छा नहीं लग रहा है. हमारी भावना भी छात्रों को किसी गलत तरीके की तरफ धकेलना नहीं है, लेकिन जब बार बार भर्तियों में गड़बड़ी की बात सामने आती है, तो आवेश में कहना पड़ता है. मप्र के छात्र हमारी भावना तो समझ ही गए होंगे. अब बात करते है नई गड़बड़ी की. कृषि विस्तार भर्ती परीक्षा की गड़बड़ी तो छात्रों ने उजागर कर दी थी, पर उस मामले में जांच के नाम पर बचाव शुरू हो गया है.

इसी तर्ज पर राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन (NHM) मप्र में 22 पदों पर हुई भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी की बात सामने आ रही है.  एनएचएम के अधिकारियों पर अपने चहेतों की नौकरी पक्की करने के लिए सैकड़ों योग्य आवेदकों को साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाने का आरोप लगाया है. शॉर्टलिस्टेड सूची के 10 अभ्यर्थियों में से चयन करने की बजाय अमान्‍य लिस्ट में से आवेदक का चयन कर लिया गया है. यहीं नहीं इंटरव्यू के बाद भी इन अधिकारियों ने ऐसे आवेदक का चयन कर लिया है, जिसके नंबर बहुत कम है, और ऐसे आवेदकों को छोड़ दिया गया, जिनके नंबर 70 प्रतिशत से अधिक है. हद तो तब हो गयी जब सैम्‍स पोर्टल ने शार्टलिस्टेड और नॉन शार्टलिस्टेड आवेदकों की सूची पोर्टल से हटा दी, ताकि लोगों को इस बारे में पता न चले. यह आरोप सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. राहुल विजयवर्गीय ने लगाए है. राहुल विजयवर्गीय ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री तक की है.

ऐसे खुला पूरा मामला-

दरअसल एनएचएम द्वारा 222 अलग अलग पदों की भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन मंगाए थे. जिसमें आशा ट्रेनिंग कोऑर्डिनेटर के पद पर पंकज का चयन किया गया और वेटिंग में शैलेंद्र को बता दिया. जबकि ये दोनों अमान्‍य लिस्‍ट वाले होकर कम रैंक वाले है. एनएचएम के अधिकारियों ने इस गड़बड़ी को छिपाने के लिये सूची को पोर्टल से हटा दिया और सीधे इंटरव्‍यू का रिजल्‍ट चस्‍पा कर दिया. हालांकि शार्टलिस्टेड और नॉन शार्टलिस्टेड आवेदकों की सूची डॉ. विजयवर्गीय ने डाउनलोड कर ली थी. जिसके आधार पर पूरे घोटाले की शिकायत केंद्र सरकार को की गयी है.

शिकायतकर्ता डॉ. राहुल विजयवर्गीय का कहना है कि ये घोटाला तो सिर्फ एक पोस्‍ट में पकड़ आया है, जबकि 2 पोस्‍ट के लिये यह भर्तियां निकाली गई थी. अधिकतर आवेदकों के पास इंटरव्‍यू के कॉल लेटर ही नहींं पहुंचे. अधिकारियों की मनमानी इस हद तक है कि वह उन्‍होंने रिजल्‍ट के पहले एसओपी की नई प्रक्रिया शुरू कर दी. एनएचएम के अधिकारियों ने अधिकांश पदों पर अपने सगे संबंधियों की भर्ती कर बड़ा घोटाला किया है….

इन पदों पर निकाली थी एनएचएम की भर्ती-

नेशनल हेल्‍थ मिशन एमपी के द्वारा सलाहकार, समन्‍वयक, प्रबंधक, सामाजिक कार्यकर्ता, लोक प्रबंधक, जिला आईईसी समन्‍वयक, जिला पीसीपीएनडीटी समन्‍वयक, हैल्‍थ मैनेजर, स्‍टेट को-ऑर्डिनेटर,  जिला  को-ऑर्डिनेटर सहित 22 पदों पर भर्ती निकाली गयी थी. 

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