Government job recruitment- आवेदक पर एफआईआर तो चयन के बाद भी नहीं मिलेगी नौकरी, सुप्रीम कोर्ट का सरकारी नौकरी के मामले मे बहुत ही अहम फैसला…
-मध्यप्रदेश सरकार के सामन्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक निर्णय लेने को कहा, ऐसे मामलों में माननीय न्यायालय में शासन का पक्ष रखते हुए इस निर्णय का अध्यन करे और उसे कोर्ट में प्रस्तुत करे.
भोपाल. देशभर के करोड़ों अभ्यर्थियों के लिए यह खबर बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस खबर को उन्हें बिल्कुल गंभीरता से पढ़ना चाहिये. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को एक बात पक्के तौर पर अपने ध्यान में रखना चाहिये कि उनके उपर अगर कोई आपराधिक प्रकरण दर्ज तो नहीं है, प्रकरण दर्ज हुआ तो वह सरकारी नौकरी में भर्ती के लिए योग्य नहीं माने जायेंगे.
सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करते समय किसी मामले में एफआईआर कटी है, तो वह नौकरी के लिए अपात्र माने जायेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने अनिल भारद्वाज के विरूद्व मध्यप्रदेश शासन प्रकरण में फैसला देते हुए कहा है कि कोई आवेदक जब नौकरी के लिए आवेदन कर रहा है, तब उस पर कोई आपराधिक प्रकरण दर्ज है, और उस प्रकरण में वह बाद में बरी हो जाता है, तब भी वह सरकारी नौकरी पाने का हकदार नहीं होगा.
मध्यप्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को सभी विभाग प्रमुखों को भेजकर निर्देशित किया है कि ऐसे मामलों में माननीय न्यायालय में इस फैसले को रखे. पूरे मामले को विस्तृत रूप से अभ्यर्थियों की जानकारी के लिए रखा जा रहा है…
Government job recruitment:- पूरा मामला जानने के लिए पढ़े.
मप्र हाईकोर्ट ने 9 मार्च 2017 को डिस्ट्रीक्ट जज (एंट्री लेवल) के पद पर सीधी भर्ती के लिए योग्य एडवोकेटस से आवेदन मंगाए थे. आवेदक अनिल भारद्वाज ने इस भर्ती के लिए ऑन लाइन आवेदन किया था. मेन्स की परीक्षा और इंटरव्यू के आधार पर अनिल भारद्वाज का चयन जिला जज के पद पर प्रोविजनल रूप से हुआ था.
अनारक्षित श्रेणी में तेरहवें नंबर पर उसका स्थान था. मेडिकल बोर्ड के समक्ष होने वाले स्वास्थ्य परीक्षण के पहले 2 जुलाई 2018 को पुलिस वेरीफिकेशन में आवेदक के खिलाफ 498, 406, और 34 के तहत प्रकरण दर्ज होने की बात सामने आई. आवेदक द्वारा भी तभी जानकारी दी गई.
Government job recruitment:-प्रमुख सचिव विधि ने अयोग्य घोषित कर दिया
जब आवेदक के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज होने पर प्रमुख सचिव विधि, मप्र शासन ने आवेदक अनिल भारद्वाज को सिलेक्ट लिस्ट से उसका नाम विलोपित करते हुए उन्हें पद के लिए आयोग्य घोषित कर दिया.
अनिल भारद्वाज ने अपने खिलाफ दर्ज मामलों में अपील की और उसमें वह निर्दोष भी साबित हो गए. जब अनिल प्रकरण में निर्दोष साबित हुए तो उन्होंने इस आधार पर जिला जज के पद पर नियुक्ति दिए जाने की मांग की थी. इस मामले में राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखा.
मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
जब अनिल भारद्वाज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की मांग की तो राज्य सरकार ने उनके द्वारा की गई कार्यवाही से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया. सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि आवेदक अनिल भारद्वाज सरकारी नौकरी के योग्य नहीं है.
कोर्ट ने कहा कि यदि आवेदन के समय प्रकरण प्रचलित हो और बाद में भले ही वह दोषमुक्त हो जाये, वह आवेदन की पात्रता नहीं रखता है. सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का सभी विभागों में पालन सुनिश्चित कराने के लिए जीएडी ने सभी विभागों प्रमुखों को इसे भेजा है, और समान प्रकरण में इस आदेश को प्रस्तुत करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गये फैसले की पीडीएफ फाइल– यहां पढे़
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