BY HITESH KUSHWAHA
2021-10-16, 16:42:32
लेटरल एंट्री सिस्टम क्या है? यह क्यूं लाया जा रहा है. यह आजकल बहुत चर्चा में है. जब से केंद्र सरकार के द्वारा 31 प्रायवेट व्यक्तियों को बिना यूपीएससी परीक्षा के सीधे नियुक्तियां दी है, तब से लेटर एंट्री सिस्टम (Lateral Entry System) चर्चा में आया है. दरअसल लेटरल एंट्री सिस्टम वह होता है, जिसमें बैकडोर से एंट्री (backdoor entry) दी जाती है. लेटरल एंट्री के द्वारा बिना परीक्षा दिये केंद्र सरकार के विभागों में सीधे नियुक्त किया जा रहा है. प्राइवेट सेक्टर में 15 साल तक काम कर चुके विषय विशेषज्ञों को उप सचिव से लेकर संयुक्त सचिव बनाया जा रहा है. प्रशासनिक आयोग की सिफारिशों (Administrative Commission Recommendation ) के बाद ही लेटरल एंट्री सिस्टम को लागू किया जा रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने लेटरल एंट्री सिस्टम को नकार दिया था. इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि नौकरशाही व्यवस्था को सुधारने के लिए लेटरल एंट्री सिस्टम जरूरी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) संसद में कह भी चुके है कि पूरा देश बाबूओं (आईएएस) के भरोसे ही चल रहा है. विषय विशेषज्ञता नहीं होने के बाद भी केवल एक एग्जाम यूपीएसी क्लीयर (Upsc Exam) करने पर रेल, हवाईजहाज, भेल चला रहे है…
लेटरल एंट्री सिस्टम क्या है? What is lateral entry system
लेटरल एंट्री सिस्टम के तहत सरकारी विभागों में बिना परीक्षा (Without Exam) दिए अधिकारियों की नियुक्ती की जा सकती है. वैसे इसके लिए कुछ जरूरी योग्यताओं को होना आवश्यक है. इसमें प्रमुख रूप से आयु सीमा, कार्यकुशलता, कार्य का अनुभव, शैक्षणिक योग्यता सहित योग्यता होना चाहिये. लेटरल एंट्री सिस्टम के अंतर्गत उम्मीदवारों का चयन इंटरव्यू (Interview Basis Selection) के आधार पर किया जाता है.
निजी क्षेत्र के अनुभवी लोगों को बनाया संयुक्त सचिव –Experienced people of private sector made joint secretary
केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय (Dopt) के अनुरोध पर केंद्रीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने 31 ऐसे ही लोगों की भर्ती की है, और उन्हें मंत्रालय में सीधे संयुक्त सचिव (Joint secretary) से लेकर उपसचिव (Deputy Secretary) के पद पर नियुक्ती दी है. इन अधिकारियों ने यूपीएससी का एग्जाम (Upsc Exam)नहीं दिया है. केंद्र सरकार ने बैक डोर (Backdoor Entry) से अपनी सुविधा के लिए संयुक्त सचिव से लेकर उपसचिव के पद पर नियक्त किया है. केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय के मुताबिक मंत्रालय ने 14 दिसंबर 2020 को केंद्रीय लोक सेवा आयोग से अनुरोध किया था कि भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिव निदेशक पद और उपसचिव पद पर लेटरल एंट्री के जरिये योग्य उम्मीदवारों की भर्ती की जाए. यूपीएससी ने 6 फरवरी को 2021 को ऑनलाइन भर्ती प्रक्रिया की शुरूआत की. इन पदों के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 3 मई निर्धारित की गयी थी…
लेटरल एंट्री का का प्रस्ताव कब आया ?When did the offer of lateral entry come?
नौकरशाही में लेटरल एंट्री का का प्रस्ताव 2005 में अया था, लेकिन तब इसे अप्रूवल नहीं मिल पाया था. इसी तरह वर्ष 2005 के बाद वर्ष 2010 में भी लेटरल एंट्री सिस्टम की अनुशंसा की गयी थी, लेकिन फिर अनुमति नहीं मिल पायी. हालांकि वर्ष 2014 के बाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बाबूओं को निशाने पर ले रहे थे. वर्ष 2016 में लेटरल एंट्री को किस तरह से लागू किया जा सकता है, इसकी संभावनाओं पर विचार के लिए कमेटी बनाई गई. कमेटी की सिफारिशों में थोड़ा बहुत बदलाव कर उसे लागू कर दिया गया. हालांकि लेटरल एंट्री का इतिहास बहुत पूराना है. देश में 1966 में देश में प्रशासनिक सुधार लाने के लिए आयोग बनाया गया था, जिसके पहले अध्यक्ष मोरारजी देसाई बनाए गए थे. बाद में जब मोरारजी देसाई को उपप्रधानमंत्री बनाया गया तो उनकी जगह हनुमंथैया को समिति का अध्यक्ष बनाया गया. हनुमंथिया की अध्यक्षता में समिति ने 20 रिपोर्ट बनाई और उसमें कुल 537 सुझाव दिए थे. इसके बाद 5 अगस्त 2005 को यूपीए सरकार ने फिर से प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन किया. उस समय इस आयोग के अध्यक्ष थे वीरप्पा मोइली. इस समिति ने ही प्रशासनिक सेवा में लेटरल एंट्री का का प्रस्ताव दिया था. जिसमें कहा गया था कि संयुक्त सचिव स्तर पर होने वाली भर्तियों में हमें विशेषज्ञों को लेना चाहिये. भर्ती बिना परीक्षा के सीधे इंटरव्यू के आधार पर हो सकती है. चयन के मापदंडों के बारे में भी आयोग के द्वारा विस्तार से बताया गया था. उस समय भी समिति की सिफारिशों को खारिज कर दिया गया था. इसके बाद 2010 में रामचंद्रन की अध्यक्षता वाली समिति ने इन सिफारिशों को सरकार के सामाने रखा. जिसमें समिति ने यूपीएससी की परीक्षा के तरीकों और उम्र की सीमा पर विशेष जोर दिया. साथ ही इसमें 2005 की सिफारिशों को जोडा गया. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसे खारिज कर दिया.वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद ही सिफारिशों को लागू करने में लग गए.
कॉन्ट्रेक्ट बेस पर दी जा रही नियुक्ति-appointment on contract basis
यूपीएससी के द्वारा इंटरव्यू से चयनित अफसरों को कुछ समय के लिए ही कॉन्ट्रेक्ट बेस पर नियुक्ति दी जा रही है. काम अच्छा होने और परफार्मेंस बेहतर होने पर सरकार उनकी संविदा अवधि को आगे और बढ़ा सकती है.
लेटरल एंट्री से कैसे बनते है अधिकारी-How to become an officer by lateral entry
लेटरल एंट्री सिस्टम के तहत आईएएस या अन्य किसी प्रतियोगिता परीक्षा दिए बिना सीधे अधिकारी बन सकते है. इसमें उपसचिव, निदेशक, संयुक्त सचिव या सीधे सचिव भी बन सकते है. लेटरल एंट्री सिस्टम से अधिकारी बनने के लिए उम्र सीमा, कार्यकुशलता, शैक्षिक योग्यता, कार्यानुभव आवश्यक होता है…