MADHYA PRADESH

कृषि विस्तार अधिकारी भर्ती परीक्षा नहीं हुई निरस्त, MPSEDC की जांच के बाद होगा फैसला…

कृषि विस्तार अधिकारी भर्ती परीक्षा नहीं हुई निरस्त, MPSEDC की जांच के बाद होगा फैसला…

-प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड ने दी सफाई, सीसीटीवी फुटेज, सर्वर लॉग डिटेल की हो रही है जांच

Online desk, bhopal

किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के लिये ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी और वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के पद पर हुई भर्ती परीक्षा निरस्त नहीं हुई है. कई न्‍यूज पेपर में परीक्षा के निरस्त होने खबर प्रकाशित की गयी थी. इस संबंध में प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) ने शुक्रवार को सफाई जारी करते हुए कहा है कि परीक्षा से संबंधित समस्त डाटा, सी.सी.टी.व्ही. फुटेज तथा सर्वर लॉग डिटेल की जॉच में  MPSEDC से सहयोग प्राप्त किया जा रहा है। जिनके द्वारा संपूर्ण परीक्षा संचालन प्रक्रिया तथा डाटा ट्रांसफर की प्रणालियों का परीक्षण किया जा रहा है। जांच प्रतिवेदन जल्दी आने की आशा है. जांच के बाद ही पी.ई.बी. द्वारा इस परीक्षा के परिणाम घोषणा के संबंध में निर्णय लिया जाएगा। अत: पीईबी की सफाई के बाद कहा जा सकता है कि जब तक जांच पूरी नहीं होती है, तब तक किसी को दोषी नहीं माना जा सकता है. हैरत की बात तो यह है कि पीईबी ने इस मामले का खुलासा नहीं किया है. छात्रों ने अपने सीमित संसाधनों के आधार पर जांच कर गड़बड़ी का खुलासा किया है. आप अंदाजा लगा सकते है कि पूर्व में हुई जांच में क्या निकला था. क्या अपने कर्मचारियों को कोई दोषी ठहरायेगा?

28 हजार से ज्‍यादा छात्रों ने दी थी कृषि विस्तार अधिकारी भर्ती परीक्षा –

ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के 791 एवं वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के 72 पदों पर भर्ती परीक्षा हुई थी. परीक्षा 10/2/2021 एवं 11/02/2021 को कुल तीन पालियों में आयोजित हुई थी. इस परीक्षा में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के लिये 19971 एवं वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी हेतु 8132 अभ्यर्थियों द्वारा आवेदन किया गया था। यह परीक्षा मध्य प्रदेश के 13 शहरों के 57 परीक्षा केंद्रों में आयोजित की गई थी, जिसमें अभ्यर्थियों का उपस्थिति प्रतिशत 82.92 प्रतिशत रहा। इसमें एक ही जिले के अधिकांश छात्र सफल हुए थे, उनके सरनेम भी समान थे…

छात्र नॉमलाइजेशन की प्रकिया पर भी उठाते है सवाल 

पीईबी के द्वारा दी गई सफाई में बताया कि अगस्त 2015 से पी.ई.बी. द्वारा ऑनलाईन पद्धति से परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है. पी.ई.बी. द्वारा आयोजित परीक्षाएं, जो एक से अधिक पालियों में आयोजित की जाती हैं, उसमें यह संभव है कि भिन्न-भिन्न पालियों में प्रश्नों के कठिनता स्तर भिन्न-भिन्न हों और  अंतिम चयन सूची में किसी एक विशेष पॉली जिसमें तुलनात्मक रूप से सरल प्रश्न आये हों, से ही अभ्यर्थियों का चयन हो जाए। लेकिन पी.ई.बी. द्वारा पालियों में आए प्रश्नों के कठिनता स्तर के अनुसार अंकों को समरूप करने हेतु परीक्षा परिणाम में नार्मलाइजेशन प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। जो एक सांख्यिकी सूत्र पर आधारित है, जिसमें पालियों में अभ्यर्थियों के औसत अंक एवं अंको के स्डेण्डर्ड डेविएशन का उपयोग किया जाता है। यह सांख्यिकी सूत्र मान. उच्च न्यायालय, मध्यप्रदेश द्वारा याचिका क्रमांक- 8083/2016, 8124/2016, 8434/2016 एवं 8609/2016 एवं अन्य में पारित आदेशों में भी अधिमान्य किया गया है।

दूसरे राज्यों में एजेंसी ब्‍लैक लिस्‍ट होगी, तो पीईबी अपने स्तर पर नहीं जांचेगी

पी.ई.बी. ने प्रेस नोट में कहा कि परीक्षा संचालन के लिये नियुक्‍त एजेंसी का चयन पूरी तरह पारदर्शी टेण्‍डर प्रक्रिया के अंतर्गत हुआ है. जिसमें एजेंसियों द्वारा ब्लैकलिस्ट नहीं होने संबंधी प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया गया है। सवाल तो यह उठता है कि किसी एजेंसी ने ब्‍लैकलिस्‍ट नहीं होने का प्रमाणपत्र प्रस्‍तुत किया है, तो उसे वैसे ही माना जायेगा. क्‍या राज्‍य सरकार की इतनी महत्‍वपूर्ण एजेंसी पता नहीं लगा सकती है कि कोन सी एजेंसियां देश में किसी अन्‍य राज्‍य में ब्‍लैकलिस्‍ट हुई है या नहीं? प्रेसनोट को देखकर तो ये ही लगता है कि डेमेज कंट्रोल का पूरी तरह से प्रयास हो रहा है. 

About the author

Bhaskar Jobs

Leave a Comment