घोषणा-एमपी वालों को मिलेगी सरकारी नौकरी, तो कुलपति मप्र के बाहर से क्यों लाए?
भोपाल। अभी कुछ दिनों पहले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि अब मप्र के लोगों को ही नौकरी मिलेगी।
प्रदेश भाजपा के सभी बडे नेताओं ने अपने टिविटर हैंडल से शिवराज सिंह चौहान को थैंक्स कहा था।
वो नेता कह रहे थे कि इससे रोजगार केवल मप्र के बच्चों को मिलेगा।
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे बच्चों के लिए यह बडा एलान था। लेकिन चंद दिनों में ही वो भी जुमला साबित हो गया।
हाल ही में मप्र की शिवराज सरकार ने माखनलाल पत्रकारिता विश्व विदयालय के लिए देहरादून के केजी सुरेश को कुलपति नियुक्त कर दिया।
हैरत की बात तो यह है कि वह मप्र से नहीं है। तब उनका मप्र के विश्वविदयाल में कुलपति के पद पर चयन क्यों किया गया?
ये सवाल ना तो भाजपा के किसी भी नेता ने नहीं पूछा। जब ये ही काम कांग्रेस या अन्य दल करते तो सोशल मीडिया पर हैशटैग से टिविट होते।
लेकिन कोई नहीं पूछ रहा है कि क्या सात करोड की आबादी में एक भी व्यक्ति इस पद के काबिल नहीं है।
हालांकि कुछ पत्रकारों ने ये सवाल उठाया है। उनके जवाब सरकार की तरफ से नहीं दिया गया है।
शिवराज सिंह चौहान पूर्ण कालिक राजनीतिक व्यक्ति है, इसलिए दिया बयान एमपी वालों को मिलेगी सरकारी नौकरी
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को टैग कर टिविट किया है कि शिवराज सिंह चौहान पूर्ण कालिक राजनीतिक व्यक्ति है।
मप्र के लोगों से प्रेम भी राजनीतिक का हिस्सा है। रोज एक नया हेडलाइन चाहिये।
मप्र की जनता 100 प्रतिशत आरक्षण का इंतजार कर रही है। या वो भी एक जुमला है।
इस तरह के सवाल मुख्यमंत्री जी से नहीं पूछे गए है कि मप्र से किसी योग्य व्यक्ति को कुलपति क्यों नहीं बनाया गया है।
पूर्व में शिवराज सरकार ने संघ के व्यक्ति को कुलपति नियुक्त किया था। उनके खिलाफ गडबडी की शिकायतें ईओडब्ल्यू में हुई थी।
जब मप्र में कांग्रेस की सरकार आई तो उन्होंने माखनलाल विश्व विदयालय में मप्र के वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी को कुलपति नियुक्त किया था।
हालांकि तिवारी के कार्यकाल में भी विश्वविदयाल में काफी विवाद हुए थे। लेकिन उनमें एक भी विवाद आर्थिक गडबडी से संबंधित नहीं था।
एमपी वालों को मिलेगी सरकारी नौकरी की घोषणा के बाद अब कानून की मांग
मध्यप्रदेश का युवा प्रदेश की नौकरियों पर अपना हक मानता है। मुख्यमंत्री की घोषणा को कानून बनते देखना चाहते है।
सितंबर माह में विधानसभा का सत्र होने वाला है। संभव है कि इस संबंध में मुख्यमंत्री विधेयक पारित कर नौकरी को प्रदेश के युवाओं के लिए आरक्षित कर दे।
हालांकि मुख्यमंत्री की घोषणा को चुनाव से जोडकर देखा जा रहा है।
एनआरए पर कोई स्पष्टीकारण नहीं
नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी के द्वारा आयोजित परीक्षा सीईटी के आधार पर मप्र में सरकारी नौकरी देने की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई थी।
जिसका राज्य के लाखों युवाओं ने जमकर विरोध किया था। प्रदेश के युवाओं ने राजधानी में चार सितंबर को प्रदर्शन कर विरोध जताया था।
तब से अब तक सरकार की तरफ से एनआरए के संबंध में कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।
संभव है कि सरकार इस पर अडिग हो। एनआरए से नौकरी तय की जायेगी, तो प्रदेश के युवाओं का इसमें नुकसान हो जायेगा।
उसे राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता करना पडेगा।
सरकारी नौकरी जल्द देने की घोषणा
अनूपपूर में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि वह प्रदेश में जल्द ही शासकीय भर्ती प्रारंभ की जायेगी।
प्रदेश के औद्यौगिक क्षेत्रों में भी 75 प्रतिशत भर्ती प्रदेश के युवाओं की जायेगी। शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि दस हजार भर्तियां प्रस्तावित है।
इनको भरने के लिए विभागों को निर्देशित किया गया है। ज्ञात हो कि मप्र में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के लगभग डेढ लाख से ज्यादा पद खाली है।
इनमें तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के 76 हजार, चतुर्थ श्रेणी के 16 हजार, संविदा शिक्षक के 31 हजार, पुलिस आरक्षक के 26 हजार पद रिक्त है।
सरकार को इन पदों को भरने के लिए जल्द से जल्द नोटिफिकेशन निकाला जाना चाहिये।