मप्र में शिक्षक भर्ती सहित आगामी सभी भर्तियों में केवल मप्र के लोगों को मिले मौका, क्या आप सहमत है?
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मध्यप्रदेश के युवाओं के सामने कोविड संक्रमण के बाद रोजगार को लेकर संकट गहराने वाला है. दरअसल कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के थमने के बाद बड़ी संख्या में प्रतियोगी परीक्षाएं होने का अनुमान है. कई परीक्षाओं के आवेदन फार्म भरा लिये गये है. वहीं कई नोटिफिकेशन के आने की संभावना भी जताई जा रही है. नौकरी के नोटिफिकेशन के आने के पहले ही छात्र नौकरी केवल मप्र के युवाओं को देने की मांग कर रहे है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपने पुराने ट्वीट की याद भी दिला रहे है, जो उन्होंने पिछले साल किया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि मप्र की नौकरियां केवल मप्र के युवाओं के लिए रिजर्व रहेगी. हालांकि एक साल बाद भी उस ट्वीट को आदेश की शक्ल नहीं दी गयी है. इससे छात्रों के मन में भी संश्य की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. इसलिये छात्र अब से ही मप्र की नौकरी केवल मप्र के लोगों को देने की मांग करना शुरू कर दिये है. गौरतलब है कि कई राज्य अपने युवाओं के लिए नौकरी का प्रावधान कर रहे है. नोटिफिकेशन में इस तरह की शर्तें लाद दी जाती है कि मप्र का युवा अन्य राज्यों की नौकरियों में फाइट नहीं कर पाता है. वहीं कुछ छात्रों का ये भी कहना है कि मप्र में पढ़ाई का स्तर तो सभी को पता है. जिस वजह से प्रदेश के छात्र दूसरे राज्यों की परीक्षाओं में बेहतर परफार्मेंस नहीं कर पाते है. जबकि महाराष्ट्र व दक्षिण भारत के कई राज्यों की शिक्षा की गुणवत्ता मप्र से बहुत बेहतर है. यहां स्कूलों में प्रॉपर टीचर तक नहीं है.
मप्र के छात्रों की मांग को भास्कर जॉब्स सबसे पहले उठा रहा है. भास्कर जॉब्स छात्रों की इस मांग का पूरा समर्थन करता है. प्रदेश में वैसे भी सीमित सरकारी नौकरियां आती है, ऐसे में वह नौकरियां भी प्रदेश के छात्रों को नहीं मिल पाए तो यहां के छात्र कहां जायेंगे. केंद्रीय एजेंसियों की भर्ती में प्रदेश के युवा बहुत कम चयनित हो पाते है. उनके प्रदेश की नौकरियों से आंस होती है, वह इन नौकरियों के लिए तैयारी भी खूब करते है. इस लिहाज से मप्र की नौकरियों पर उनका पहला हक बनता है, यह बात राज्य सरकार को समझना होगा. पूर्व में मप्र में शिक्षक भर्ती का नोटिफिकेशन निकला था, तब भी यह मांग जोर शोर से उठी थी.