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kovid se depression me students- समझना होगा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों का दुख-दर्द …

 रेलवे, एसएससी, पीएससी, यूपीएससी सहित भर्ती परीक्षा नहीं होने से डिप्रेशन में अभ्‍यर्थी, केंद्र और राज्‍य सरकार को लेना होगा जल्द कोई बड़ा कदम, दो साल से अटकी एक लाख ग्रुप डी और 35 हजार क्‍लर्क की भर्ती, अब तक लिखित परीक्षा का कार्यक्रम भी तय नहीं

online desk, bhopal


kovid se depression me students: बीते एक साल में कई प्रतियोगी परीक्षाओं को स्थगित करना पड़ा है, या उनको निरस्त ही करना पड़ा है. इन परीक्षाओं की तैयारी छात्र लंबे समय से कर रहे है.इस दौरान उनको बिना कारण से एक साल और तैयारी करना पड़ रहा है. यह कारण है कोरोना. ऐसे लाखों छात्र है, जो एक अदद सरकारी नौकरी की तैयारी के लिए 4 साल से तैयारी कर रहे है. कुछ तो इससे अधिक समय से तैयारी कर रहे होंगे. उनको उम्मीद थी कि साल 2019 की शुरुआत या अंत तक उनके हाथ में सरकारी नौकरी होगी. लेकिन कोरोना संक्रमण ने उनके सारे सपने कुचलकर रख दिये. अब यह पता नहीं चल रहा है कि हालात कब सुधरेंगे, कब परीक्षाएं होगी. वह कब सरकारी नौकरी कर पाएंगे. सरकार और विपक्ष का एक भी नेता छात्र और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों की सुध नहीं ले रहा है. जब राजनीतिक दलों को वोट लेना होता है, तब तो युवा शक्ति दिखाई देती है, जैसे ही सरकार बनी, सब भूल जाते है. कोरोना काल में गरीब वर्ग को सरकार ने कुछ न कुछ राहत दी, अमीर वर्ग ने भी सरकार से पैकेज ले लिए. बस मध्‍यम वर्ग अछूता रहा. इस वर्ग के छात्र ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जोर लगाते है. उनको लगता है कि एक नौकरी मिलते ही वह अपनी स्थिति को बेहतर कर लेंगे. हालांकि ऐसा कम ही हो पाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि देशभर में कोरोना संक्रमण से डिप्रेशन में 10 करोड़ से ज्यादा छात्र कहीं न कहीं पीड़ित चल रहे है. उनकी मानसिक हालत बेहतर नहीं है. देश में सबसे ज्यादा युवा रेलवे की परीक्षा देते है.एक तो भर्ती प्रक्रिया में देरी के कारण अभ्‍यर्थियों का एक साल से ज्‍यादा समय खराब हुआ, दूसरा कोरोना संक्रमण के कारण साल भर में कुछ नहीं हुआ.एक साल से ग्रुप डी की परीक्षा का कार्यक्रम तय नहीं हो पाया है, वहीं क्‍लर्क भर्ती के लिए भी दूसरे चरण की भर्ती परीक्षा कब होगी, इसका कुछ पता नहीं चल रहा है.इसी तरह हाल ही में यूपीएससी की परीक्षा को टाला गया है. यूपीएससी प्रीलिम्स को अगले दो माह से ज्यादा समय के लिए टाल दिया गया है. जबकि पिछले वर्ष मई माह में यूपीएससी की परीक्षा कराई गई थी, तब भी देश में कोरोना संक्रमण काल चल ही रहा था.

राज्यों की पीएससी सहित परीक्षाओं का शेड्यूल का अता पता नहीं-

हजारों छात्र सोशल मीडिया पर पूछ रहे है कि उनके राज्य की पीएससी सहित अन्य परीक्षाएं कब होगी. उनका शेड्यूल कब आयेगा. लेकिन सरकारें उनके किसी सवाल का जवाब नहीं दे रही है. हालात ये है कि जो युवा पहले सरकारी नौकरी का ख्वाब देखता था, वह अब प्राइवेट नौकरी में करियर को लेकर गंभीरता से सोच रहा है. राज्य सरकारों को जल्‍द से जल्‍द परीक्षाओं के कैलेंडर जारी करना चाहिये. अधिकांश परीक्षाओं को कराने के लिए समय सीमा तय की जाना चाहिए. इन हालातों में अगर छात्रों को यह पता होगा कि इस तारीख को उनकी परीक्षा होगी तो वह अपनी तैयारी पर फोकस कर सकेंगे.

कम से कम छात्रों की फीस वापस हो

कई छात्र ऐसे है जिनके पास कोई पैसे नहीं है, वह अन्‍य राज्‍यों जिलों में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है. ऐसे गरीब बच्‍चों के परिवारजनों के पास आय के कोई साधन बचे नहीं है. वह भी चाहकर अपने बच्‍चों की मदद नहीं कर पा रहे है. कम से कम राज्य और केंद्र सरकार को प्रतियोगी परीक्षाओं की फीस वापस कर देना चाहिये. जो भी पैसे वापस आयेंगे, उससे इन गरीब वर्ग के छात्रों की कुछ न कुछ मदद जरूर होगी. जब नौकरी पेशा वर्ग की सरकार कोई मदद नहीं कर रही है, तो बेरोजगार युवाओं के लिए क्या करेगी, समझना आसान है. केंद्र और राज्य सरकारों को अपने यहां बेरोजगार और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को कोरोना काल में कम से कम 5 हजार रुपए प्रतिमाह की मदद तो करना चाहिये. जिसकी बात पूर्व में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, राहुल गांधी भी कर चुके है, हालांकि केंद्र सरकार पर न तो विपक्ष का दबाव है और न  बुद्धिजीवी वर्ग का. 

गिने चुने सोशल मीडिया ग्रुप बने युवाओं की आवाज-

 सोशल मीडिया पर गिने चुने ग्रुप ऐसे है, जो युवाओं की आवाज बनते दिख रहे है. इसमें अग्रणी है ‘युवा हल्ला बोल’, ‘एमपी युवा युवा शक्ति’, ‘एमपी स्टूडेंट यूनिटी’ पीईबी एंड एमपीपीएससी एस्‍पिरेंटस जैसे ग्रुप. जो सोशल मीडिया पर छात्रों के मुद्दों को लगातार उठा रहे है. छात्रों को भी सरकार के सामने अपनी आवाज रखना होगा. अगर वह चुप है तो उनकी कोई बात करेगा भी नहीं…

”दोस्तो ये पोस्ट हमारे द्वारा सोशल मीडिया पर युवाओं के द्वारा उठाए गए सवाल और उनकी मानसिक स्थिति के आधार पर बनाया है, हो सके तो इसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर कीजिये. जिससे सरकार पर कुछ तो दबाव बने”…बाकी अपना ध्‍यान जरूर रखे…

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