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18 अगस्‍त को पता चलेगा कि फाइनल ईयर की परीक्षा होगी या नहीं

18 अगस्‍त को पता चलेगा कि फाइनल ईयर की परीक्षा होगी या नहीं

भोपाल। ऑन लाइन डेस्‍क।

संभवत 18 अगस्‍त को जब सुप्रीम कोर्ट में फाइनल ईयर की परीक्षायें आयोजित कराने पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी, तब पता चलेगा कि परीक्षायें होगी या नहीं। अभी इस पर सस्‍पेंस बना हुआ है।

फाइनल ईयर की परीक्षायें आयोजित कराने के यूजीसी के निर्देश के खिलाफ 14 अगस्‍त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। जिसे कोर्ट ने 18 अगस्‍त तक स्‍थगित कर दिया है।

प्राप्‍त जानकारी के मुताबिक न्‍याय‍मूर्ति अशोक भूषण की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई शुक्रवार सबह 10.30 बजे शुरू की, जो एक बजे तक चली।

 

फाइनल ईयर की परीक्षा कराने के लिए जान को खतरे में नहीं डाला जा सकता

 

कोर्ट में याचिकाकर्ताओं की तरफ से पक्ष रख रहे सीनियर एडवोकेट श्‍याम दीवान ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि किसी का स्‍वास्‍थ्‍य खतरे में नहीं डाला जा सकता है।

फाइनल ईयर के स्‍टूडेंट की हेल्‍थ भी उतना ही अहमियत रखती है, जितनी अन्‍य बैक के स्‍टेडेंटस की रखती है।

एडवोकेट श्‍याम दीवान ने कोर्ट में कहा कि वर्तमान में पब्लिक टांसपोर्टेशन पूरी तरह से ठप है।

कॉलेज आने जाने में दिक्‍कतें आ रही है। संचार की सुविधाएं पूरी तरह से ठीक नहीं हुई है।

एक दो राज्‍य में कॉलेज को ही क्‍वारंटाइन सेंटर के तौर पर इस्‍तेमाल किया जा रहा है।

ऐसे में परीक्षा कराने में दिक्‍कतें पेश आ सकती है।

 

महामारी में फाइनल ईयर की परीक्षा कराने मेंं तब ढील दी थी

 

में एक अन्‍य याचिकाकर्ता की तरफ से पक्ष रहे सीनियर एडवोकेट और कांग्रेस के नेता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि जैसे कॉलेज दिल्‍ली में है, वैसे कॉलेज सभी जगह हो।

ऐसा नहीं हो सकता है। कई कॉलेजों में छात्रों की परीक्षाएं नहीं हुई है। दिल्‍ली और महराष्‍ट की सरकारों ने परीक्षा निरस्‍त करने का फैसला लेने से पहले विश्‍व विद्यालय के वाइस चांसलर से सलाह मशविरा किया है।

वीसी ने बताया कि कई छात्र डिजीटली परीक्षा देने में असमर्थ है। सिंघवी ने कहा कि यह बात समझ से परे है कि पूर्व में दिए गए निर्देशों में कोविड 19 को गंभीर महामारी समझा गया।

महामारी में विश्‍व विद्यालयों को परीक्षा कराने या न कराने की ढील दी गई।

जबकि अब कोरोना के मामले अधिक आ रहे है तो यूजीसी कैसे परीक्षा कराना अनिवार्य करा सकता है, तब जब कॉलेजों में पढाई हुई ही न हो ।

 

यूजीसी का हलफनामा

 

विश्‍वविदयालय अनुदाम आयोग यूजीसी ने हलफनामें में बताया था कि एकेडमिक केरियर में अंतिम वर्ष की परीक्षाओं का स्‍थान महत्‍वपूर्ण होता है।

राज्‍य सरकार यह नहीं कह सकती कि कोविड 19 में वह 30 सितंबर के अंत तक विश्‍व विदयालय और महाविदयालयों में परीक्षा कराने के लिए बाध्‍य नहीं है।

यूजीसी ने कहा है कि जो भी निर्देश दिए गए है, वह विशेषज्ञों की सिफारिश के आधार पर दिए गए है।

यह भी कहना गलत है  कि परीक्षायें नहीं कराई जा सकती है।

 

 यूजीसी के अनुसार राज्‍य सरकार के तर्क में दम नहीं

 

महाराष्‍ट सरकार के द्वारा दाखिल हलफनामें पर यूजीसी का कहना है कि एक तरफ तो राज्‍य सरकार महराष्‍ट कह रही है कि छात्रों के हित को देखते हुए शैक्षणिक सत्र शुरू किया जाये।

वहीं दूसरी तरफ कह रही है कि अंतिम वर्ष की परीक्षा निरस्‍त कर बिना परीक्षा के डिग्री दी जाये। बिना परीक्षा के डिग्री देने पर छात्रों के भविष्‍य पर गहरा असर होगा।

राज्‍य सरकार के तर्क को यूजीसी ने सिरे से खारिज कर दिया है। यूजीसी ने दिल्‍ली सरकार के हलफनामें पर अपना जवाब भी दाखिल किया है।

दिल्‍ली और महाराष्‍ट में कोविड के मरीज अधिक है। इसलिए ये दोनों राज्‍य अपने यहां परीक्षायें कराने को लेकर तैयार नहीं दिख रहे है।

 

  यूजीसी ही डिग्री देने के लिए अधिकृत है

 

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि राज्‍य सरकारें यूजीसी के नियमों को नहीं बदल सकती है। यूजीसी ही डिग्री देने के लिए अधिकृत है।

तुषार मेहता ने न्‍यायालय को बताया कि करीब 800 विश्‍व विदयालयों में से  290 परीक्षाएं संपन्‍न हो चुकी है।

जबकि 390 परीक्षा कराने की प्रक्रिया में है। इसलिए अंतिम वर्ष की परीक्षाएं होना चाहिये।

 

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