कोरोना काल:- निजी स्कूलों के दबाव में एकमुश्त देना होगा स्कूल फीस, राज्य सरकार ने शिक्षण शुल्क वसूलने की छूट दी, तनाव में आए हजारों पालक…
– मप्र स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी कलेक्टरों को जारी की एडवायजरी
– कोरोना काल में एकमुश्त या किश्तों में फीस वसूलने के लिए स्वतंत्र है प्रायवेट स्कूल
भोपाल. अभी कोरोना काल खत्म नहीं हुआ है.ऐसा संदेश सरकार प्रसारित कर रही है. देश के लोग भी अपनी सेहत को बचाने के लिए कोविड-19 की गाइडलाइन के अनुसार मास्क का इस्तेमाल कर रहे है.
वहीं दूसरी तरफ सरकार का तर्क है कि सभी क्षेत्रों में अनलॉक किया जा चुका है. ऐसे में पालकों को शिक्षण शुल्क जमा करने में देरी नहीं करना चाहिये. जबकि हजारों लोगों के पास अब भी पहले जैसी आमदनी नहीं आ रही है.
नौकरियां चली गई है. नई नौकरियां मिल नहीं रही है, जो मिल रही है, वो पूराने समय का वेतन नहीं दे रही है. गुजारा चलाना मुश्किल हो रहा है. घर चलाने में पालक पिसे जा रहे है.
ऐसे में प्रायवेट स्कूलों की मनमानी शुरू हो गई है. प्रायवेट स्कूल संचालक पालकों पर दबाव बनाकर फीस एक मुश्त जमा करने को कह रहे है. वहीं मप्र का स्कूल शिक्षा विभाग भी इन प्रायवेट स्कूलों के दबाव में आ गया है…
स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी कलेक्टरों को एडवायजरी जारी कर कहा है कि अब अशासकीय स्कूल शिक्षण शुल्क एक मुश्त या किश्तों में वसूलने के लिए स्वतंत्र है.
15 दिसंबर के आदेश के तहत जिन स्कूलों में शैक्षणिक गतिविधियां शुरू की गई है, वह जनवरी से लेकर सत्र के अंत तक संचालित की जाने वाली गतिविधियों फीस प्राप्त कर सकता है. इसको लेकर पालक तनाव में आ गए है…
एकमुश्त देना होगा स्कूल फीस, जबकि हजारों पालकों के पास नहीं है रोजगार
हैरत की बात तो यह है कि अभी भी कई पालकों के पास रोजगार नहीं है. कोविड-19 के कारण लाखों लोगों की नौकरियां जा चुकी है. उनके पास घर चलाने के लिए खर्च नहीं है.
ऐसे में वह बच्चों के स्कूल की फीस कहां से जमा कर सकेंगे. हांलाकि सरकार को इससे कोई सरोकार नहीं दिखता है. सीएमआई की रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर से नवंबर 2020 के बीच 40 लाख नौकरियां गई है.
देशभर में करीब करीब एक करोड़ से अधिक लोगों की नौकरियां चली गई है. बावजूद राज्य सरकार इस मामले में राहत देने को तैयार नहीं है…
पालकों पर सरकार और स्कूल प्रशासन का दबाव, एकमुश्त देना होगा स्कूल फीस
मध्यप्रदेश सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार अनलॉक की प्रक्रिया के तहत सभी कार्यालय और सेवाएं आरंभ हो चुकी है. सभी पालकों से अपेक्षित है कि वह उच्च न्यायालय के आदेश 4 नवंबर 2020 के अनुसार निर्देशित शुल्क नियमित रूप से जमा करे.
अशासकीय स्कूलों के शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक स्टॉफ के वेतन के भुगतान के पालन के लिए आवश्यक है कि वह शिक्षण शुल्क जमा करे. 15 दिसंबर 2020 से हायर सेकेड्ररी स्कूलों के नियमित संचालन की अनुमति दी गई है.
पालक नहीं जमा कर रहे टयूशन फीस
स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी अभिभावक टयूशन फीस जमा नहीं कर रहे है. यह जानकारी प्रायवेट स्कूलों के द्वारा प्रशासन के ध्यान में लाई है.प्रायवेट स्कूलों के प्रबंधन का कहना है कि टयूशन फीस नहीं आने के कारण वह स्टाफ को सैलरी नहीं दे पा रहे है.
वहीं शासन का स्पष्ट निर्देश है कि यदि अभिभावक द्वारा फीस का भुगतान नहीं किया गया है, तब भी संस्थाएं बच्चे का नाम नहीं काट सकती है, और उसे पढ़ाने से इंकार नहीं कर सकती है.
इसके चलते अभिभवक पिछली बकाया फीस और टयूशन फीस जमा नहीं कर रहे है. प्रायवेट स्कूलों द्वारा शासन से कहा कि वह फीस के भुगतान के लिए एडवायजरी जारी करे और साथ ही जो अभिभावक फीस जमा नहीं करता है,
उनके बच्चों अगली कक्षा में प्रमोट नहीं करने के अधिकार भी दे. प्रायवेट स्कूलों की मांग पर स्कूल शिक्षा विभाग ने फीस जमा करने के लिए एडवायजरी जारी कर दी है…
न्यायालय का साफ आदेश, शिक्षण शुल्क के अलावा कोई फीस नहीं
4 नवंबर 2020 को जारी उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक कोरोना महामारी के मददेनजर शिक्षण सत्र 2020-21 में अशासकीय विदयालयों (प्रायवेट स्कूल) के द्वारा शिक्षण शुल्क के अतिरिक्त अन्य शुल्क नहीं वसूला जा सकता है.
अगले आदेश तक फीस वृद्वि भी नहीं की जा सकती है. विदयालय में काम कर सभी तरह के स्टॉफ को नियमित वेतन देना होगा. वेतन में 20 फीसदी से अधिक कटौती नहीं होगी. कटोती को आने वाले समय में किश्तों में वापस देना होगा. वहीं विदयालयों द्वारा गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दी जायेगी.