Lockdown salary -अब तो भूल ही जाओ
-सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी के खिलाफ कार्यवाही नहीं करने के दिये निर्देश
भोपाल। मार्च के आखरी दिनों में लॉक डाउन क्या लगा, नौकरी पेशा लोगों का जीवन खत्म होने की कगार पर पहुंच गया।
दरअसल निजी क्षेत्र में काम करने वाले लाखों लोगों को लॉक डाउन के दौरान सैलरी नहीं दी गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने निजी क्षेत्र की कंपनियों से सैलरी देने की अपील की थी। इसके बाद अधिसूचना जारी कर कंपनियों को लॉक डाउन के दौरान सैलरी देने के लिये बाध्य कर दिया था। लेकिन जब कंपनियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो कोर्ट में सरकार की तरफ से कार्यवाहीं नहीं करने की बात कहीं गई।
इससे कंपनियों ने राहत की सांस ली। इधर 12 जून को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देशित करते हुये सरकार से कहा हेै कि वह सैलरी नहीं देने पर कार्यवाही नहीं करे, बल्कि कंपनी और वहां काम करने वालों को आपस में समझौता करना होगा। इस निर्देश के परिप्रेक्ष्य में देखे तो लॉक डाउन की सैलरी भूलना होगा।
क्या कंपनियां सैलरी देगी-
ये सवाल उन सभी लोगों का होगा, जिनको लॉक (lockdown salary) डाउन के दौरान सैलरी नहीं मिली होगी। कंपनियों पर दबाव नहीं होगा, तो वह सैलरी नहीं देगी। जो लोग उम्मीद लगाकर बैठे थे, कि कंपनी सैलरी दे देगी, वो उम्मीद भी समझों खत्म हो गई।
फायदे में थी तब क्या दिया-
नोटबंदी के बाद वैसे भी रोजगार की हालत खराब हो गई थी, इसके बाद कोरोना में लॉक डाउन। लंबे समय से निजी क्षेत्र में लोगों की सैलरी नहीं बढ़ी। इस दौरान कई कांनियों ने लाभ कमाया, लोकिन काम करने वालों को नहीं दिया।
मजदूरों के दिन बूरे-
मजदूर वर्ग के लिये कोरोना काल “काल” के समान साबित हुआ। नौकरी गई, सैलरी गई, जान गई, पर मजदूरों के दिन अच्छे नहीं आ रहे है। अनलॉक के बाद नौकरी मिलना मुश्किल है, ऐसे में लाखों परिवार के सामने जीवन व्यापन करना बहुत ही मुश्किल हो गया है।