NSUI ने एम्स भोपाल प्रबंधन पर नियुक्तियों में गड़बड़ी का आरोप लगाया, जांच की मांग…
-एम्स भोपाल में बेरोजगार युवकों के साथ हो रहे अन्याय के मददेनजर स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराने की मांग।
-एम्स डायरेक्टर डाॅ. सरमन सिंह के संरक्षण में एम्स भोपाल में भ्रष्टाचार के आरोप
भोपाल। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के मेडिकल विंग प्रदेश समन्वयक रवि परमार ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स भोपाल में बी ग्रुप नानफैकल्टी के संकाय पद ( टेक्नीशियन एवं अन्य पदों ) पर की गई नियुक्ति में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। रवि परमार ने नियम विरुद्ध की गई नियुक्तियों को निरस्त कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिये केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखा है।
परमार ने बताया कि एम्स भोपाल में बी ग्रुप की नियुक्ति को लेकर कुछ आवेदकों ने मुझसे संपर्क कर दस्तावेजी तथा उसके साथ हुई गड़बड़ियों की जानकारी दी । भोपाल में ही ऐसे कई लोग परीक्षा की पात्रता रखते हुए नौकरी की आशा में फॉर्म भरा था, पर इनका चयन नहीं हुआ।
NSUI ने एम्स पर आरोप का शिकायत पत्र –
1. आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन – लोकसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के लागू रहते परीक्षा की तिथि की नोटिफिकेशन एवं परीक्षा तथा परीक्षाफल की प्रक्रिया की गई। क्या इसकी पूर्व स्वीकृति चुनाव आयोग से ली गई है,उसकी जांच होनी चाहिए |
2. वित्तीय अनियमितताएं – ऑनलाइन परीक्षा देश के विभिन्न शहरों में कराने के लिए लाखों रुपए का टेंडर दिया गया, परंतु परीक्षा ऑनलाइन नहीं ली गई ।
यहां परीक्षा एक ही शहर भोपाल के एक ही सेंटर एम्स में की गई। ऑनलाइन परीक्षा के टेंडर की जांच हो तथा पूरे देश के अभ्यार्थियों से ऑनलाइन परीक्षा के लिए ली गई थी, जो अभ्यर्थी परीक्षा केंद्र एवं पैटर्न बदलने का कारण जो नुकसान हुआ है, उसकी वसूली कर परीक्षार्थियों को दिलाई जाए |
3. एम्स भोपाल में नियुक्ति में अनुभव एवं योग्यता की अनदेखी – एम्स एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान स्थापित करने के लिए अनुभव एवं योग्यता से परिपूर्ण कर्मचारियों की जरूरत है।
ऑनलाइन परीक्षा जो देश के अलग-अलग शहरों में होनी थी इस तरह के संस्थान में नियुक्ति हेतु बहुत अच्छी व्यवस्था थी ऐसा ना करते हैं।
उनसे अभ्यर्थियों के साथ धोखा किया गया और प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य लाभ से वंचित किया गया |
4. परीक्षा में की गई अनियमितताओं का संक्षिप्त विवरण – विज्ञापन के नियम का पालन नहीं कर ऑनलाइन रजिस्टर्ड अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं देना। एम्स के भर्ती नियम और विज्ञापन में पदों की योग्यता के मनमाने ढंग से बदलाव कर घोषित परीक्षा परिणाम में कहीं पर परसेंट और कहीं पर पर सेंटरलाइन का उपयोग हेतु विषमता एमसी के कुछ पसंदीदा अभ्यार्थियों को 100 परसेंटेज देना।
जो कि खुद में एक अनियमितता है ,एक ही अभ्यार्थी को सामान्य एवं आरक्षित वर्ग में रखना डेंटल टेक्नीशियन डेंटल हाइजीनिस्ट के पदों पर डेंटल काउंसलिंग ऑफ इंडिया के एक्ट के अनदेखी करना |
5. विज्ञापन की शर्तों के अनुसार ऑनलाइन परीक्षा तथा स्किल टेस्ट नहीं होना – परीक्षा में हुई अनियमितता को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है, कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार ने दिनांक 24 जुलाई 2019 से नियुक्तियों पर रोक लगाई है परंतु एम्स भोपाल में कार्यरत लोगों ने बताया कि चयनित अभ्यार्थियों को अभी भी नियुक्ति दी जा रही है |
24 जुलाई 2019 तक रोक लगने से पहले जिन अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई है, उनकी सूची सार्वजनिक की जाए एवं जांच में विलंब ना किया जाए वरना इसका अनुचित फायदा इस तरह के हेरा फेरी में मददगार साबित होगा |