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MP Paramedical Colleges Me Pariksha: मध्य प्रदेश सरकार की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है. कोरोना जब पीक पर था, तब प्रदेश के अस्पतालों में पैरामेडिकल स्टाफ (paramedical staff) की जबरदस्त कमी बताई जा रही थी, लोगों के टेस्ट नहीं होने से उनकी जान जोखिम में थी. उस समय प्रदेश की सरकार यह निर्णय तक नहीं ले पा रही थी कि पैरामेडिकल कॉलेज (paramedical college’s) में पढ़ रहे छात्रों की परीक्षाएं कराये या नहीं. यह निर्णय अब तक नहीं हो पाया है.म.प्र. मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी, जबलपुर के द्वारा परीक्षाएं कराने की घोषणा 3 महीने पहले की तो थी, लेकिन परीक्षा का माध्यम क्या होगा, उसे किस तरह संचालित कराया जायेगा. कोई जानकारी छात्रों तक नहीं पहुंचाई गई. इस वजह से नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे हजारों छात्र और छात्राएं अपने भविष्य को लेकर परेशान है. हैरत की बात तो यह है कि जब अस्पताल में स्टाफ की कमी थी, तब युद्ध स्तर पर परीक्षाएं कराकर तत्काल नियुक्ति दी जा सकती थी. जब अन्य परीक्षाओं में जनरल प्रमोशन या ओपन बुक पद्धति लागू की जा सकती है, तब पैरामेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे छात्रों के लिए कोई व्यवस्था क्यों नहीं की गई. पैरामेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे अंतिम वर्ष के छात्रों को सीधे अस्थायी नियुक्ति देकर कोविड महामारी में उपयोग कर सकती थी. एक तो इससे छात्रों की डिग्री समय पर पूरी हो जाती, दूसरा उनको नौकरी भी मिल जाती. इसका सीधा फायदा प्रदेश की आम जनता को मिलता, जो इलाज या दवाई के अभाव में दम तोड़ने को मजबूर हुई है…पैरामेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे समस्त छात्रों ने सरकार से मांग की है कि उनकी भी परीक्षाएं तत्काल कराई जाये. ओपन बुक पद्धति, (open book systems) जनरल प्रमोशन (genral promotion) या ऑनलाइन परीक्षाएं लेकर उनको जनसेवा में तत्काल लगाया जाए… छात्रों का कहना है कि अगर इस तरह परीक्षाएं टाली गई तो उनको डिग्री 4.5 साल में होने के बजाय 6 से 8 साल में होगी. इस तरह उनको भविष्य में भी दिक्कतें आएगी. वर्तमान में पैरामेडिकल के छात्र (paramedical students) सरकार के साथ मिलकर कोरोना को समाप्त करना चाहते है. इसके लिए वह तैयार है. प्रोफेशनल डिग्री (professional degree) होने के कारण उनको जनरल प्रमोशन या ओपन बुक पद्धति का लाभ नहीं देना पूरी तरह से गलत है. पैरामेडिकल के छात्रों का कहना है कि उनका अधिकांश काम प्रैक्टिकल (maximum prectical) होता है, थ्योरी का यूज ( theory use) बहुत कम होता है. इसलिए जनरल प्रमोशन देकर उनके साथ न्याय किया जाये.