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नेशनल बेरोजगार रजिस्ट्रर की मांग तेज हुई, बेरोजगारों का डाटा एकत्रित कराये सरकार

नेशनल बेरोजगार रजिस्ट्रर की मांग तेज हुई,बेरोजगारों का डाटा एकत्रित कराये सरकार

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 स्वराज पार्टी के अध्यक्ष योगेन्द्र यादव ने केंद्र सरकार को नेशनल सिटीजन रजिस्ट्रर के बजाय नेशनल बेरोजगार लाने का सुझाव दिया है। ये सुझाव योगेन्द्र यादव ने इसलिए भी दिया है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बेरोजगारी को लेकर लगातार बचती आ रही है।  देश में जब भी बेरोजगारी,देशकी वित्तीय स्थिति या डगमगाती आर्थिक स्थिति पर चर्चा होती है, तभी लोगों का माइंडसेट बदलने के लिए नया शिगुफा छेड़ देती है। हालांकि लोग अब इस बात को समझने लगे है।  गौरतलब है कि नेशनल बेरोजगार रजिस्ट्रर लाने के फायदे बहुत है। इससे देश में बेरोजगार लोगों की संख्या पता चल जाएगी। साथ ही उनके लिए क्या किया जाये। इसके सुझाव भी मिल जाएंगे। वैसे नेशनल बेरोजगार रजिस्ट्रर से सरकार को वोट नहीं मिलने वाले है। इससे समाज में धुव्रीकरण भी नहीं होने वाला है। इसलिए केंद्र सरकार इस और कदम आगे बढ़ाये। इसकी उम्मीद करना बेमानी लगता है।

एक समय मोदी बेरोजगारी को लेकर मनमोहन सिंह पर तंज कसते थे… अब लाये नेशनल बेरोजगार रजिस्ट्रर

हैरत की बात तो यह है कि प्रधानमंत्री मोदी जब प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे, तब लगातार बेरोजगारी और आर्थिक व्यवस्था को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ़ मनमोहन सिंह पर तंज कसते थे। लेकिन जब स्वयं प्रधानमंत्री बने, तो उनके द्वारा इस विषय पर बात करना ही बंद कर दिया। यहां उल्लेख करना आवश्‍यक है कि वर्ष 2014 में मोदी जी ने प्रत्येक वर्ष 2 करोड़ नौकरी सृजित करने का वादा किया था। इस वादे की हालत यह है कि 45 साल में मोदी सरकार के कार्यकाल में बेरोजगारी दर सबसे अधिक आई है। नोटबंदी और जीएसटी के निर्णय से देश में लाखों लोग बेरोजगार हो गये है। बीते तीन साल से मोदी जी जीएसटी और नोटबंदी का जिक्र तक नहीं करते है। इसके उलट देष में केवल उन्माद फैलाने वाले मुददों पर ही बात की गई है।

डॉ मनमोहन सिंह के कार्यकाल में कॉलेजों में प्लेसमेंट कंपनियों की लाइन

दुनियांभर में बेरोजगारी बढ़ रही है। इसका कारण यह भी बताया जा रहा है कि अधिकांष बड़े देषों में जो सरकारें बनी है, वो सरकारें देश के लोगों को देशभक्ति के नाम पर उलझाकर रखे हुए है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के कार्यकाल में कॉलेजों में प्लेसमेंट कंपनियों की लाइन लगी हुई थी। मल्टीनेशनल कंपनियां करोड़ों के पैकेज ऑफर कर रही थी। छोटे सर्विस सेक्टरों में लोगों को अच्छी सैलरी मिल जाती थी। लेकिन 2012 के बाद और खासतौर पर 2014 से बेरोजगारों के लिए अच्छी खबर नहीं आई। देश  में सरकारी नौकरी ना के बराबर आई है। इससे बेरोजगारों में निराशा आई है। वैसे कार्लमॉक्स की सबसे बेहतरीन लाइन धर्म अफीम है। इस लाइन को केंद्र की सरकार ने सबसे अच्छे तरीके से अप्लाई किया है।

 

 

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