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केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण करके रोजगार से वंचित कर रही सरकार

केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण करके रोजगार से वंचित कर रही सरकार

-BHEL सहित कई सार्वजनिक उपक्रम लाभ में हैं फिर भी उनका किया जा रहा निजीकरण

online desk, bhopal

 सरकार जिस तरह से सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों को बेच रही है, जिसने हमारी अर्थव्यवस्था के निर्माण में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। यह दुर्भाग्यवश है कि निजीकरण के समर्थक सभी सार्वजनिक उपक्रमों को अक्षम प्रस्तुत कर रहे हैं, यह प्रचार भी गलत है। कॉर्पोरेट की मनमानी रियाद देना और सार्वजनिक उपक्रमों को निजी क्षेत्र (Privatization of public sector undertakings) में बेचना सरासर गलत है, जिसका बीएमएस पुरजोर विरोध करेगी। यह बात प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर बीएमएस भेल भोपाल ने पदाधिकारियों ने कहीं। बीएमएस के प्रदेश अध्यक्ष बीएस कठैत ने बताया कि सभी जिला मुख्यालयों और उद्योग स्तर पर “पब्लिक सेक्टर बचाओ और देश बचाओ” के तहत एक दिवसीय धरना दिया जाएगा। यही नहीं इस विरोध प्रदर्शन बीएमएस लगातार जारी रखेगी.सरकार की मनमानी को आज सह लिया तो कल हमारे बच्‍चों के हाथ में रोजगार नहीं रहेगा. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां देश में सबसे अधिक रोजगार देती है, इन कंपनियों को प्राइवेट के हाथों में दे दिया जायेगा, तब यहां नौकरी आउटसोर्स में मिलेगी. ज्ञात हो कि सभी पीएसयू नुकसान में नहीं है। सार्वजनिक उपक्रमों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। पीएसयू का कुल लाभ 128374 करोड़ था और उन्होंने लाभांश के रूप में 76,578 करोड़ का सरकार को भुगतान किया। आंकड़े बताते हैं कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने निजी क्षेत्र की तुलना में अधिक नौकरियां उपलब्ध कराई है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को मार रही है। नीति आयोग का योजना आयोग की जगह लेने के बाद उसने इस तरह के सभी गंभीर प्रयासों को रोक दिया है और अब वह केवल “रणनीतिक बिक्री” के नाम पर इन उपक्रमों की बिक्री के एजेंट के रूप में काम कर रहा है। बीएमएस ने आरोप लगाया कि कई बड़े कॉर्पोरेट घरानों को मनमानी रियायतें देने के कारण सरकार का खजाना खाली हो गया है। इसलिए सरकार धन की तलाश में है और सरकार को सबसे आसान तरीका पीएसयू को बेचना लगा है, जो कि हमारे पूर्वजों द्वारा बनाई गई राष्ट्रीय संपत्ति है। लेकिन हम ऐसा हरगिज होने नहीं देंगे। सरकार अब नई नीति के अनुसार लाभ में जा रही सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचने में जुट गई है। यह उचित अर्थशास्त्र नहीं है, इसलिए सरकार को राजस्व प्रबंधन के अपने संकट के बारे में गंभीरता से पुनर्विचार करना होगा। पीएसयू को बचाने में   बैंकिंग, बीमा, कोयला, गैर कोयला, स्टील, पोर्ट, डॉक और शिपयार्ड, रेलवे, रक्षा, डाक और पीएसईएनसी (सरकारी क्षेत्र के कर्मचारी राष्ट्रीय परिसंघ) जिसमें टेलीकॉम, तेल क्षेत्र,विमानन, सिक्के और मुद्रा, एफसीआई, एनएचपीसी, पावर ग्रिड, गेल शामिल हैं। बीएचईएल, नाल्को, एनएलसी, एचएएल, एचएमटी, बीईएल, आईटीआई, बीडीएल, एएलआईएनसीओ, बाल्मेर लॉरिए, एचएनएल, एफएसीटी, आईआरईएल, ईसीआईएल, नीपको, टीएचडीसी, इंस्ट्रूमेंटेशन, बीएसएनएल/एमटीएनएल सहित सभी राष्‍ट्रीय प्रादेशिक यूनियनों का सपोर्ट मिल रहा है.

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