BY SITARAM THAKUR, PEOPLES SAMACHAR, BHOPAL
2021-10-17, 20:20:33
रतलाम की सुनीता जैन सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर करने के लिए चला रही है ”अभियान”’
मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) महिला अभ्यर्थियों (women candidates) के साथ भेदभाव करता है. ज्यादा नंबर आने के बाद भी आयोग महिला अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए आमंत्रित नहीं करता है. जबकि उनसे कम अंक वाले पुरूष अभ्यर्थी को इंटरव्यू के लिए आमंत्रित किया जाता है. अब इस विसंगति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की जाने वाली है. दरअसल मप्र लोक सेवा आयोग की राज्य सेवा परीक्षा की अभ्यर्थी कविता पंवार एमपी पीएससी की चयन पद्धति से दुखी हैं. वे कहती हैं कि महिलाओं पर आरक्षण का अहसान लादा जा रहा है, और आरक्षण के नाम महिला अभ्यर्थियों को छला जा रहा है. वहीं एक अन्य अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर करने अभियान चला रही हैं. इसके लिए उन्होंने लोगों से सहयोग मांगा है. उल्लेखनीय है कि मप्र में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है, जबकि नगरीय निकाय, पंचायत चुनावों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है, लेकिन इस आरक्षण की आड़ में महिलाओं के साथ MPPSC की परीक्षाओं में भेदभाव भी हो रहा है. परीक्षा में पुरूषों से ज्यादा अंक लाने के बाद भी महिलाओं को इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया जाता और कम अंक लाने वाले युवकों को इंटरव्यू में आमंत्रित किया जाता है, जिससे पुरूष अभ्यर्थी सरकारी नौकरी पाने में सफल हो जाते है. इस मामले में रतलाम की सुनीता जैन सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर करने का जा रही है. अभ्यर्थी सुनीता जैन को ऐसी विसंगति के कारण ज्यादा अंक आने के बाद भी सरकारी नौकरी नहीं मिल पाई थी…
ऐसे होता है MPPSC में महिलाओं से भेदभाव-
आरक्षित वर्ग के व्यक्ति के मेरिट में आने पर उसकी गणना अनारक्षित पदों पर की जाती है, लेकिन किसी भी वर्ग की महिला के मेरिट में आने पर उसकी गणना उस वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पर की जाती है और मेरिट में आने वाली महिला का अंकों के आधार पर इंटरव्यू के लिए चयन होना चाहिये, लेकिन उनका चयन नहीं होता है.
महिला आयोग भी नहीं दिला पाया MPPSC की महिला अभ्यर्थियों को न्याय
इस मामले में एमपी पीएससी (MPPSC) की परीक्षा में ज्याद अंक लाने और चयन से वंचित रही महिलाओं ने राज्य महिला आयोग का दरवाजा भी खटखटाया. आयोग ने इस संबंध में पीएससी को अलग अलग पांच पत्र भी लिखे, लेकिन चयन होने से वंचित रही महिलाओं को लाभ नहीं मिल सका.
इस तरह प्रतिभा होने के बाद भी पीछे रह गई महिलाएं
राज्य सेवा परीक्षा- 2003
राज्य सेवा परीक्षा- 2003 में अनारक्षित वर्ग में पुरूष 1231 अंक पर ही चयनित हो गए और महिलाएं 1250 अंक लाने के बाद भी चयनित नहीं हो सकी.
राज्य सेवा परीक्षा- 2005
राज्य सेवा परीक्षा- 2005 में अनारक्षित वर्ग में पुरूष 1212 अंक पर ही चयनित हुए और महिलाएं 1226 अंक पाने के बाद भी सरकारी नौकरी से वंचित रह गई.
एमआई परीक्षा- 2010
खनिज निरीक्षक परीक्षा – 2010 में अनारिक्षत वर्ग में पुरूष 127 अंक लाने पर भी चुने गए, और महिलाएं 147 अंक मिलने पर भी चयन से वंचित रहीं.
सहायक प्राध्यापक परीक्षा- 2017
मेरिट के आधार पर तस्नीम रंगवाला को 316 अंक मिले और नौकरी के लिए चयन 268 अंक वाले अभ्यर्थी का हुआ, जबकि मेरिट में आने के बाद भी तस्नीम को जनरल सीट दे दी जाती है.
सहायक प्राध्यापक परीक्षा- 2017
सहायक प्राध्यापक परीक्षा- 2017 में संगीत विषय में पांच सीटों में से महिलाओं के लिए आरक्षित थी, लेकिन पांचों सीटों पर चयन पुरूषों का किया गया. चयन नहीं होने से महिला अभ्यर्थियों को निराश होना पड़ा.
महिला अभ्यर्थी का चयन होना था , नहीं मिली सरकारी नौकरी-
MPPSC की अभ्यर्थी रहीं रतलाम की सुनीता जैन ने कहा कि मैंने राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा- 2013 में सफलता प्राप्त की थी. मुझे 2100 में से 1249 अंक प्राप्त हुए थे. लेकिन मुझे इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया. जबकि मेरे परिचित आशीष मिश्र को 1240 अंक मिलने पर भी इंटरव्यू के लिए पात्र माना गया और उसका चयन भी हो गया. यह तो महिलाओं को आरक्षण देने के नाम पर सीधे सीधे भेदभाव है.
फार्मूला तय है, कोर्ट जा सकते हैं-
एमपी पीएससी के सचिव प्रबल सिपाहा ने बताया कि परीक्षाओं के लिए फार्मूला तय है, उसी के तहत महिला अभ्यर्थियों को भी परीक्षा में अंक दिए जाते है. यदि किसी को शिकायत है, तो वह कोर्ट जा सकता है…
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