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नौकरी मांगने आए छात्रों पर पुलिस ने भांजी लाठियां, क्रांतिकारियों की तरह दी गिरफ़तारी

नौकरी मांगने आए छात्रों पर पुलिस ने भांजी लाठियां, क्रांतिकारियों की तरह दी गिरफ़तारी

राजधानी में छात्रों के आंदोलन में पहुंचे हजारों छात्र एवं शिक्षक

शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस बल का प्रयोग

भोपाल। क्‍या मध्‍यप्रदेश में सरकारी नौकरी मांगना गुनाह है, देशद्रोह है, भ्रष्‍टाचार है, फर्जीवाडा करना है, नहीं है तो फिर पुलिस का अत्‍याचार क्‍यों।

क्‍यों शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस ने लाठियां भांजी। किसके इशारे पर छात्रों को दौडा दौडाकर पीटा गया।

उम्रदराज शिक्षक बजेश ठाकुर के साथ अमनावीय व्‍यवहार क्‍यों किया गया।

नौकरी मांगने आए छात्रों पर पुलिस ने भांजी लाठियां, क्रांतिकारियों की तरह दी गिरफ़तारी

नौकरी मांगने आए छात्रों पर पुलिस ने भांजी लाठियां, क्रांतिकारियों की तरह दी गिरफ़तारी

मीडिया को कवर करने से किसने मना किया। छात्र ही प्रदर्शन करे और अपनी आवाज भी मीडिया तक पहुंचाए।

क्‍या यह तानाशाही नहीं है। राजधानी में 4 सिंतबर 2020 का दिन हमेशा याद रखा जायेगा।

इस दिन छात्रों ने अपने हक के लिए आवाज उठाई और प्रशासन ने उन पर बल प्रयोग किया। बल प्रयोग भी ऐसा जैसे कोई अपराधी पर किया जाता है। 

 

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पुलिसभर्ती दो, पीएससी भर्ती दो, सरकारी भर्ती चालू करो के नारे से भोपाल का रौशनपुरा चौराहा गुंज गया। जहां तहां छात्रों की भीड देखी गई। छात्र भी सरकार के पास अपनी आवाज पहुंचाने में कामयाब रहे। विरोध प्रदर्शन के चलते कई छात्रों को पुलिस ने गिरफतार किया। 

 

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छात्रों ने भी क्रांतिकारियों की तरह अपनी गिरफतारी दी और पुलिस के सामने शांतिपूर्ण तरीके  से अपनी आवाज को बुलंद किया।

जेल ले जाते हुए छात्रों ने मेरा रंग दे बसंती चोला गाना गाकर अपने इरादे स्‍पष्‍ट कर दिए। एक छात्र ने कहा कि सरफरोशी की तम्न्‍ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजू ए कातिल में है।

प्रेरक क्रांतिकारी आदरणीय रामप्रसाद बिस्मिल की आत्‍मा जब छात्रों को देख रही होगी तो वह भी कह रही होगी कि ये छात्र ही देश और प्रदेश में क्रांति लायेंगे।

 

छात्रों के सरकार से सवाल, नौकरी मांगने आए छात्रों पर पुलिस ने भांजी लाठियां

 

  • जब कोराने में चुनाव हो सकते है, तो हमारी परीक्षएं क्‍यों नहीं
  • जब राजनीतिक दलों की रेलियां हो सकती है, तो हमारी क्‍यों नहीं
  • जब सत्‍ता के लिए सरकारे बदली जा सकती है, तो परीक्षा क्‍यों नहीं
  • विधायक की पेंशन से कम सैलरी पर नौकरी कर सकते है, तो नौकरी क्‍यों नहीं
  • क्‍या नौकरी के लिए आवाज उठाना प्रदेश में गैरकाूननी है

 

टिविटर पर  ट्रेंड हुआ छात्रों का आंदोलन

चार सितंबर को छात्रों ने अपनी आवाज टिविटर और फेसबुक पर बुलंद की।   यह अपने आप में बडी बात है।

जब तथाकथित राष्ट्रीय मीडिया छात्रों से संबंधित मुददों को प्रमुखता नहीं देती है, तो छात्र सोशल मीडिया का सहारा लेते है।

तथाकथित राष्ट्रीय मीडिया को रिया चाहिये, और छात्रों को नौकररियां।

ये फर्क मीडिया को समझना होगा। थोडे बहुत लोग अगर उनके चैनल को देख रहे है, तो उनको भी सतर्क हो जाना चाहिये कि वह दिन दूर नहीं जब कोई दर्शक नहीं मिलेगा।

 

 ट्रेंड हैशटेग 

#SpeakupForMppscPebStudents

#Mppolicebhartido

#berojgarmp

 

छात्रों के आंदोलन पर क्‍या कहती है कांग्रेस 

 

छात्रों के आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे पूर्व मुख्‍यमंत्री  दिगिविजय सिंह और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि छात्रों पर लाठीचार्ज का विरोध करते है।

इस मामले की जांच होना चाहिये। जब शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहा है, तो लाठीचार्ज की आवश्‍यकता क्‍यों।

 

छात्रों के आंदोलन पर क्‍या कहती है भाजपा

भाजपा सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्‍द्र सिंह ने छात्रों के आंदोलन को कांग्रेस प्रायोजित बता दिया।

उनका कहना है कि जब कांग्रेस सरकार में थी, तब कितना बेरोजगारी भत्‍ता दिया। उसकी पेनडाइव दे।

शिवराज सरकार तो प्रदेश के छात्रों को प्रदेश में नौकरी मिले, इसके लिए प्रयास कर रही है। मुख्‍यमंत्री ने इसकी घोषणा की है।

 

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