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DEAR, Narendra Modi Prime Minister- युवाओं में व्‍याप्‍त गहरा असंतोष और आक्रोश को समझने का प्रयास करे….

DEAR, Narendra Modi Prime Minister- रोजगार के सवाल पर युवाओं में व्‍याप्‍त गहरा असंतोष और आक्रोश

अनुपम

भारत एक युवा देश है, जहां की करीब 70 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है. आप स्वयं इस “डेमोग्राफिक डिविडेंड” का जिक्र करते हुए भारतीय युवाओं की क्षमता और असीमित संभावनाओं पर प्रकाश डालते रहे है.लेकिन ये आप भी जानते होंगे कि युवाओं को रोजगार के पर्याप्त अवसर न मिले तो भारत के डेमोग्राफिक डिविडेंड को डेमोग्राफिक डिजास्‍टर बनते देर नहीं लगेगी. आज की रिकार्ड तोड बेरोजगारी हमारे देश के सामने एक बड़ी चुनौती है. सालाना 2 करोड़ रोजगार के वादे पर सत्ता में आयी आपकी सरकार के परफार्मेंस से हर कोई अवगत है. इसलिए मैं अभी इस पर बहुत बात करने के बजाय सुधार की दिशा में कुछ सकारात्मक प्रस्‍ताव आपके समक्ष रखना चाहता हूं. DEAR, Narendra Modi Prime Minister आपसे पत्राचार का मुख्‍य उद्देश्‍य सरकारी नौकरियों के लिये होने वाली भर्ती परीक्षा से जुड़ा है.

आये दिन देश के किसी न किसी कोने में शिक्षित बेरोजगार युवा अपने अधिकार के लिए सड़क पर होते है. कहानी किसी भी राज्य की हो, लेकिन इन सभी प्रदर्शनों में मुख्यतः- रोजगार के पर्याप्त अवसर और समयबद्ध भर्ती प्रक्रिया की ही मांग होती है. एक आंकड़े के मुताबिक साल 2018 में ही देशभर में 24 लाख से ज्यादा रिक्त सरकारी पद थे. बहुत संभव है कि आज ये आंकड़ा और भी बढ़ गया हो. इन खाली पदों के लिए भर्ती निकले भी तो अभ्‍यर्थी प्रक्रिया के जाल में ही सालों तक फंसे रह जाते है. अपनी पढ़ाई करने के बजाय देश के बेरोजगार युवा कोर्ट कचहरी नेता पत्रकारों के चक्कर लगाने को मजबूर है.आप से निवेदन है कि देश हित में निम्‍न लिखित सुझावों को मानकर युवाओं में व्‍याप्‍त आक्रोश, असंतोष, अंधकार और निराशा का निराकरण करें.

  • सभी रिक्त सरकारी पदों के लिए तुरंत विज्ञापन निकालकर 9 महिने के अंदर नियुक्ति पत्र दें और आवश्यकता के अनुसार सभी विभागों में स्वीकृत पदों की संख्या बढ़ाये. साथ ही अटकी पड़ी सभी भर्तियों के संबंधित आयोग उनका कैलेंडर जारी करके समयबद्ध ढंग से प्रक्रिया को पूरा करें.
  • रोजगार का अधिकार दें ताकि असंगठित क्षेत्र में भी लोगों को काम मिलें, जिससे अर्थव्यवस्था मजबूती से पटरी पर टिकी रहे. बेरोजगारी नामक राष्ट्रीय आपदा से निपटा जा सके और भारत के डेमोग्राफिक डिविडेंड को डेमोग्राफिक डिजास्‍टर न बनने दिया जाये. 
  • दशकों की मेहनत से खड़े किए गए उन सार्वजनिक उपक्रमों, बैंकों और राष्‍ट्रीय संपत्तियों को बेचना बंद करें जो देश के लिये आत्मनिर्भरता और युवाओं के लिए सरकारी नौकरी का बड़ा स्त्रोत है. 
  • भारत सरकार में संयुक्‍त सचिव और निदेशकों के पद पर की जा रही लेटरल एंट्री पर रोक लगाइए, जिस कारण से हर साल सरकारी भर्तियों में कमी की जा रही है, और आयोग के द्वारा चयनित अधिकारियों के सेवा अवसरों में भी कटौती होगी.

मुझे पूर्ण विश्वास है कि यदि आपको भारत और इसके भविष्‍य की चिंता है, तो युवाओं से जुड़े इन सवालों को गंभीरता से लेंगे. आपकी राजनीतिक समझ और सूझबूझ की तारीफ सिर्फ आप ही नहीं, कई लोग करते है. ऐसे में उम्मीद करना चाहिये कि आंदोलित भारतीय युवाओं के असंतोष और आक्रोश को आप समझेंगे और एक सकारात्मक दृष्टि से इन मांगों पर उचित कार्रवाई भी करेंगे….

राष्‍ट्रीय संयोजक,

“युवा हल्‍ला बोल”

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