युवा पंचायत- 27 अप्रैल को भोपाल में युवाओं का हल्ला बोल, जॉब चाहिये, जुमला नहीं, सरकार से युवा बेहद नाराज…
मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार से युवा इस हद तक नाराज है, कि वह प्रदेश के मुख्यमंत्री की हर बात को जुमला ही कहता है. रोजगार के मामले में शिवराज सरकार का रिकॉर्ड बेहद खराब है. मप्र में युवाओं को न तो सरकारी नौकरी मिलती है, और न ही प्राइवेट. हां सरकार और समाज के तथाकथित लोग पकोड़े की दुकान और सब्जी के विक्रय को नौकरी जरूर मानते है. लेकिन कोई उस युवा के दिल का हाल समझने को तैयार नहीं है, जिसने बड़ी मेहनत करके बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग, मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और उच्च शिक्षा कर अपने माता पिता को अच्छी जिंदगी देने का दावा किया है, और उसे रेहड़ी लगाने का सुझाव दिया जाता है. जब रेहड़ी ही रोजगार है, तो प्रदेश में इंजीनियरिंग, एमबीए सहित उच्च शिक्षा के कॉलेज-विश्वविद्यालय खोले ही क्यूं है? बंद क्यूं नहीं कर देते. प्रदेश के लाखों युवा नौकरी नहीं मिलने से माता पिता और समाज के ताने सुनने को मजबूर है. इसमें उनकी क्या गलती है. जब उनसे कम योग्य युवा राजनीतिक रसूख और पैसे के दम पर सरकारी नौकरी खरीद लेता है और वह देखता रहता है. उसके पास हताशा के सिवा कुछ नहीं बचता है. प्रदेश में प्राइवेट नौकरी 12 हजार वाली है, जिससे युवा अपने सपने सच कर सकता है? इसका जवाब है सरकार के पास? जब प्रदेश में कोरोना पैर पसार रहा है, तब पूरी की पूरी सरकार दमोह उपचुनाव में बिजी है. चुनाव प्रचार का समय है सरकार के पास, लेकिन रोजगार पर बात करने का समय नहीं है. इसलिये युवा भी अब सरकार से दो हाथ करने को तैयार हो गया है. 27 अप्रैल को युवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम भोपाल में युवा पंचायत करने जा रहे है, जिसमें बड़ी संख्या में युवा भाग लेंगे.
इन मांगों पर होगी युवा पंचायत-
- सभी रिक्त सरकारी पदों के तत्काल विज्ञापन निकालकर 9 महीने के अंदर नियुक्ति दे, और आवश्यकता के मुताबिक सभी विभागों में स्वीकृत पदों की संख्या बढ़ाए. अटकी पड़ी भर्तियों का कैलेंडर जारी करें और समयबद्ध ढंग से प्रक्रिया पूरी की जाए.
- सभी को रोजगार का अधिकार दे, ताकि असंगठित क्षेत्र में लोगों को काम मिले, जिससे अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लोट सके, जिससे बेरोजगारी नामक राष्ट्रीय आपदा से निपटा जा सके और भारत के डेमोग्राफिक डिविडेंड को डेमोग्राफिक डिजास्टर न बनने दिया जाये.
- दशकों में बनाए गए सार्वजनिक संपत्तियों को बेचना बंद करे, जो देश के लिए आत्मनिर्भरता और युवाओं के लिए नौकरी का बड़ा स्त्रोत है.
- भारत सरकार में संयुक्त सचिव और निदेशकों के पद पर की जा रही लेटरल एंट्री पर रोक लगाई जाए, जिससे इन पदों पर भारत के योग्य युवाओं को नौकरी मिल सके.
- यूपीएससी, राज्य पीएससी की भर्तियों में लगातार पद कम किए जा रहे है, पदों में वृद्धि कर समयबद्ध तरीके से नियुक्ति दी जाये.
अनुपम की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अपील-
मुझे पूर्ण विश्वास है कि यदि यदि आपको भारत और इसके भविष्य की चिंता है, तो युवाओं से जुड़े इन सवालों को पूरी गंभीरता से लेंगे.आपकी राजनीतिक समझ और सूझबूझ की तारीफ आप ही नहीं, विपक्ष सहित कई लोग करते है. ऐसे में उम्मीद करना चाहिये कि आंदोलित भारतीय युवाओं के असंतोष और आक्रोश को आप समझेंगे और एक सकारात्मक दृष्टि से इन मांगों पर उचित कार्रवाई भी करेंगे.