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बेरोजगारी के इस भयानक दौर में Dr. Manmohan Singh को बड़ी बेसब्री से याद कर रहा है देश का युवा…

बेरोजगारी के इस भयानक दौर में Dr. Manmohan Singh को बड़ी बेसब्री से याद कर रहा है देश का युवा…

जब विश्‍वभर में मंदी थी, तब बैंक में सालाना 1 लाख युवाओं की भर्ती होती थी, आज 10 हजार भी मुश्किल…

online desk, bhopal

वर्ष 2004 से 2009 तक विश्‍व भर में मंदी का दौर चल रहा था। दुनिया की बड़ी बड़ी बैंक्‍स  डूब गई थी। दुनियांभर में लाखों लोगों की नौकरी जा रही थी, तब भारत में प्रति वर्ष एक लाख युवाओं को सरकारी बैंक्‍स में नौकरी दी जा रही थी. ये उस दौर की बात है, जब देश में इन्‍वेस्‍टमेंट आने को लेकर संकट था, क्योंकि दुनियाभर के लोगों के पास फंड की शार्टेज थी, उस समय दुनिया में अकेला देश भारत ही था, जिसमें संभावनाएं दिख रही थी, और दुनिया भर के धनकुबेर भारत में निवेश कर रहे थे. मंदी में जब अमेरिका-यूराेप सहित बैंक्‍स की वित्‍तीय हालत आईसीयू में थी, तब भारत के बैंक देश के सुदूर गांवों में शाखाएं खोल रहे थे. 5 हजार से कम आबादी पर भारत की बैंक्स विस्तार कर रही थी. शासकीय बैंक्‍स में रोजगार की असीम संभावनाएं दिख रही थी. प्राइवेट बैंक्स भी धड़ल्‍ले से भर्ती निकालकर भारतीय युवाओं को अच्छे खासे पैकेज पर हायर कर रही थी. आज हम उस दौर की बात क्‍यूं कर रहे है, वह बताते है. दरअसल मध्यप्रदेश के नीमच में रहने वाले चंद्रशेखर गौड़ ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में सूचना के अधिकार के तहत आरटीआई लगाई. जिसमें उन्होंने आरबीआई से पूछा कि वर्ष 2020-21 में सरकारी बैंक की कितनी शाखाएं बंद कर दी गई या उन्हें दूसरी बैंक्‍स की शाखाओं में मिला दिया गया. आरबीआई ने बहुत हैरान करने वाली और गंभीर जानकारी दी…केंद्र सरकार के इस कदम ने भारत के लाखों युवाओं की नौकरी लील ली है…

2 हजार से ज्यादा बैंक की ब्रांचेस बंद हुई

भारतीय रिजर्व बैंक ने सूचना ने आरटीआई के तहत बताया है कि वित्‍तीय वर्ष 2021 में 10 सरकारी बैंकों की कुल 2,118 बैकिंग शाखाएं बंद कर दी गई या फिर उन्‍हें दूसरी बैंक की शाखाओं में मिला दिया गया.जानकारी बहुत हैरान करने वाली और गंभीर भी है. इस जानकारी के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में शाखा बंदी या विलय की प्रक्रिया से बैंक ऑफ बड़ौदा की सर्वाधिक 1,83 शाखाओं का वजूद खत्म हो गया है. इस प्रक्रिया से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की 332, पंजाब नेशनल बैंक की 169, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की 124, केनरा बैंक की 107, इंडियन ओवरसीज बैंक की 53, सेंट्रल बैंक की 5 और बैंक ऑफ महाराष्ट्र एवं सिंध बैंक की एक एक शाखा बंद हुई है.

 1 लाख 5 हजार वैकेंसी को खत्म किया

मानकर चलिए अगर किसी बैंक की शाखा में जीएम से लेकर प्‍यून तक 50 कर्मचारियों का स्टाफ होगा, तो 2118 शाखाएं बंद करने से सीधे सीधे 1 लाख 5 हजार से ज्यादा नौकरी कम हो गई होगी. जब ब्रांच ही नहीं है, तो उसके लिए नया स्‍टॉफ रखने की जरूरत भी क्‍या है? ये बात युवाओं को समझने की आवश्यकता है. कुल मिलाकर कास्ट कटिंग के नाम पर सरकारी बैंक्स से बड़ी संख्या में प्रोबेशनरी ऑफिसर, एस.ओ, क्लर्क सहित पोस्‍ट कम कर दी गई.

बैंक का मर्जर Dr. Manmohan Singh के समय भी होता था…

Dr. Manmohan Singh जब भारत के प्रधानमंत्री थे, तब भी बैंक के मर्जर होते थे. बैंक के मर्जर में देरी को लेकर उस समय के अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री की आलोचना करते थे, तब प्रधानमंत्री का कहना था कि मर्जर प्रक्रिया एक दम से की जाएगी तो बड़ी संख्या में नौकरियां कम हो जायेगी. इसलिये प्रक्रिया को थोड़ा स्लो मोशन में होना चाहिए…

बैंक, रेलवे और सभी केंद्रीय विभागों में भर्ती रुकी

हैरत की बात तो यह है कि जब देश के युवाओं को नौकरी मिल रही थी, भारत की अर्थव्यवस्था अर्थशास्त्री के हाथों में थी, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 करोड़ नौकरी देने का वादा किया था, हालांकि वह वादा जुमले से कम नहीं निकला. वर्तमान में बैंक, रेलवे और अन्य केंद्रीय विभागों में लाखों की संख्या में रिक्त पद पड़े हुए है, बावजूद भरे नहीं जा रहे है. इसको लेकर समय समय पर युवाओं ने चिंता भी जताई है, लेकिन हुकूमत को इससे फर्क नहीं पड़ रहा है. भारत के प्रगतिशील युवाओं को हिन्दू मुसलमान के मुद्दे ने जितनी चोट पहुंचाई है, उतनी किसी मुद्दे ने नहीं. वैसे फिर भी युवा इस मुद्दे को राष्ट्रीय मुद्दा मानते है, तो रहिये बेरोजगार, कौन रोक रहा है…

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